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हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदानी के बाद सेबी चीफ को घेरा, जानिए क्या हैं आरोप
11-Aug-2024 2:34 PM
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदानी के बाद सेबी चीफ को घेरा, जानिए क्या हैं आरोप

अदानी ग्रुप के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च ने अब बाज़ार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाया है।

अमेरिकी शॉर्ट सेलर फंड हिंडनबर्ग ने शनिवार को व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच की उन ऑफ़शोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अदानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं।

‘इंडियन एक्सप्रेस’ और पीटीआई के मुताबिक़, सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच ने एक बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है।

दोनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है, ‘इन आरोपों में कोई सचाई नहीं है। हमारी जि़ंदगी और वित्तीय लेनदेन खुली किताब हैं।’

क्या है हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी के चेयरपर्सन की उन ऑफ़शोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है जिनका इस्तेमाल अदानी ग्रुप की कथित वित्तीय अनियमतताओं में हुआ था।

इसमें कहा गया है कि आज तक सेबी ने अदानी की दूसरी संदिग्ध शेयरहोल्डर कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है जो इंडिया इन्फोलाइन की ईएम रिसर्जेंट फंड और इंडिया फोकस फंड की ओर से संचालित की जाती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन के हितों के इस संघर्ष की वजह से बाज़ार नियामक की पारदर्शिता संदिग्ध हो गई है। सेबी की लीडरशिप को लेकर रिपोर्ट में चिंता जताई जा रही है।

हिंडनबर्ग ने कहा है कि अदानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं में जिन ऑफशोर फंड्स की संलिप्तता रही है वो काफी अस्पष्ट और जटिल स्ट्रक्चर वाले हैं।

रिपोर्ट में माधबी पुरी बुच के निजी हितों और बाजार नियामक प्रमुख के तौर पर उनकी भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है अदानी ग्रुप को लेकर सेबी ने जो जांच की है उसकी व्यापक जांच होनी चाहिए।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि व्हिसलब्लोअर से उसे जो दस्तावेज़ हासिल हुए हैं उनके मुताबिक़ सेबी में नियुक्ति से कुछ सप्ताह पहले माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच ने मॉरीशस के फंड प्रशासक ट्रिडेंट ट्रस्ट को ईमेल किया था। इसमें उनके और उनकी पत्नी के ग्लोबल डायनेमिक ऑप्चर्यूनिटीज फंड में निवेश का जि़क्र था।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है माधबी बुच के सेबी अध्यक्ष बनने से पहले उनके पति ने अनुरोध किया था कि संयुक्त खाते को वही ऑपरेट करेंगे। इसका मतलब ये कि वो माधबी बुच के सेबी अध्यक्ष बनने से पहले पत्नी के खाते से सभी एसेट्स हटा देना चाहते थे।

चूंकि सेबी अध्यक्ष का पद राजनीतिक तौर पर काफी संवेदनशील होता है इसलिए उनके पति ने ये कदम उठाया होगा।

हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है, ‘माधबी बुच के निजी ईमेल को एड्रेस किए गए 26 फरवरी 2018 के अकाउंट में उनके फंड का पूरा स्ट्रक्चर बताया गया है। फंड का नाम है ‘जीडीओएफ सेल 90 (आईपीईप्लस फंड 1)’। ये माॉरीशस में रजिस्टर्ड फंड ‘सेल’ है जो विनोद अदानी की ओर से इस्तेमाल किए गए फंड की जटिल संरचना में शामिल था।’

हिंडनबर्ग ने बताया है कि उस समय उस फंड में बुच की कुल हिस्सेदारी 872762.65 डॉलर की थी।

माधबी पुरी बुच ने आरोपों को किया ख़ारिज

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, माधबी बुच और उनके पति ने कहा है,‘हम यह बताना चाहते हैं कि हमारे ऊपर लगाए गए निराधार आरापों का हम खंडन करते हैं।’

उन्होंने कहा है, ‘हमारी जिंदगी और हमारा वित्तीय लेखा-जोखा खुली किताब की तरह है और पिछले कुछ वर्षों में सेबी को सभी आवश्यक जानकारियां दी गई हैं।’

माधबी पुरी बुच और उनके पति ने कहा है, ‘हमें किसी भी और वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई झिझक नहीं है, इनमें वो दस्तावेज भी शामिल हैं जो उस समय के हैं जब हम एक आम नागरिक हुआ करते थे।’

उन्होंने कहा है कि मामले की पूरी पारदर्शिता के लिए हम उचित समय पर पूरा बयान जारी करेंगे।

उन्होंने कहा है, ‘हिंडनबर्ग रिसर्च के ख़िलाफ़ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की थी और कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उसी के जवाब में हिंडनबर्ग रिसर्च ने नाम खऱाब करने की कोशिश की है।’

कौन हैं धवल बुच

माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच फिलहाल मशहूर इनवेस्टमेंट कंपनी ब्लैकस्टोन और अल्वारेज़ एंड मार्शल में सलाहकार हैं। वो गिल्डेन के बोर्ड में नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी हैं।

उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक़ उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई की है। उन्होंने यहां से 1984 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन की थी।

धवल बुच यूनिलीवर में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी थे और बाद में कंपनी के चीफ प्रॉक्यूरमेंट ऑफिसर बने।

बुच ने खुद को प्रॉक्यूरमेंट और सप्लाई चेन के सभी पहलुओं का विशेषज्ञ भी बताया है।

कांग्रेस ने हिंडनबर्ग रिसर्च की इस नई रिपोर्ट के बाद कहा है कि ‘अदानी मेगा स्कैम की व्यापकता की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बननी चाहिए।’

वहीं तृणमूल कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी बुच के इस्तीफे की मांग की है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, ‘ये सेबी चेयरपर्सन बनने के तुरंत बाद बुच के साथ गौतम अदानी की 2022 में दो बैठकों के बारे में सवाल पैदा करता है। याद करें सेबी उस समय अदानी लेनदेन की जांच कर रहा था।’

वहीं टीएमसी प्रवक्ता ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में लंबित जांच को देखते हुए सेबी चेयरमैन को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए और उन्हें और उनके पति को देश छोडऩे से रोकने के लिए सभी हवाई अड्डों और इंटरपोल पर लुकआउट नोटिस जारी किया जाना चाहिए।’

टीएसी नेता महुआ मोइत्रा ने लिखा, ‘ सेबी के चेयरपर्सन का अदानी समूह में निवेशक होना सेबी के लिए टकराव और सेबी पर कब्जा दोनों है। समधी सिरिल श्रॉफ कॉपरेट गर्वनेंस कमिटी में हैं। कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सेबी को भेजी गई सारी शिकायतें अनसुनी हो जाती हैं।’

महुआ मोइत्रा ने अपने एक और ट्वीट में लिखा है कि इस चेयरपर्सन के नेतृत्व में सेबी की ओर से अदानी पर की जा रही किसी भी जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। यह सूचना सार्वजनिक होने के बाद सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्णय पर दोबारा विचार करना चाहिए।

महुआ ने कहा है कि यहां तक कि सेबी की चेयरपर्सन भी अदानी के समूह में निवेशक हैं। उन्होंने सीबीआई और ईडी को टैग करते हुए लिखा है कि क्या आप लोग पीओसीए और पीएमएलए के मामलों को दायर करेंगे या नहीं।

हिंडनबर्ग रिसर्च की यह रिपोर्ट लगभग उस रिपोर्ट के 18 महीने बाद आई है, जब इसने पहली बार अदानी समूह पर आरोप लगाए थे।

जनवरी 2023 में आई इस रिपोर्ट से भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था।

रिपोर्ट में अदानी समूह पर ‘शेयर बाजार में हेरफेर’ और ‘अकाउंटिंग धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया गया था।

हालांकि बंदरगाहों से लेकर ऊर्जा कारोबार में शामिल अदानी समूह ने इन सभी आरोपों से इंकार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई या कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग खारिज कर दी थी।

उसके बाद अदानी समूह ने कहा था कि सच की जीत हुई है।

अदानी समूह ने क्या कहा

माधबी पुरी बुच को घेरने वाली हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट पर अदानी समूह ने भी प्रतिक्रिया दी है। समूह ने एक बयान जारी कर कहा है कि हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए ताजा आरोप में दुर्भावना और शरारत पूर्ण तरीके से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का चयन किया गया है। ताकि निजी लाभ के लिए पहले से तय निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। यह तथ्यों और कानूनों का पूरी तरह उल्लंघन है।

बयान में कहा गया है, ‘ हम अदानी समूह पर लगाए गए आरापों को पूर्ण रूप से खारिज करते हैं। यह आरोप उन बेबुनियाद दावों की री-साइकलिंग है जिनकी पूरी तरह से जांच की जा चुकी है। इन आरोपों को जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले ही खारिज किया जा चुका है।’

इससे पहले कांग्रेस ने एक बयान जारी कर अदानी मामले में उच्च अधिकारियों की कथित मिलीभगत उजागर करने के लिए जेपीसी गठित करने की मांग की थी।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदानी के बाद सेबी चीफ को घेरा, जानिए क्या हैं आरोप (bbc.com/hindi)

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