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बांग्लादेश में नहीं रुक रहे पत्रकारों पर हमले
16-Aug-2024 4:10 PM
बांग्लादेश में नहीं रुक रहे पत्रकारों पर हमले

बांग्लादेश में भारी उथल-पुथल के बीच पत्रकारों पर भी हमले हो रहे हैं. चटगांव प्रेस क्लब पर हुए एक हमले में 20 पत्रकारों के घायल होने की खबर है. कई पत्रकारों को नौकरी से भी निकाला जा रहा है.

 
 

डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-  

बांग्लादेश की समाचार वेबसाइट 'डेली स्टार' के मुताबिक, 14 अगस्त को कुछ लोगों ने चटगांव प्रेस क्लब पर हमला कर दिया। हमलावर क्लब के मुख्य दरवाजे का ताला तोडक़र अंदर घुस गए, तोड़-फोड़ की और कई पत्रकारों के साथ मारपीट की। कम-से-कम 20 पत्रकार घायल हो गए।

क्लब के अध्यक्ष सलाहुद्दीन रेजा ने 'डेली स्टार' को बताया कि हमलावरों की संख्या 30 से 40 थी। उनके मुताबिक, हमलावरों का नेतृत्व बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) से जुड़े लोग कर रहे थे। बाद में सेना की एक टीम ने पत्रकारों को बचाया।

ढाका के धानमंडी में स्थित राष्ट्रीय स्मारक संग्रहालय सूना पड़ा हैढाका के धानमंडी में स्थित राष्ट्रीय स्मारक संग्रहालय सूना पड़ा है

बांग्लादेश में राष्ट्रीय शोक दिवस को रद्द कर दिए जाने को आने वाले समय के लिए एक बड़े संकेत के रूप में देखा जा रहा हैतस्वीर: ष्ठङ्ख

देश में कई हफ्तों से चल रहे हिंसा के दौर में इससे पहले भी कई पत्रकारों को निशाना बनाया गया है। अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने 9 अगस्त को ही एक बयान जारी कर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा करने की अपील की थी।

और बढ़ सकता है तनाव

आरएसएफ के मुताबिक उस समय तक हुए हमलों में पांच पत्रकारों की जान जा चुकी थी, 250 घायल हो गए थे और नौ टीवी चैनलों पर हमला हो चुका था। हालांकि उस समय आरएसएफ ने इन हमलों के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पुलिस और समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया था।

51 पत्रकारों की सूची

आरएसएफ का कहना था कि इन हमलों के साथ-साथ कोई भी ऐसा जवाबी हमला भी नहीं होना चाहिए, जिसमें हसीना से जुड़े होने के आरोपों का सामना कर रहे पत्रकारों को निशाना बनाना जाए।

देश में आंदोलन करने वाले छात्रों ने 'भेदभाव-विरोधी छात्र आंदोलन' के बैनर तले 51 पत्रकारों की एक सूची जारी की और मांग की कि इन्हें राष्ट्रीय प्रेस क्लब से बैन कर दिया जाए। उन्होंने मांग की कि इन पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि इन लोगों ने छात्रों और जनता के खिलाफ हिंसा को भडक़ाया था।

बांग्लादेश में पत्रकारों पर हमले के विरोध में त्रिपुरा के अगरतला में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते दिन 10 मीडिया कंपनियों के पत्रकारों ने अगरतला प्रेस क्लब के सामने काल पट्टे पहन कर अपना विरोध प्रकट किया।

11 अगस्त को अगरतला प्रेस क्लब के अध्यक्ष जयंता भट्टाचार्य ने कहा था कि बांग्लादेश में कई पत्रकारों के नाम अरेस्ट वारंट भी जारी कर दिए गए हैं। बांग्लादेशी वेबसाइट बीडीन्यूज24 के मुताबिक, एकत्तोर टीवी नाम की मीडिया कंपनी ने दो वरिष्ठ पत्रकारों को नौकरी से निकाल दिया।

वेबसाइट के मुताबिक, इन दोनों पत्रकारों का नाम छात्र आंदोलन के संयोजक अब्दुल कादिर अब्दुल हनन मसूद द्वारा प्रेस क्लब को भेजी गई पत्रकारों की सूची में था। छात्र नेताओं ने इन पत्रकारों पर बैन लगाने की मांग की है।

राष्ट्रीय शोक दिवस रद्द

इस बीच देश में राष्ट्रीय शोक दिवस को लेकर भी काफी उथल-पुथल चल रही है। 15 अगस्त 1975 को ढाका में देश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के कई सदस्यों की एक सैन्य तख्तापलट में हत्या कर दी गई थी।

बांग्लादेश में इस दिन को राष्ट्रीय शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है। ढाका के धानमंडी इलाके में मुजीबुर रहमान का पूर्व आवास है, जहां यह हत्याकांड हुआ था। बाद में शेख हसीना की सरकार ने इस आवास को बंगबंधु स्मारक संग्रहालय में बदल दिया और हर साल लोग यहां इकठ्ठा होकर श्रद्धांजलि देते हैं।

इस बार अंतरिम सरकार ने शोक दिवस ना मनाने का आदेश दिया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, स्मारक के बाहर छात्र तैनात हैं जो आने-जाने वालों की जांच कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कहीं कोई वहां आकर श्रद्धांजलि ना दे दे।

इसी दिन ढाका के बनानी इलाके में रहमान के अलावा मारे गए बाकी 18 लोगों की कब्र पर भी बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने आते हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस बार वहां भी कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा है।

शेख हसीना के खिलाफ आपराधिक मामले

इस बीच शेख हसीना के खिलाफ हत्या के आरोपों में जांच शुरू कर दी गई है। जुलाई में देश में हुई हिंसा में मारे गए लोगों में से दो मृतकों के परिवारों ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ हत्या के आरोप लगाए हैं। इनमें हसीना सरकार के कई मंत्रियों और अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। (डॉयचेवैले)

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