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पीएम मोदी यूक्रेन से निकले ही थे कि जेलेंस्की ने जो कुछ कहा, उस पर हो रही है बहस
27-Aug-2024 3:04 PM
पीएम मोदी यूक्रेन से निकले ही थे कि जेलेंस्की ने जो कुछ कहा, उस पर हो रही है बहस

पीएम नरेंद्र मोदी के यूक्रेन दौरे की चर्चा अब तक जारी है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 26 अगस्त को पीएम मोदी से जब फोन पर बात की, तो उनके यूक्रेन दौरे को लेकर भी चर्चा हुई।

भारत के विदेश मंत्रालय के जारी बयान के मुताबिक, पीएम मोदी ने बाइडन को यूक्रेन दौरे के बारे में जानकारी दी।

पीएम मोदी ने बातचीत और कूटनीति के ज़रिए समाधान तलाशने की अपनी नीति को दोहराया। उन्होंने इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के जल्द लौटने को लेकर अपना पूरा समर्थन देने की बात कही।

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने भी पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे, वहां मानवीय मदद पहुंचाने और शांति को लेकर भारत की कोशिशों की तारीफ की।

इससे पहले पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे की चर्चा तब से सुनाई देने लगी थी, जब इस दौरे का एलान ही हुआ था।

पहले पीएम मोदी के यूक्रेन जाने की टाइमिंग और मकसद पर सवाल उठे। फिर पीएम मोदी जब यूक्रेन दौरे को खत्म करके भारत लौट ही रहे थे, उसी दौरान यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कहा, उस पर भी जानकारों ने सवाल खड़े किए हैं।

पीएम मोदी के जाते ही जेलेंस्की का रुख़

पीएम मोदी जब यूक्रेन पहुंचे तो ज़ेलेंस्की से गले मिले और इस दौरान कुछ पल ऐसे भी रहे, जिसमें मोदी जेलेंस्की के कंधे पर हाथ रखे हुए नजर आए।

जुलाई में रूस दौरे पर गए मोदी जब पुतिन से गले मिले थे तो इसकी आलोचना करने वालों में ज़ेलेंस्की भी रहे थे।

ऐसे में मोदी का जेलेंस्की से गले मिलने को कुछ लोगों ने संतुलन बनाए रखने से जोडक़र देखा।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी यूक्रेन में हुई प्रेस वार्ता के दौरान एक पत्रकार के पूछे सवाल पर जवाब दिया, ‘दुनिया के जिस हिस्से में हम रहते हैं, वहां लोग मिलने पर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। ये आपकी संस्कृति का हिस्सा नहीं होगा पर मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है। मैंने आज देखा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को भी गले लगाया।’

ज़ेलेंस्की को पीएम मोदी ने भले ही गले लगाया हो लेकिन जैसे ही वो भारत की ओर निकले, जेलेंस्की के बयानों ने दूरियों की ओर इशारा किया।

जेलेंस्की ने आखिर कहा क्या था

ज़ेलेंस्की ने 23 अगस्त को भारतीय पत्रकारों से हुई प्रेस वार्ता में भारत को लेकर कई बातें कहीं। ये बातें भारत को असहज करने वाली थीं।

ज़ेलेंस्की ने कहा था, ‘मैंने पीएम मोदी से कहा कि हम भारत में वैश्विक शांति सम्मेलन रख सकते हैं। ये एक बड़ा देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लेकिन हम ऐसे देश में शांति सम्मेलन नहीं रख सकते जो पहले शांति सम्मेलन में जारी हुए साझा बयान में शामिल नहीं हुआ।’

स्विटजऱलैंड में यूक्रेन में शांति को लेकर सम्मेलन हुआ था। भारत की तरफ से इस सम्मेलन में विदेश मंत्रालय के सेक्रेटरी (पश्चिम) पवन कपूर शामिल हुए थे। इस सम्मेलन के बाद जारी हुए साझा बयान से भारत ने दूरी बनाई थी। भारत ने अपने जूनियर अधिकारी को भेजा था जबकि कई देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक गए थे।

इसके अलावा ज़ेलेंस्की ने रूस से भारत के तेल खरीदने पर भी बात की थी। जेलेंस्की ने कहा था, ‘अगर भारत रूस से तेल ना खरीदे तो उसे बड़ी मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करना होगा।’

यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान भारत ने रूस के तेल खरीदना जारी रखा था। ये खरीद ऐतिहासिक थी और तेल सस्ता होने के कारण भारत को इससे फायदा भी हुआ।

चीन-भारत के संदर्भ में पूछे सवालों के जवाब में ज़ेलेंस्की ने कहा था, ‘अगर पुतिन की हरकतों को जायज़ ठहराया जा सकता है तो मुझे यकीन है कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी इसके अंजाम सीमा नियमों के उल्लंघन के तौर पर देखने को मिलेंगे।’

पुतिन के बारे में जेलेंस्की ने कहा, ‘वो हमारे लिए हत्यारा है। लेकिन मोदी के रूस दौरे के दौरान जब बच्चों के अस्पताल पर हमला किया तो क्या पुतिन ने आपके लिए कुछ अच्छा किया? ये बहुत अहम पल था। पुतिन भारत का सम्मान नहीं करते।’

जेलेंस्की ने कहा था, ‘अगर भारत रूस के लिए अपना रुख़ बदल दे तो युद्ध रुक जाएगा। कई देशों ने रूस से आयात बंद कर दिया है पर भारत ने नहीं किया है। हमें रूसी सेना को ताकतवर बनाने वाले रुपयों को देना बंद करना होगा।’

संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने यूक्रेन में युद्ध को लेकर रूस के खिलाफ लाए गए कई प्रस्तावों से दूरी को बनाए रखा। वैश्विक मंचों पर भारत ऐसी किसी कोशिश में शामिल नहीं दिखा, जहां बात रूस के खिलाफ की जा रही हो।

जेलेंस्की ने कहा, ‘हम इस बात से ख़ुश नहीं हैं कि हमें भारत का साथ नहीं मिला। अब हमें प्रस्तावों से पहले बात करनी होगी। हमारे पास अतीत में जाने का वक़्त नहीं है। मैं कुछ अच्छा और सकारात्मक करना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि भारत हमारी तरफ रहे।’

जेलेंस्की के रुख पर जानकारों ने उठाए सवाल

यूक्रेन के राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया की आलोचना पहले भी होती रही है। जेलेंस्की कई बार अमेरिका और ब्रिटेन को भी सैन्य मदद के मामले में देरी को लेकर आड़े हाथों लेने से बाज नहीं आए हैं।

जेलेंस्की से पिछले साल जुलाई में ब्रिटेन के रक्षा मंत्री और अमेरिका के सुरक्षा सलाहकार ने कहा था कि यूक्रेन को थोड़ी कृतज्ञता दिखानी चाहिए।

ज़ेलेंस्की से ब्रिटेन के तत्कालीन रक्षा मंत्री बेन वालैस ने कहा था, ‘हम इसे पसंद करें या ना करें लेकिन लोग चाहते हैं कि थोड़ी और कृतज्ञता होनी चाहिए। मैंने उनसे पिछली बार कहा था कि हम एमजॉन नहीं हैं कि आप मुझे लिस्ट थमा दें और हम डिलिवर कर दें।’

भारत के पूर्व विदेश सचिव और रूस में भारत के राजदूत रहे कंवल सिब्बल ने सोशल मीडिया पर जेलेंस्की के बयानों पर प्रतिक्रिया दी।

अस्पताल पर रूसी हमले के संदर्भ में कंवल सिब्बल ने कहा, ‘जेलेंस्की की ऐसी अनुचित टिप्पणी गरिमापूर्ण नहीं है। ये कूटनीतिक कुशलता का अभाव है।’

सिब्बल ने लिखा, ‘मोदी के दौरे के बाद जेलेंस्की की टिप्पणी उचित नहीं थी। तेल खरीदने को लेकर भारत को खरी खोटी सुनाई गई, वो भी तब जब महीनों से भारत इस मामले पर अपना रुख बताता आया है। ऐसे में इसे दोबारा छेडऩे की क्या ज़रूरत थी? मोदी के दौरे में रूस के बम गिराने को अपमान से जोडऩा गंदी राजनीति है। भारत की ओर से शांति की कोशिशों और शांति समझौतों को लेकर जेलेंस्की ने जो कहा, वो भी सही नहीं था।’

सिब्बल ने कहा, ‘ज़ेलेंस्की कह रहे हैं कि भारत रूस-यूक्रेन के बीच संतुलन को छोडक़र यूक्रेन की तरफ आ जाए। ये परिपक्व राजनीति नहीं है। मोदी अच्छे इरादे के साथ यूक्रेन गए थे।’

पत्रकार करण थापर को दिए इंटरव्यू में कंवल सिब्बल ने कहा, ‘ज़ेलेंस्की ने जो कहा वो अनुचित, अपमानजनक और बेरुखी से भरा था। जेलेंस्की ने संदेश देने की कोशिश की है। इस मामले में जब अभी तक कोई अंतरराष्ट्रीय जांच नहीं हुई है तो ज़ेलेंस्की ये उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि मोदी जाकर पुतिन से कहेंगे कि तुम जिम्मेदार हो।’

थिंक टैंक रैंड कॉर्पोरेशन में इंडो पैसिफिक के विश्लेषक डेरेक जे ग्रॉसमैन ने पीएम मोदी के ज़ेलेंस्की को गले लगने वाली तस्वीर को साझा कर लिखा- ये बहुत बुरा है कि मोदी सबको गले लगाते हैं और इस कारण इसका कोई मतलब नहीं रह जाता।

ग्रॉसमैन ने बाइडन और मोदी की बातचीत के बाद जारी हुए बयान को साझा करते हुए लिखा- कोई फर्क नजर आया? अमेरिका के बयान में बांग्लादेश का जिक्र नहीं है।

हालांकि भारत की ओर से जारी बयान में लिखा है- बाइडन और मोदी के बीच बांग्लादेश के मुद्दे पर बात हुई।

भारत के पूर्व राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार एमके भद्रकुमार ने रूस की वेबसाइट आरटी के लिए एक लेख लिखा है।

एमके भद्रकुमार लिखते हैं, ‘यूक्रेन के मुद्दे पर भारत के रुख को लेकर ज़ेलेंस्की का असंतोष बढ़ा दिखता है। भारत की नीति पर जैसी बातें कही गईं, उन पर गौर किया जाएगा। हालांकि रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध जारी रहेंगे।’

एमके भद्रकुमार ने कहा, ‘मोदी के ताज़ा दौरे से ये पता चलता है कि रूस से संबंध एक ऐसा क्षेत्र है, जहां अमेरिका और यूक्रेन को जाने की अनुमति नहीं है।’

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने कहा, ‘मोदी का यूक्रेन दौरा न सिर्फ गलत समय पर किया गया बल्कि इस दौरान जेलेंस्की ने मोदी की आलोचना की। उन्होंने न सिर्फ भारत की मध्यस्थता कराने की बात को खारिज किया बल्कि तेल खरीदने और संयुक्त राष्ट्र की वोटिंग में भारत के दूरी बरतने के मुद्दे पर भी घेरा।’

रूस यूक्रेन युद्ध और भारत

भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। पीएम मोदी जुलाई 2024 से पहले भी अतीत में रूस दौरे पर जा चुके हैं।

राजनयिक रिश्तों के करीब तीन दशकों में पीएम मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने यूक्रेन का दौरा किया है।

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस ने आक्रमण किया था। तब से युद्ध जारी है।

हाल ही में रूस के अंदर यूक्रेनी सेना घुसी है और कुछ जगहों पर नियंत्रण पा लिया है।

इस युद्ध में अमेरिका समेत पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ खड़े हैं और रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं।

इस मामले में भारत संतुलन बनाए रखने की नीति अपनाता रहा है। भारत ने प्रतिबंधों के बावजूद रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा था। हालांकि इस पर पश्चिमी देशों की नाराजगी भी देखने को मिली थी, मगर भारत ने अपना रुख नहीं बदला था। इस बीच भारत यूक्रेन को भी मानवीय मदद भिजवाता रहा है।

भारत के विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़, 2021-22 वित्तीय वर्ष में दोनों देशों के बीच 3।3 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था।

वहीं रूस और भारत के बीच करीब 50 अरब डॉलर से ज़्यादा का व्यापार हुआ। दोनों देशों के बीच आने वाले समय में कारोबार 100 बिलियन डॉलर पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।

युद्ध के मामले में जब संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ कोई प्रस्ताव आता तो भारत उससे दूरी बरतता दिखता।

हालांकि पीएम मोदी कई मौकों पर कह चुके हैं कि ये युद्ध का युग नहीं है। पीएम मोदी ने ये बात 2022 में पुतिन से भी कही थी।

(bbc.com/hindi)

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