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शिवाजी की प्रतिमा गिरने का मामला पीएम मोदी बोले सिर झुकाकर मांगता हूँ माफी, क्या है पूरा विवाद?
31-Aug-2024 3:37 PM
शिवाजी की प्रतिमा गिरने का मामला पीएम मोदी बोले सिर झुकाकर मांगता हूँ माफी, क्या है पूरा विवाद?

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के मालवन में राजकोट किले में बनी छत्रपति शिवाजी की मूर्ति ढहने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्रपति शिवाजी से माफ़ी मांगी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, मैं इस घटना पर सिर झुका कर माफी मांगता हूं। हमारे लिए शिवाजी आराध्य देव हैं।

उन्होंने यह बयान शुक्रवार को राज्य के पालघर जि़ले में वधावन बंदरगाह परियोजना के शिलान्यास समारोह के दौरान दिया।

मोदी ने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल हमारे लिए एक महान व्यक्ति हैं, बल्कि वह हमारे आदर्श हैं। मैं उस मूर्ति के चरणों में झुक रहा हूं और अब उनसे माफी मांग रहा हूं।

राजकोट किले में लगी शिवाजी की 35 फ़ुट की मूर्ति 26 अगस्त को ढह गई थी। इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कहा था कि वो इस घटना पर सौ बार माफी मांगने को तैयार हैं। वहीं राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार भी इस घटना के लिए माफी मांग चुके हैं।

शिवाजी की इस प्रतिमा का अनावरण बीते साल प्रधानमंत्री मोदी ने नौसेना दिवस के दिन किया था।

इस मूर्ति को लगाने का उद्देश्य शिवाजी की मराठा नौसेना और समुद्री सीमाओं की रक्षा की उनकी कोशिशों के प्रति सम्मान दिखाना था।

मूर्ति के ढहने के बाद विपक्षी महाविकास अघाड़ी ने सत्ताधारी बीजेपी-शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट)-एनसीपी (अजित पवार गुट) गठबंधन पर निशाना साधा है और माफ़ी की मांग की है।

मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री ने भी मांगी माफी

29 अगस्त को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज से माफी मांगी थी।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वह शिवाजी महाराज के चरणों में सौ बार सिर रखने को तैयार हैं।

उन्होंने कहा था, शिवाजी महाराज हमारे भगवान हैं, हमारी पहचान हैं। इस मामले का राजनीतिकरण न करें। वे माफ़ी की मांग कर रहे हैं, लेकिन मैं एक बार नहीं, बल्कि सौ बार छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में अपना सिर रखने के लिए तैयार हूं। मुझे इससे कम महसूस नहीं होगा क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे आदर्श हैं।

उन्होंने यह भी मांग की है कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि जल्द से जल्द छत्रपति शिवाजी की मज़बूत मूर्ति लगाने के लिए क्या किया जा सकता है।

इस संबंध में 29 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास 'वर्षा' पर एक अहम बैठक हुई। जिसमें तमाम अधिकारी और नौसेना अधिकारी भी मौजूद रहे।

छत्रपति शिवाजी की मूर्ति ढहने के मामले में 29 अगस्त को राज्य सरकार ने जांच के लिए नौसेना के नेतृत्व में एक संयुक्त समिति बनाई थी।

नौसेना ने बताया है कि इस समिति में राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ-साथ नौसेना के अधिकारी और तकनीकी जानकार शामिल होंगे।

वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस मामले में एक दूसरी समिति की भी घोषणा की है। ये समिति मूर्ति की जगह पर जल्द से जल्द एक और मूर्ति लगाने के लिए काम करेगी।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कह चुके हैं कि मूर्ति तेज़ हवाओं के कारण गिरी थी।

बुधवार को इस मामले में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने मूर्ति गिरने पर माफी मांगी।

लातूर जिले में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, मैं महाराष्ट्र के 13 करोड़ लोगों से माफी मांगता हूं। छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे भगवान हैं और ये घटना यह हम सभी के लिए झटका है कि उनकी प्रतिमा एक साल के भीतर ढह गई।

प्रतिमा के केवल आठ महीनों के भीतर ढह जाने के बाद, इसकी काम की गुणवत्ता और इसके अनावरण में जल्दबाजी को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है।

सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी महाविकास अघाड़ी के बीच इस मुद्दे पर खींचतान देखी गई।

मूर्ति को लेकर विवाद

मूर्ति ढहने के मामले में बुधवार को बीजेपी नेता नारायण राणे और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई और इस वजह से तनाव भी पैदा हो गया।

बुधवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के नेता आदित्य ठाकरे ने इस किले का दौरा किया और वहां विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की।

आदित्य ठाकरे के साथ इस दौरान अंबादास दानवे, वैभव नाइक और एनसीपी (शरद पवार) नेता जयंत पाटिल और कई समर्थक थे।

इसके जवाब में नारायण राणे के समर्थकों ने भी नारेबाज़ी कर विरोध जताने की कोशिश की। उनके साथ नीलेश राणे भी वहीं थे। पुलिस की ओर से दोनों गुटों से बातचीत कर तनाव कम करने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली।

इस दौरान भ्रम की स्थिति से बचने और मध्यस्थता के जरिए रास्ता निकालने के लिए शरद पवार गुट के नेता जयंत पाटिल भी नीलेश राणे के साथ चर्चा करते नजऱ आए।

बाद में पत्रकारों से बात करते हुए जयंत पाटिल ने कहा, केवल आठ महीने पहले बनाई गई मूर्ति गिर गई है। यह मूर्ति नहीं गिरी है, महाराष्ट्र का गौरव गिरा है।

जयंत पाटिल ने कहा, मुख्यमंत्री कहते हैं कि तेज़ हवा चल रही थी इसलिए मूर्ति गिरी। अगर ऐसा होता तो दो या तीन पेड़ गिर जाते, लेकिन केवल मूर्ति ही गिरी। इसका मतलब है कि मूर्ति का काम सही तरीके से नहीं हुआ था। मूर्ति का काम किसी कम एक्सपीरियंस वाले व्यक्ति को गया था। जिसे दो फु़ट की मूर्ति बनाने का अनुभव है उसे 35 फु़ट की मूर्ति का काम दिया गया।

सरकार का कहना है कि मूर्ति नौसेना ने बनाई है। सरकार हाथ नहीं जोड़ेगी। यह सरकार की जि़म्मेदारी है। नौसेना के लोगों ने वहां मूर्ति स्थापित की लेकिन मूर्तिकार को किसने खोजा? नौसेना को इसके बारे में किसने जानकारी दी? यह कैसे विकास है? मूर्ति का ठेका किसे, कैसे मिला, इन सभी बातों की जांच होनी चाहिए।

महाविकास अघाड़ी की प्रेस कॉन्फ्रेंस

महाविकास अघाड़ी ने रविवार यानी एक सितंबर को मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास लगी शिवाजी की प्रतिमा के पास सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की घोषणा की है।

एनसीपी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस प्रदेश प्रमुख नाना पटोले की मौजूदगी में मातोश्री में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने कहा, महाविकास अघाड़ी सरकार के विरोध में प्रदर्शन करेगी और सितंबर एक को हूतात्मा चौक से लेकर गेटवे ऑफ इंडिया तक मार्च करेगी।

उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की इस सफाई को भी ये कह कर खारिज कर दिया कि ये बेशर्मी की हद है।

उद्धव ठाकरे ने कहा, अब राजकोट घटना के विरोध में विपक्ष जो विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने जा रही है उसमें मोदी सरकार के दलाल और शिवद्रोही रास्ता रोक रहे हैं। हवा के झोंके से महाराज की मूर्ति गिरने का कारण बताना बेहद शर्मनाक है।

उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। सत्ताधारी गठबंधन सरकार का भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है और प्रशासन में स्थिति खराब हो गई है।

विपक्ष हमलावर

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने विपक्ष पर इस मामले को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया था।

इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने कहा, इसमें राजनीति कहां है? शिवाजी महाराज के शासनकाल के दौरान जब एक लडक़ी के साथ बलात्कार हुआ तो शिवाजी ने व्यक्ति के हाथ और पैर कटवा दिए थे। उन्होंने लोगों के सामने अपराध को लेकर इतना सख्त रुख अपनाया था, लेकिन आज भ्रष्टाचार हुआ है। वो भी शिवाजी की प्रतिमा बनाने के फ़ैसले में।

उन्होंने कहा, जहां-जहां प्रधानमंत्री खुद गए हैं, वहां-वहां प्रतिमा गिरी है। इससे पता चलता है कि भ्रष्टाचार किस हद तक पहुंच गया है। इसलिए विपक्षी गठबंधन ने महाराष्ट्र के लोगों से अपील करने और यह विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।

वहीं नाना पटोले ने कहा, प्रतिमा के उद्घाटन के मौके पर खुद नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री मौजूद थे। लेकिन प्रतिमा लगाने के लिए सभी प्रक्रियाएं पूरी नहीं की गई हैं। इसका उद्घाटन में तब तक नहीं जाना चाहिए था जब तक कि संस्कृति मंत्रालय ने प्रतिमा को प्रमाणित नहीं कर दिया था। लेकिन यह सब यह दिखाने के लिए किया गया कि वो कितने शिव प्रेमी हैं।

सत्ता पक्ष का पलटवार

महाविकास अघाड़ी की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी सांसद नारायण राणे ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और महाविकास अघाड़ी की कड़ी आलोचना की।

उन्होंने कहा, शिवाजी की मूर्ति गिरने की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। बारिश के मौसम में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण प्रतिमा ढह गई। मैं और जनता चाहते हैं कि किसी पर आरोप लगाने की बजाय इस मूर्ति को बनाने वालों की जांच होनी चाहिए। यह मूर्ति क्यों गिरी इसकी वजह सामने आनी चाहिए।

नारायण राणे ने कहा, उन्होंने हमें शिवसेना का गद्दार कहकर हमारी आलोचना की है, जबकि उन्होंने खुद शिवसेना के बनने के बाद से छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदुत्व को अपनी कमाई का साधन बना लिया है।

हमने कम से कम छत्रपति शिवाजी महाराज की एक मूर्ति लगाई है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के खर्च पर अपने पिता की मूर्ति बनवाई इसलिए इस मामले पर बोलने का उन्हें कोई नैतिक अधिकार नहीं है। (bbc.com/hindi)

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