विचार / लेख

आज़ादी मुबारक किन लोगों के लिए है?
20-Aug-2024 9:43 PM
आज़ादी मुबारक किन लोगों के लिए है?

-सनियारा खान

आर जी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्वतंत्रता दिवस के कुछ ही दिन पहले एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर की पाशविक बलात्कार कर हत्या कर दी जाती है। और फिर उस बदनसीब के घर फोन कर ये कहा जाता है कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। क्यों? आनन फानन इस तरह का झूठ बोल कर अगर बात को घुमाने की कोशिश की गई, तो फिर यही लगना स्वाभाविक है कि अस्पताल वाले कुछ जानते हैं और किसी को बचाने को कोशिश कर रहे हैं। यह इस बात का भी संकेत देता है कि कोई खास इस घटना में शामिल है । अगर कोई मामूली इंसान  इस केस में होता तो इस तरह की कोशिश होती ही नहीं। जिन बलात्कारियों के नाम सामने आने से किसी पार्टी को वोट बैंक लेकर चिन्तित होना पड़ता है, उन्हीं को बचाने की कोशिश की जाती है। अभी तक तो कई अन्य पार्टियां भी इस मामले में बदनाम थीं। लेकिन अब ये देख कर हैरानी हो रही है कि एक महिला मुख्यमंत्री भी इसी राह पर चल पड़ी हैं। और तो और बंगाल की मुखर महिला नेत्री वर्ग अभी तक जिस तरह संसद में गुंडागर्दी के खिलाफ़ बोल रही थी, अब उनका यूं अचानक  खामोशी अख्तियार करना इसी बात का संकेत है कि हमाम में सब नंगे है। इससे भी शर्मनाक हरकत इन लोगों ने ये किया  कि प्रतिवाद करने वाले डॉक्टरों के साथ गुंडों की तरह सुलूक किया गया।अब ये बात भी सामने आई है कि उस डॉक्टर का सामूहिक बलात्कार हुआ है।  जिस संजय को पकड़ा गया है, शायद वह इस घटना से जुड़े जानवरों के झुंड में से शायद सब से छोटा जानवर है। लेकिन वह भी एक सेक्स एडिक्ट और पोर्नग्राफी की शौकीन आदमी है। और अचरज कि बात ये है कि इस आदमी का अस्पताल में बेरोकटोक आना जाना था। लगता है कि इस केस से जुड़े सभी बड़े बड़े जानवरों को छिपा दिया गया है। शक की गुंजाइश तो ज़रूर है! क्या अस्पताल के शीर्षस्थ लोग कुछ ऐसी बातों को दबाने में लगे हुए हैं, जिन बातों की बाहर आने पर अस्पताल की बदनामी होने का डर है? इस केस के तुरंत बाद अस्पताल के जिस सेमीनार हॉल में ये सब कुछ हुआ, उससे लगे हुए एक कमरे को रिनोवेशन के नाम पर तोडऩे और सेमीनार हॉल को भी तहस नहस करने की कोशिश हुई है। और तो और, इस सेमीनार हॉल में कोई सीसीटीवी कैमरा भी नहीं था। ये बात भी संदेह जनक है। अब अगर सीबीआई कुछ ढूंढ निकाल पाए तो बात अलग है। लेकिन लीपा पोती की गुंजाइश ज़्यादा है।

इस पूरे घटना क्रम में एक सवाल तो बनता है कि ये जो हम सभी एक दूसरे को आज़ादी के लिए मुबारकबाद दे रहे है, ये किस तरह की आज़ादी है? जहां आधी आबादी को हर समय खुद को बचा कर रखने के लिए सहम कर, संभल कर और एक एक कदम नाप कर चलना होता है, वहां क्या आज़ादी और कैसी आज़ादी? तो शायद हमें इस तरह कहना सही होगा कि उन आधी आबादियों को छोड़ कर बाकी सब को आज़ादी मुबारक हो! अभी अभी ये भी पता चला कि महिला डॉक्टर की बलात्कार होने की घटना के आस पास ही बिहार में चौदह साल की एक दलित बच्ची का अपहरण कर उसके साथ भी सामूहिक बलात्कार कर के उसकी हत्या कर दी गई। और हमें मालूम है कि बिहार के बारे में भी कोई कुछ नहीं कहना चाहेंगे।खबर ये भी है कि झारखंड की जमशेदपुर में एक नर्सरी की बच्ची के साथ स्कूल वैन में दुष्कर्म हुआ। ये सभी बातें जान कर यही कहना सही होगा कि इस समय सिफऱ् बलात्कारियों की पूरी आज़ादी चल रही है। अस्पताल के साथ साथ स्कूल, कॉलेज ,ऑफिस, बस, ट्रैन, सडक़ हर जगह चाहे औरत हो या फिर छोटी बच्ची ही क्यों न हो उनके सर के ऊपर हमेशा चील या गिद्ध मंडराते रहते हैं। और क्यों न मंडराए? हमारे यहां बलात्कारी को सजा दिलाने के लिए जितने लोग सडक़ पर उतरते हैं, उससे कई गुना अधिक लोग एक बलात्कारी को दी गई सजा के ख़िलाफ़ सडक़ पर उतर जाते हैं। यकीन न करने वाली बात तो ये भी है कि इसी देश में बलात्कारियों को फूलों की माला पहना कर स्वागत किया जाता है!फिर तो हमें ऐसा ही समाज मिलेगा और इसी तरह डर के साए में ही हम सभी को जीना होगा। अंत में असम की सिलचर मेडिकल कालेज में चस्पा किया गया एक असाधारण नोटिस के बारे में बात करना बेहद ज़रूरी है।

इस नोटिस में आदेश जारी किया गया है कि लड़कियां भेड़ बकरियों की तरह झुंड में चले ,रात को अकेले न निकले, बाड़े से बाहर न जाए, हंसे बोले नहीं,ठीक से बैठे, ठीक से चले, किसी का ध्यान न खींचे, चौकन्नी रहे ,बेहतर है कि हर वक़्त किसी न किसी की निगरानी में रहे... क्योंकि शिकारी कहीं भी हो सकता है और वह मौका पाते ही दबोच लेगा । ये अलग बात है कि जम कर विरोध होने के बाद असम के मुख्यमंत्री जी ने इस नोटिस को हटवा दिया। लेकिन अभी भी ये सवाल तो लाजि़म है कि हक़ीक़त में आज़ादी के लिए मुबारकबाद किसे दी जानी चाहिए?

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