कोरिया

एंबुलेंस न मिली, पंडो परिवार का डेढ़ वर्ष का मासूम ने मां की गोद में तोड़ा दम
07-Aug-2021 2:32 PM
 एंबुलेंस न मिली, पंडो परिवार का डेढ़ वर्ष का मासूम ने मां की गोद में तोड़ा दम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रामानुजगंज/बैकुंठपुर, 7 अगस्त। कुछ दिनों से डेढ़ वर्षीय मासूम पंडों बालक की तबीयत खराब थी, शुक्रवार की रात अचानक तबियत बिगड़ी, 108 संजीवनी एक्सप्रेस को कॉल किया, 102 महतारी एक्सप्रेस के साथ एंबुलेंस की खोज की गई, परन्तु कोई सुविधा नहीं मिलने पर बीमार बच्चे के साथ बाइक में माता-पिता उसे लेकर निकले लेकिन रास्ते में ही मां की गोद में बच्चे ने दम तोड़ दिया। सुबह मामले की जानकारी ‘छत्तीसगढ़’ ने सीएमएचओ को दी।

पंडो बच्चे की मौत के मामले में बलरामपुर सीएमएचओ डॉ. बसंत सिंह का कहना है कि मामले की जानकारी ‘छत्तीसगढ़’  से मिली है, मंै देखता हूं, कुछ देर बाद उन्होंने दुबारा कॉल कर बताया कि मृतक के परिजनों से उनकी बात हुई है। 108 पर कॉल नहीं गया, रात में 108 के कोऑर्डिनेटर के पास मैसेज आया था, जो वे 3 बजे देख पाए, उसके बाद उनका फोन नहीं लग पाया। मृतक के परिवार से उनका संपर्क नहीं हो पाया है। हमारी विभाग की टीम को मौके पर भेजा है। मृतक परिवार के प्रति मेरी पूरी संवेदना है।

जानकारी के अनुसार बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के रामचंद्रपुर क्षेत्र के ग्राम सिलाजू निवासी पीडि़त मासूम बालक के पिता विनोद पंडो ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि घटना दिवस 6 अगस्त को शाम ढलने के बाद उसके बेटे सूरज (डेढ़ वर्ष) की तबियत बिगडऩे लगी और बालक ऊपर-नीचे सांस लेने लगा। जिसके बाद परिवार वालों ने तत्काल बालक को उपचार कराने के लिए रामानुजगंज या बलरामपुर ले जाने के लिए रामानुजगंज रोड पर आकर 108 संजीवनी एक्सप्रेस को फोन किया। पीडि़त के पिता द्वारा 108 संजीवनी एक्सप्रेस को तीन-चार बार फोन किया गया, लेकिन उधर से फोन किसी ने रिसीव नहीं किया, सिर्फ घंटी बजती रही। इसके बाद पीडि़त के पिता के द्वारा 102 महतारी एक्सप्रेस को फोन किया। इस सेवा को भी उसके द्वारा कई बार फोन किया गया, लेकिन इस सेवा के द्वारा भी फोन नहीं रिसीव किया गया। इस तरह एम्बुलेंस की उम्मीद में सडक़ पर बैठे माता-पिता ने डेढ़ से दो घंटे तक इंतजार किया गया, लेकिन एम्बुलेंस सेवा नहीं मिली। तब बालक की गंभीर होती स्थिति को देखकर किसी का बाईक इंतजाम किया और बाईक में लेकर बच्चे को रामानुजगंज के लिए निकले कि रास्ते में रात्रि में ही ग्राम रेवतीपुर में मासूम बालक की मां की गोद में ही सांस टूट गयी। इस घटना के बाद पीडि़त परिवार अपने घर लौट आया।

पीडि़त के पिता ने बताया कि उसके गांव से रामानुजगंज करीब 40-50 किमी की दूरी पर है, यदि समय पर एम्बुलेंस सुविधा मिल जाती तो उसके बच्चे की जान बच सकती थी। इस घटना के बाद पंडो परिवार टूट गया। बीच रास्ते से ही मासूम बालक के माता का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पीडि़त परिवार स्वास्थ्य व्यवस्था को कोस रहा है।

गौरतलब है कि रामचंद्रपुर क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है, जिसके कारण क्षेत्र के गरीब आदिवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए रामानुजगंज या बलरामपुर की दौड़ लगाना पड़ रहा है। सरकार के विशेष संरक्षित जनजाति पंडो जिन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी माना गया है, उन्हें सरकारी सुविधाओं व योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

रामचंद्रपुर क्षेत्र में नहीं है बेहतर स्वास्थ्य सुविधा
बलरापुर रामानुगंज जिले के रामचंद्रपुर क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। कहने को तो रामचंद्रपुर सहित क्षेत्र के कई गांवों में अस्पताल है, लेकिन उन अस्पतालों में रात के समय तो कोई अस्पताल में मिलता ही नहीं है, ऐसे में मजबूरी में क्षेत्र के लोगों को लंबी दूरी तय कर रामानुजगंज या बलरामपुर आने की मजबूरी रहती है। जिससे कि रात के समय सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ किया जाए तो इस क्षेत्र के गरीब आदिवासियों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल सकेगा। इसके अभाव में आये दिन गरीब परिवार के लोग दम तोडते रहते हैं।

कई एम्बुलेंस हैं, पर किसी काम का नहीं
जानकारी के अनुसार बलरामपुर रामानुजगंज जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास कई एम्बुलेंस मिले हुए हंै। जिनमें से कई रामानुजगंज अस्पताल में तथा बलरामपुर अस्पताल में खड़ी रहती है। इसके बाद भी जिले के गरीब परिवारों को एम्बुलेंस सेवा की सुविधा जरूरत के समय नहीं मिल पाती है।

विशेष संरक्षित जनजाति पंडों सुरक्षित नहीं  
उल्लेखनीय है कि बलरामपुर रामानुजगंज क्षेत्र में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष संरक्षित जनजाति पंडो परिवार के लोग सुरक्षित नहीं है। आये दिन क्षेत्र के पंडो-कोरवा परिवार प्रताडि़त होते रहते हैं। पिछले दिनों एक गांव के कुछ दबंगों के द्वारा बकरा चोरी के आरोप में पंडो परिवार के लोगों को पेड़ से बांध कर पीटा गया था। एक और मामला सामने आया था कि एक वर्ग के लोगों से प्रताडि़त और डर के एक पंडो परिवार जंगल में जाकर निवास कर रहा था। क्षेत्र में पंडो-कोरवा परिवारों की संख्या अधिक है, लेकिन वे सभी गरीबी में जीवन यापन करते हैं। कहने को तो राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहलाते हैं, लेकिन इनकी सुरक्षा भगवान भरोसे है।  

 

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