कोरिया

हमर जंगल हमर जीविका योजना हुई फ्लाप, धंसक गए तालाब, गायब हो गई सडक़ें
07-Aug-2021 5:49 PM
हमर जंगल हमर जीविका योजना हुई फ्लाप, धंसक गए तालाब, गायब हो गई सडक़ें

डीएमएफ से 9 करोड़ की हुई बर्बादी, ग्रामीणों की स्थिति में नहीं आया सुधार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 7 अगस्त।
कोरिया जिले में डीएमएफ और मनरेगा के तहत हमर जंगल हमर जीविका योजना के तहत पंडो और आदिवासियों के उत्थान के नाम पर करोड़ों खर्च कर डाले, बेवजह बेजरूरत स्टापडेम और नलकूप खनन किए गए, तीन साल बीत जाने के बाद अब भी ग्रामीणों को उसका लाभ नहीं मिल सका है, मात्र तीन नलकूप ठीक है बाकि नलकूप बिगड़ ग़ए तो बने तालाबों में एक बूंद पानी नही है तो एक बडा तालाब बारिश में पूरी तरह से धंसक गया। इस पर खर्च किए 9 करोड रूपए बर्बाद हो गए। कई डब्लयुबीएम सडक़ें बनाई गई थी जो आज कही नजर नहीं आती है। अब इस गांव की सुध लेने कोई नहीं आता है।

जानकारी के अनुसार वर्ष 2017-18 में बैकुंठपुर जनपद अंतर्गत ग्राम मुरमा देवखोल में पंडो और आदिवासियों के आर्थिक और सामजिक उत्थान के नाम पर तत्कालीन अफसरों ने हमर जंगल हमर जीविका नामक योजना बना कर वन अधिकार के तहत मिली वन भूमि पर जिला पंचायत के साथ कृषि, उद्यान, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी, आरईएस, जलसंसाधन, मत्सय विभाग ने मिलकर लगभग 9 करोड़ रू खर्च कर डाले, जल संसाधन विभाग ने 7 स्टापडेम और एक मिट्टी का बांध बनाया है, जो किसी काम के नहीं है। 6-6 लाख के 6 और 1 40 लाख की लागत से बनवाया गया है, 10 लाख की लागत से मिट्टी बांध का निर्माण किया गया है। जिसमें एक बडा तालाब पूरी से धंस गया। जबकि स्टापडेम का निर्माण जहां करवाया गया है, उन स्थानों से ग्रामीणों को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिल पाया। वहीं मत्स्य विभाग ने दो बडे तालाब बनाए है, जिसमें लगने वाले गोल गोल पत्थरों को पहाड से इक_ा कर लाया गया, जबकि इसमें बोल्डर लगाया जाना था। अब पूरा क्षेत्र विरान हो चुका है, ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रामीणों ने बिना पूछे अपने मन से डीएमएफ की राशि का जमकर दोहन किया गया, जिसकी जानकारी ग्रामीणों का आज तक नहीं है।

खोदे नलकूप किसी काम के नहीं
मुरमा देवखोल में क्रेडा विभाग को 55 लाख 95 हजार से ज्यादा की राशि डीएमएफ के तहत दी गई। क्रेडा ने 35 नलकूप खनन किया, जबकि ज्यादातर लनकूप खनन के समय ही सूखे निकल चुके थे। सभी में प्रधानमंत्री सौर सुजला योजना के तहत पंप भी लगाए गए, परन्तु बमुश्किल 3 नलकूप ही सही ढंग से पानी दे रहे है, जबकि कुछ में आधा घ्ंांटा पानी आता है तो कुछ में एक घंटा, कई नलकूप सूखे पड़े है, तो कई में पंप ही नहीं डाला गया है, कुछ ऐसे भी जिनके पंप भी खराब हो गए और उन्हें बनवाने के लिए भेजा गया है। सौर उर्जा और कृषि विभाग ने फौरी तौर पर नलकूप खनन कर पंप लगाए और अब ग्रामीण परेशान है।

सूख गए दो लाख मुनगा पेड़
हमर जंगल हमर जीविका योजना के तहत यहां के निवासियों को उनके आर्थिक उत्थान के लिए मुनगा की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना था, इसके लिए कृषि विभाग 4 लाख मुनगा के पौधे रायपुर से मंगवाए गए, परन्तु कृषि विभाग ने कागजों पर कुछ मुनगा मंगाए और कुछ लगवाए, विभागीय लापरवाही ऐसी कि पूरे के पूरे पौधे सूख गए, एक भी पौधा किसी भी काम नहीं आया। बाद में इन सूखें पौधों को किसी भी तरह से यहां से हटा दिया गया ताकि किसी की इस पर नजर नहीं पड सके। वहीं खरीदे गए पौधों को भुगतान फटाफट करा दिया गया।

मूलभूत समस्याएं बरकरार
मुरमा देवखोल में निवास करने वाले पंडो और गोड आदिवासी परिवारों को आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई है। यहां देवघरा नाले के पास रहने वाली रमतिया बाई बताती है कि उनका परिवार आज भी नाले को पानी पीता है, जो पंप खुदवाया गया है उसमें पंप ही नही डाला गया है, इसी तरह यहां बिजली नहीं है लोग वर्षो से अंधेरे में ही गुजर बसर कर रहे है। इसके अलावा देवखोल के कुछ मोहल्ले ऐसे है जहां पीने के पानी के लिए 1 किमी की दूरी तय करनी पडती है।

नहीं पहुंचे मुर्गी बकरे तो बनाया रहवास
मुरमा देवखोल में पशु विभाग द्वारा मुर्ग और बकरी पालन के लिए छोटे छोटे घर बनवाए थे, पूरे क्षेत्र मे आधा दर्जन घरों का निर्माण कर उनमेंं जाली लगावाया गया था, परन्तु आज तक एक भी मुगी पहुंची और ना ही बकरी, जिसके बाद एक दो घरों में बारिश से बचने कुछ आदिवासी परिवार निवास कर रहे है। उनका कहना है कि खाली पडे घरो का उपयोग भी हो जा रहा है, मुगै बकरी तो पता नहीं कब आएगेें।

किसानों को पूरा लाभ नहीं मिला
जिला प्रशासन ने वर्ष 2017-18 में डीएमएफ की राशि कृषि विभाग को किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए राशि दी, उसका लाभ किसानों को बहुत कम और ठेकेदारों को ज्यादा हुआ। कृषि विभाग के अधिकारी तो चले गए परन्तु जिस बाबू ने करोड़ो का कार्य करवाया, उसके कारण इस सरकार ने भी उसे काफी काम देकर उसके काम का लाभ उठाया है। 

कृषि विभाग को सिर्फ 3 करोड़ 62 लाख रू सामूहिक नलकूप खनन के लिए डीएमएफ की राशि स्वीकृत की गई, इससे किसानों को कम ठेकेदारों को सीधा लाभ पहुंचाया गया है, किसानों से नि:शुल्क के नाम पर 15 हजार रू की अलग वसूली की गई है। स्वीकृत नलकूप खनन में बैकुंठपुर के 43 किसानों के लिए 58 लाख, जिसमें 35 किसानों के नलकूप खनन का कार्य पूर्ण कर लिया गया, उसके बाद बैकुंठपुर के रटगा मेे 21 किसानों के लिए 26 लाख, खडगवां के 48 किसानों के लिए 62 लाख, वहीं विधायक आदर्श ग्राम में प्रगतिशील 58 किसानों के लिए सामूहिक नलकूप खनन के लिए 79 लाख रू, एफआरए देवखोल में 35 किसानों के लिए 35 लाख रू, एफआरए मदनपुर में 42 किसानों के लिए 42 लाख रू, एफआरए अंतर्गत 52 किसानों के लिए 52 लाख रू, बैकुंठपुर में तेंदुआ में 6 किसानों के लिए 8 लाख रू स्वीकृत किए गए।

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