विचार / लेख

ऑस्ट्रेलिया में लोगों को ड्यूटी टाइम के बाद ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ का अधिकार मिला
27-Aug-2024 4:12 PM
ऑस्ट्रेलिया में लोगों को ड्यूटी टाइम के बाद ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ का अधिकार मिला

-जोआ ओ द सिल्वा

ऑस्ट्रेलिया में ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ का एक नया नियम लागू हो गया है, जिसमें उन लोगों को राहत दी गई है जो दफ्तर में काम के बाद कंपनी के कॉल्स और मैसेज का जवाब देने के लिए मजबूर महसूस करते हैं।

नया क़ानून कर्मचारियों को ड्यूटी टाइम के बाद किसी भी संदेश को बिना बॉस के डर के नजऱअंदाज करने की आजादी देता है।

पिछले साल प्रकाशित एक सर्वे में यह बताया गया था कि ऑस्ट्रेलियाई लोग बिना किसी भुगतान के सालभर औसतन 280 घंटे ओवरटाइम करते हैं।

20 से ज़्यादा देशों में, खासतौर पर यूरोप और लैटिन अमेरिका में यह नियम लागू है।

इस क़ानून में नियोक्ताओं (एम्प्लॉयर्स) को ड्यूटी टाइम के बाद कर्मचारियों से संपर्क बनाने से नहीं रोका गया है।

इसकी बजाय, यह कर्मचारियों को तब तक जवाब नहीं देने का अधिकार देता है, जब तक उनके इनकार को अनुचित ना माना जाए।

इस क़ानून के अनुसार, नियोक्ताओं और कर्मचारियों को आपस के विवाद को खुद ही सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए।

दोनों विवाद को सुलझाने में असफल रहते हैं तो ऑस्ट्रेलिया का फ़ेयर वर्क कमिशन (एफड़ब्ल्यूसी) हस्तक्षेप कर सकता है।

एफड़ब्ल्यूसी नियोक्ता को ड्यूटी टाइम के बाद संपर्क बनाने से रोकने का आदेश दे सकता है।

अगर उसे लगता है कि किसी कर्मचारी का जवाब नहीं देना अनुचित है तो वह उन्हें जवाब देने का आदेश दे सकता है।

एफड़ब्ल्यूसी के आदेशों का पालन नहीं करने पर कर्मचारी पर 19,000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर (कऱीब 10 लाख रुपये) और किसी कंपनी पर 94,000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर (कऱीब 53 लाख रुपये) का ज़ुर्माना लगाया जा सकता है।

कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने इस क़ानून का स्वागत किया है।

ऑस्ट्रेलियाई ट्रेड यूनियन परिषद ने कहा, ‘यह कर्मचारियों को ड्यूटी टाइम के बाद अनुचित संपर्क से इंकार करने और बेहतर वर्क लाइफ को संतुलित करने में सक्षम और सशक्त बना।’

एक वर्क प्लेस विशेषज्ञ ने बीबीसी को बताया कि नए नियम नियोक्ताओं की भी मदद करेगा।

स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के जॉन हॉपकिंस ने कहा, ‘कोई भी संगठन जिसके कर्मचारी बेहतर आराम करते हैं और जिनकी वर्क लाइफ का संतुलन अच्छा है, उनके बीमार होने की संभावना कम होगी और कंपनी छोडऩे की भी संभावना कम होगी। इससे भी कर्मचारी को फायदा होगा और वह नियोक्ता के लिए भी फायदेमंद होगा।’

हालांकि, कर्मचारियों ने नए क़ानून पर मिलाजुली प्रतिक्रिया दी है।

विज्ञापन उद्योग में कार्यरत राचेल अब्देलनौर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, ‘मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि इस तरह के कानून हों।’

‘हम अपना बहुत सारा समय फोन पर बिताते हैं, पूरा दिन ईमेल से जुड़े रहते हैं और मुझे लगता है कि इसे बंद करना वाक़ई मुश्किल है।’

हालांकि, दूसरों को नहीं लगता कि नए नियमों से उन्हें कोई खास फर्क पड़ेगा।

वित्तीय उद्योग में कार्यरत डेविड ब्रेनन ने रॉयटर्स से कहा, ‘मुझे लगता है कि यह एक बेहतरीन आइडिया है। मुझे उम्मीद है कि यह लोगों को पसंद आएगा। हालांकि, सच कहूं तो मुझे संदेह है कि यह हमारी इंडस्ट्री में काम करेगा।’

उन्होंने कहा, ‘हमें अच्छा वेतन मिलता है, हमसे नतीजे की उम्मीद की जाती है और हमें लगता है कि दिन में 24 घंटे काम करना है।’(bbc.com/hindi)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news