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छुट्टी या ड्यूटी? कन्याकुमारी में 45 घंटे चले पीएम मोदी के ध्यान को पीएमओ ने ऐसे किया दर्ज
13-Aug-2024 3:06 PM
छुट्टी या ड्यूटी? कन्याकुमारी में 45 घंटे चले पीएम मोदी के ध्यान को पीएमओ ने ऐसे किया दर्ज

-जुगल पुरोहित

30 मई और एक जून 2024 के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘45 घंटों’ के लिए कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान किया।

ये वही दिन थे जब लोकसभा चुनाव अभियान खत्म ही हुआ था।

बीबीसी ने सूचना अधिकार के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जानना चाहा था कि कन्याकुमारी में पीएम मोदी ने जो 45 घंटे बिताए उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में कैसे दर्ज किया गया है।

आवेदन के जवाब में पीएमओ ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोई छुट्टी नहीं ली है। जवाब में यह भी बताया गया कि ‘प्रधानमंत्री हर वक्त ड्यूटी पर रहते हैं’।

उनके कार्यालय ने बीबीसी को बताया है कि मई 2014 में जबसे पीएम मोदी ने कार्यभार संभाला है तबसे उन्होंने एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है।

नरेंद्र मोदी से पहले के भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों में से कुछ ने अपने कार्यकाल में छुट्टियाँ ली थीं और इस बात की जानकारी उन्होंने सार्वजनिक भी की थी।

इस सूची में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल हैं।

समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पीएमओ के पास पूर्व प्रधानमंत्रियों की छुट्टियों की जानकारी मौजूद नहीं है।

अतीत में कई बार प्रधानमंत्री की ग़ैर-मौजूदगी में एक वरिष्ठ मंत्री को जिम्मेदारी सौंपी जाती रही है ताकि कामकाज में किसी तरह की रुकावट ना आए।

प्रधानमंत्री छुट्टी कैसे लेते हैं?

केएम चंद्रशेखर भारत सरकार के कैबिनेट सचिव रह चुके हैं। कैबिनेट सचिव नौकरशाही का शीर्ष पद है।

पूर्व कैबिनेट सचिव चंद्रशेखर ने बीबीसी से बात करते हुए बताया, ‘भारत में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिसके तहत पीएम छुट्टियों की अर्जी डालते हों या फिर छुट्टी माँगते हों, पहले के दौर में जब भी प्रधानमंत्रियों को अपने लिए समय निकालना होता था तब वे राष्ट्रपति को इस बात की जानकारी दे दिया करते थे, और कैबिनेट सचिव को भी अवगत कराते थे।’

यह साफ नहीं है कि पीएम मोदी ने किसी मंत्री को कन्याकुमारी जाने से पहले जिम्मेदारी सौंपी थी या फिर राष्ट्रपति को कोई जानकारी दी थी।

औपचारिक तौर पर कन्याकुमारी में ध्यान करने के मालेकिन पीएम मोदी के ध्यान के कई वीडियो उनके अपने यूट्यूब चैनल और न्यूज एजेंसी एएनआई पर मौजूद हैं जिन्हें कई टीवी चैनलों ने भी प्रसारित किया था।

30 मई को डीडी न्यूज ने अपनी कवरेज में बताया कि पीएम मोदी 30 मई शाम से लेकर एक जून की शाम तक कन्याकुमारी में ध्यान कर रहे हैं।

31 मई की कवरेज में एएनआई ने भी इस बात का जि़क्र किया कि पीएम मोदी रात-दिन साधना में व्यस्त रहेंगे और यह साधना ध्यान मण्डपम के भीतर करेंगे।

बीजेपी के कई नेताओं ने उनके इस कार्यक्रम की सराहना की थी, महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ध्यान का एक वीडियो अपलोड किया था जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘मोदीजी को ध्यान के माध्यम से प्राप्त हुई दिव्य ऊर्जा।’ वहीं विपक्ष के नेताओं ने इसे राजनैतिक कार्यक्रम बताया और आरोप लगाया कि वोटरों को प्रभावित करने के लिए यह कार्यक्रम हो रहा है।

संजय बारू पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे हैं और उन्होंने मनमोहन सिंह के कार्यकाल पर एक किताब भी लिखी है- ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर, मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ डॉ. मनमोहन सिंह’।

पीएम हमेशा ड्यूटी पर रहते हैं?

संजय बारू ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, ‘यह कहना हास्यास्पद है कि पीएम मोदी ने कन्याकुमारी में जो ध्यान किया वह उनकी औपचारिक ड्यूटी का हिस्सा है। क्या लोग जब ध्यान करते हैं तो वह इसे अपने ऑफिशियल काम या ड्यूटी के तौर पर करते हैं?’

‘क्या कोई संगठन अपने कर्मचारी के ध्यान करने को ड्यूटी मानेगा? एक और बात, जब पीएम उपलब्ध नहीं रहते तो उनकी जि़म्मेदारी है कि किसी दूसरे मंत्री को जि़म्मेदारी दें जो सरकार के कामों को चलाता रहे।’

वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने हाल ही में अपनी किताब ‘हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड ’ में प्रधानमंत्रियों की कार्यशैली को बारीकी से जाँचा है।

नीरजा चौधरी को यह बात अटपटी लगी कि पीएमओ ने प्रधानमंत्री मोदी की साधना को ड्यूटी बताया है।

‘पीएम को अधिकार है कि वह पूजा करें, लेकिन इस तरह से साधना को ऑफिशियल ड्यूटी बताना मेरी समझ के बाहर की बात है। उनकी साधना के समय को आधिकारिक ड्यूटी बताने का कोई तर्क नजर नहीं आता मुझे।’

सुधीन्द्र कुलकर्णी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सलाहकार रहे हैं।

उन्हें इस बात में कुछ ग़लत नजऱ नहीं आता कि पीएम मोदी की साधना को ऑफिशियल ड्यूटी बताया गया है।

उनका मानना है कि पीएम हमेशा ड्यूटी पर रहते हैं।

प्रधानमंत्री रहते ली गई वाजपेयी की छुट्टियों को याद करके कुलकर्णी बताते हैं, ‘जब 2000 में उन्होंने केरल में छुट्टी ली थी तब शायद ही ऐसा कोई समय हो जब वह काम में व्यस्त नहीं थे। कुछ न कुछ उनके सामने आ ही जाता है।’

‘मुझे याद है उस दौरान वहाँ के सीएम उनसे मिलने आ पहुँचे और प्रशासन के कुछ लोग भी आए थे। पीएम छुट्टी पर थे लेकिन छुट्टी मना रहे थे, ऐसा मानना ग़लत होगा।’

‘एक और बात जब आप और मैं छुट्टी लेते हैं तब जहां हम काम करते हैं वे संस्थाएँ हमारा काम किसी और को सौंपती हैं लेकिन यह बात पीएम के स्तर पर लागू नहीं हो सकती।’

मनमोहन सिंह ने जब ली थी ‘छुट्टी’

पूर्व कैबिनेट सचिव चंद्रशेखर ने बताया कि चाहें पीएम छुट्टी पर हों या ना हों, उनके लिए हमेशा कर कि़स्म की सुविधाएँ उपलब्ध रहती हैं।

वे कहते हैं, ‘जब भी जरूरत होती है तो उन्हें खींच लिया जाता है, पीएम का स्टाफ, एसपीजी और न्यूक्लियर ब्लैक बॉक्स हमेशा उनके साथ ही चलता है ताकि जो जरूरी कदम है उसे वह उठा पाएँ। मुझे कोई शक नहीं कि यह सारे इंतज़ाम पीएम मोदी जब कन्याकुमारी गये थे तब भी हुए होंगे।’

जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ऑपरेशन होना था तब उन्होंने अपने वरिष्ठतम मंत्री प्रणब मुखर्जी को कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।

टीकेए नायर उस दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव थे।

उन्होंने बताया, ‘हालाँकि हमने कभी मनमोहन सिंह के लिए छुट्टी का आवेदन दिया हो या अजऱ्ी दी हो ऐसा मुझे याद नहीं आता।’

विदेशों में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति अपनी छुट्टियों के बारे में सार्वजनिक तौर पर चर्चा करते हैं।

अमेरिका में राष्ट्रपतियों ने अलग-अलग जगहों पर अपनी छुट्टियाँ बिताई हैं और यह सिलसिला सदियों से चला आ रहा है।

अपने लेख में इतिहासकार लॉरेंस नट्सन लिखते हैं, ‘आज जब एक अमेरिकी राष्ट्रपति छुट्टियाँ मनाने जाते हैं तो वह एयर फ़ोर्स वन के जहाज़ से जाते हैं। उनका कम्युनिकेशन स्टाफ़, सीक्रेट सर्विस, वहाँ की पुलिस और मीडियाकर्मी भी उनसे ज्यादा दूर नहीं होते और उनके हर कदम की खबर देते रहते हैं।’

‘राष्ट्रपति चाहे गोल्फ़ कार्ट में हों या नाव में हों या पहाड़ पर हों, उनके पास जानकारी और बातचीत के साधन उतनी ही आसानी से पहुँच जाते हैं जितनी आसानी से उनके ओवल ऑफिस में।’

छुट्टियों पर विवाद

नट्सन यह भी बताते हैं कि वर्षों से इन छुट्टियों पर विवाद चलता रहा है, विपक्ष छुट्टियों पर हुए खर्च, बार-बार ली गयी छुट्टियाँ और उनके लंबे अरसे को लेकर सवाल उठाता रहा है लेकिन तब भी ‘राष्ट्रपति छुट्टियाँ लेते रहे हैं।’

बात अगर ब्रिटेन की करें तो वहाँ पर भी प्रधानमंत्री जनता के बीच अपनी छुट्टियों की बात रखते हैं।

हालाँकि पीएम को छुट्टियों के दौरान ज़रूरी बातों की जानकारी रहती है लेकिन जाने से पहले वह भी अपने एक मंत्री को नियुक्त करते हैं जो रोज़मर्रा के काम उनकी गैर-मौजूदगी में संभालते हैं।

हाल ही में जब पूर्व पीएम ऋषि सुनक अपने कार्यकाल में पहली बार छुट्टियाँ मनाने अपने परिवार के साथ गए थे तब इसी किस्म की व्यवस्था बनाई गई थी।

नीरजा चौधरी कहती हैं कि नेता छुट्टियों को लेकर कैसा तर्क रखते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके समर्थक छुट्टियों के मसले को कैसे देखते हैं। (bbc.com/hindi)

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