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भ्रामक नामधारी दवाओं से सावधान
23-Aug-2024 3:14 PM
भ्रामक नामधारी दवाओं से सावधान

-जेके कर
भ्रामक नामधारी दवायें स्वास्थ्य के लिये खतरा हैं. भ्रामक नामधारी दवाओं से हमारा तात्पर्य look-alike sound-alike (LASA DRUGS) से है. दरअसल, कुछ दवायें एक जैसा नाम वाली तथा एक जैसा दिखने वाली होती हैं जबकि इनमें दवायें अलग-अलग होती हैं. खबर है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है. यह एक देर से उठाया गया स्वागत योग्य कदम है. आइये सबसे पहले हम इन भ्रामक नामधारी दवाओं के बारे में जान लेते हैं, तब आपकी समझ में आयेगा कि यह कितनी खतरनाक हैं.

Olvance उच्च रक्तचाप की दवा olmesartan है वहीं, Oleanz मनोविकार की दवा olanzapine है. IMOX मनुष्यों को दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवा amoxicillin हैं वहीं, INIMOX पशुओं को दी जाने वाली इंजेक्शन amoxicillin and cloxacillin है. Medzol नामक ब्रांडनेम से दो अलग-अलग तरह की दवा उपलब्ध है एक में Midazolam है जो नींद को सामान्य करने के लिये तथा मिर्गी रोग को नियंत्रित करने के लिये दी जाती है वहीं, दूसरे ब्रांड में Pantoprazole है जो एसीडिटी तथा पेट के अल्सर में दी जाने वाली दवा है. वहीं इससे मिलते-जुलते नाम वाली Medzole में Metronidazole है जो बच्चों के पेट की दवा है.

PRONIM नाम से NIMESULIDE उपलब्ध है जो दर्द तथा बुखार की दवा है जबकि इससे मिलते-जुलते नाम की दवा PRONIL है जिसमें अवसाद की दवा FLUOXETINE है. CELIB नाम की दवा में दर्द की दवा CELECOXIB है जबकि CELIN में VITAMIN C है. ELTOCIN में एंटीबायोटिक ERYTHROMYCIN है तो ELTROXIN में हाइयोथायराइड की दवा THYROXINE है. ACEIN उच्च रक्तचाप की दवा ENALAPRIL है तो ACEM में एंटीबायोटिक CLARITHROMYCIN है.

यहां पर इस बात का उल्लेख करना गलत नहीं होगा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थायें तथा लोग लंबे समय से इसके खिलाफ आवाज़ उठाते रहें हैं तथा सावधान करते रहें हैं. दिल्ली हाइकोर्ट ने साल 2022 में ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया को निर्देश दिया था कि एक सेन्ट्रल ड्रग डाटाबेस बनाया जाये जिसका उपयोग राज्यों के ड्रग कंट्रोलर कर सके. इस डाटाबेस में दिये नामों को देखकर ही किसी नई दवा के नाम की अुनमति प्रदान किया जाये.

खबरों के अनुसार केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एक ऐसा पोर्टल लाने जा रहा है जिसमें सभी दवा निर्माताओं को अपने दवाओं का ब्रांडनेम तथा उसमें कौन सी दवा है उसकी जानकारी अपलोड करनी पड़ेगी. इसके बाद जो नाम पहले रजिस्टर्ड कराये गये थे उनको अनुमति दी जायेगी तथा बाद में उसी के समान नाम से जो अन्य दवा रजिस्टर्ड कराई गई थी उसे खारिज कर दिया जायेगा.

गौरतलब है कि हमारें छत्तीसगढ़ सहित देशभर में ज्यादातर चिकित्सक अपने हाथ से लिखकर ही दवाओं की पर्ची देते हैं इससे दवा दुकानदारों से गलती होने की संभावना बनी रहती है. हालांकि, कम्प्यूटर से लिखित पर्ची होने के बावजूद भी भ्रामक नामधारी दवा या look-alike sound-alike (LASA) का खतरा बना रहता है. जरूरत है कि जल्द के जल्द इन दवाओं को नियंत्रित तथा नियमित किया जाये ताकि मरीजों को सुरक्षा प्रदान की जा सके.
 

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