विचार / लेख

अदानी राष्ट्रवाद, और रिलायंस मास्टरस्ट्रोक
12-Aug-2024 1:16 PM
अदानी राष्ट्रवाद, और रिलायंस मास्टरस्ट्रोक

-रविन्द्र पतवाल

कई भक्त खुश हैं कि स्टॉक मार्किट में शुरू में कुछ गिरावट के बावजूद सब कुछ नॉर्मल है, चंगा है।

उन्हें यही समझाया गया है कि हिंडनबर्ग में ज़ोर्ज सोरोस का पैसा लगा है, और वह भारत के स्टॉक मार्किट में झटका देकर, भारी मुनाफा कमाता है। इसलिए अगर वह विफल रहता है तो देश मजबूत करने में भक्त योगदान दे रहे हैं। वैसे अडानी के सभी शेयर्स में -1.5त्न से लेकर अदानी एनर्जी में -3.8त्न, अदानी टोटल गैस में -4.40त्न की गिरावट दिख रही है।

फिर दोपहर के बाद पश्चिम के निवेशक जब मार्किट में निवेश या बिकवाली करेंगे तब पता चलेगा कि इसे रोकने के लिए कितना मेहनत काम आया।

मेरी विनती है कि वे कुछ बातों को ध्यान से समझने की कोशिश करें, और फिर विचार करें कि क्या वाकई में शेयर बाजार की जो तेजी देखने को मिल रही है, उससे भारत का कोई फायदा हो रहा है?

आज ही खबर छपी है कि रुढ्ढष्ट इस वर्ष 1.25 लाख करोड़ रूपये शेयर बाजार में लगाने का इरादा रखती है। इसमें पैसा किसका है?

एक तरफ तो क्रक्चढ्ढ लगातार देश से अनुरोध कर रहा है कि आम लोग अब बैंकों में बचत को शेयर बाजार में डाल रहे हैं, जिससे सरकार के लिए कैपेक्स का जुगाड़ करने के लिए पश्चिमी देशों के निवेशकों के सामने बांड जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ पर्सनल लोन लेकर करोड़ों लोग आईफोन या शेयर बाजार में पैसा लगाकर बर्बाद हो रहे हैं।

आखिर ये पैसा भी तो वहीं जा रहा है। हमारे हाथ में क्या आ रहा है?

फिर शेयर बाजार में जो कंपनियां अपनी औकात से दस गुना, बीस गुना मार्किट वैल्यू दिखा रही हैं, वे एक भी नया पैसा नया प्लांट लगाने, लाखों रोजगार पैदा करने पर तो लगा नहीं रही हैं। वे तो यूरोप और खाड़ी देशों में रियल एस्टेट में निवेश कर रही हैं।

अगर शेयर बाजार गिरता है तो और इन कंपनियों की असली वैल्यूएशन पर कारोबार होता है, तो इन पूंजीपतियों और मध्य वर्ग के बचत का पैसा भी नए कल कारखाने या बैंकों में जमा होने से देश के काम आता और सही तरीके से यह धन देश के विकास में खपता।

पता नहीं 6त्न संगठित क्षेत्र के शेयर के भाव से पूरे देश का भला कैसे हो सकता है? कोई समझदार निवेशक इसे बता सके तो मेहरबानी होगी। अंधभक्त नहीं, क्योंकि वे तो बुच के सेबी को अदानी की जेबी संस्था बना देने को ही राष्टप्तवाद समझते रहेंगे और रिलायंस के 40 हजार नौकरियों को खत्म करने को मास्टर स्ट्रोक और देश की जीडीपी के 10त्न के बराबर होने को ही विश्व गुरु बनने का प्रमाण बता सकते हैं। वे तो चाहते ही हैं कि जिओ ही एकमात्र मोबाइल सेवा प्रदाता बन जाये, और हर महीने हर भारतीय से 5000 रुपये वसूल कर दुनिया का सबसे धनी परिवार बन जाये। इसलिए वे रहने दें।

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