कोरिया
जिले का नाम मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 24 अगस्त। स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री ने मनेन्द्रगढ़ को जिला बनाने की घोषणा की, एक दिन बाद उन्होंने दो टूक कह दिया कि नाम में कोई परिवर्तन नहीं होगा, उसके बाद सैकड़ों की संख्या में मनेन्द्रगढ़ के लोग विधायकों के साथ मुख्यमंत्री का आभार जताने पहुंचे और वहां जिले का नाम मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर कर दिया गया। जिस पर मनेन्द्रगढ़ के लोग काफी निराश है, वहीं चिरमिरी का नाम आने से वहां जिला मुख्यालय की मांग और तेज हो गई है, तो भरतपुर में भी जिला मुख्यालय की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी मेंं है। वहीं कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में कोरिया बचाव मंच बनाकर क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी गई है।
कोरिया जिले के विभाजन के बाद स्थिति सामान्य होने में अभी समय लगेगा, कोरिया जिले का कामकाज पूरी तरह से ठप सा हो गया है। दो छोटे जिले होने के कारण अधिकारियों में भी अब काम करने की ललक नहीं दिख रही है, वहीं उनमें भी निराशा का भाव स्पष्ट देखा जा रहा है। वहीं जिले भर में लोगों की अलग-अलग राय सामने आ रही है।
भाजपा महामंत्री रामचरित द्विवेदी जब मुख्यमंत्री का आभार जताने रायपुर जा रहे थे, तब उन्होंने लिखा था कि 100 गाडिय़ों का काफिला मनेन्द्रगढ़ से रवाना हो गया है और सिद्ध बाबा का आशीर्वाद लेकर रायपुर रैली निकालेंगे और मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करेंगे। रायपुर में ही रहते शाम होने तक उनका पोस्ट सामने आया कि आज मुख्यमंत्री निवास से मनेन्द्रगढ़ शहर के लोग धोखा खा कर आए हैं, बहुत स्वादिष्ट था। इसके बाद देर रात उन्होंने लिखा कि वहां जाने के बाद किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि प्रदेश के मुखिया का आभार व्यक्त करने का उन्हें यह सिला मिलेगा। उन्होंने आगे लिखा कि वहां मनेन्द्रगढ़ का पक्ष रखने वाला कोई नहीं था। अंत में उन्होंने लिखा है कि अब जिला मुख्यालय कहां बनेगा यह देखने वाली बात होगी।
मूल निवासियों का उनका हक मिले - संजय कमरो
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय कमरो कोरिया जिले के विभाजन को लेकर बैकुंठपुर में आयोजित आमसभा में जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि भरतपुर में 65 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासी और बैगा समाज की है। यह इलाका वर्षों से पिछड़ा हुआ है, यदि भरतपुर में जिलामुख्यालय बनता है तो निश्चित ही यहां के मूल निवासी आदिवासियों का उत्थान में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि यहां के लोग मुख्यालय की दूरी के कारण आज तक एक यातना की तरह यात्रा करते आ रहे है, धनाढ्य और सम्पन्न लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, परन्तु दूरस्थ गांवों में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लिए बड़ी विकराल समस्या है।
आंदोलन की बनी रूपरेखा
एक ओर जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के नगर पालिका काम्पलेक्स में कोरिया बचाव मंच के द्वारा कल से क्रमिक भूख हड़ताल शुरू हो गई है, इसमें हर दिन अलग अलग लोग भूख हड़ताल पर बैठेंगे, पहले दिन कोरिया व्यापार संघ के अध्यक्ष संजय गुप्ता, पूर्व नपा अध्यक्ष शैलेष शिवहरे, नागरिक एकता मंच के संजय जायसवाल, समानता क्रांति संगठन के अमिताभ गुप्ता और महेद्र वैद्य भूख हड़ताल पर बैठे, वहीं समानता क्रांति संगठन के अमिताभ गुप्ता ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष संजय कमरो को भी उनके मूल निवासियों के हक की लड़ाई में कदम कदम से मिलाकर साथ देने की बात की। जिसके बाद गोंडवाना के साथ बडे आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है जिससे जिले का हर वर्ग इससे किसी भी तरह से प्रभावित न हो सके।
चिरमिरी में जारी है क्रमिक भूख हड़ताल
चिरमिरी को मनेन्द्रगढ़ के नवगठित जिले के साथ जोड़ दिया गया है, बावजूद चिरमिरी में जारी क्रमिक भूख हड़ताल बंद नहीं हुई, बल्कि चिरमिरी को जिला मुख्यालय बनाए जाने की मांग अब और तेज हो गई है, बीते 16 अगस्त से शुरू हुई हड़ताल में आमजन की बड़ी भागीदारी देखी जा रही है। महिला पुरूष सब मिलकर हडताल पर बैठ रहे हैं।
लोगों का कहना है कि सिर्फ नाम देने से कुछ नहीं होगा, चिरमिरी को उनका अधिकार भी देना चाहिए, चिरमिरी के लोग पलायन कर रहे हंै, यदि जिला मुख्यालय बन जाता है तो इस पर रोक लगेगी, वहीं उनके पास ऐसे बड़े-बड़े स्थान और जगह है जहां आसानी से सरकारी कार्यालयों की स्थापना की जा सकती है। यहां निवास करने वाले 1 लाख से ज्यादा आबादी को न्याय भी मिल जाएगा।
भरतपुर में विरोध के स्वर
मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के नाम पर बने जिले को लेकर भरतपुर में विरोध शुरू हो गया है, अभी तक कुछ सोशल मीडिया में कांग्रेस के करीबी भरतपुर के नाम पर जिला बनाए जाने को लेकर संतुष्ट रहने का पोस्ट डाल रहे थे, परन्तु अब भरतपुर को न्याय की मांग को लेकर आवाजे बुलंद होने लगी है।
विरोध में उतरे लोगों का कहना है कि मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में से भरतपुर को हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि जुड़े रहने से भरतपुर कभी जिला नहीं बना पाएगा, बैकुंठपुर और मनेन्द्रगढ़ से 100 किमी से ज्यादा दूर इस तहसील को जिला मुख्यालय बनाया जाए या नया जिला घोषित किया जाए, क्योंकि यहा के कई गांव 225 किमी से ज्यादा दूरी पर भी स्थित है।