कोरिया
चेक वापस कर सूची से नाम हटाने की कलेक्टर से मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया) 18 अक्टूबर। जनप्रतिनिधियों द्वारा स्वेच्छानुदान व जनसंपर्क निधि को नियम विरूद्ध बांटने का मामले कोरिया जिले में पुराना है और नियम विरूद्ध तरीके से उक्त निधि की राशि बांट कर सुर्खिया बटोरने में निर्वाचित जनप्रतिनिधि पीछे नहीं रहते। भाजपा के पूर्व मंत्री ने जो किया था तो अब वर्तमान विधायक भी पीछे कैसे रह सकते है। वहीं बिना मांगे मिले चेक से हैरान पत्रकारों ने कलेक्टर को चेक वापस कर सूची से नाम कटवाने की मांग की है।
वहीं विधायक विनय जायसवाल अब कह रहे हैं कि यह उनका अधिकार है कि अपने निधि की राशि किसको भी दे। इसमें गलत क्या है पत्रकारों की भी जरूरत बताया। वहीं प्रदेश किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक श्याम बिहारी जायसवाल का कहना है कि सरकारी पैसे से मीडिया में अपना चेहरा चमकाने का प्रयास विधायक द्वारा किया जा रहा है, जो कि नियमविरूद्ध है। इसे सरकारी राशि का बंदरबांट कहा जा सकता है।
मनेन्द्रगढ़ विधायक विनय जायसवाल बीते दो दिन से सोशल मीडिया में ट्रेंड हो रहे है। इस बार मामला पत्रकारों को स्वेच्छानुदान राशि के तहत चेक देने का है। दरअसल, मनेन्द्रगढ विधायक हाल में दशहरा मिलन समारोह आयोजित अपने जनसंपर्क व स्वेच्छानुदान की राशि गरीबों व जरूरतमंदों को न देकर कई दर्जन पत्रकारों को राशि वितरित कर दी।
पत्रकारों को तो बात समझ नहीं आई, जिन्हें चेक मिला वो हैरान थे, कुछ तो सामने कुछ नहीं कह पाए और कुछ ने तत्काल वापस कर दिया। जो मौके पर नहीं थे उन्हें भी बताया गया कि आपके नाम से भी चेक जारी किया गया है।
पत्रकारों को हैरानी इस बात से थी कि उन्होंने ऐसी कोई मांग की ही नहीं थी। वहीं कुछ चेक मिलने के बाद कुछ नहीं कह पाए वो जानते थे कि यहां चेक वापस भी कर देगें तो स्वेच्छानुदान की सूची से तो नाम गायब नहीं होगा, ऐसे पत्रकारों ने कलेक्टर को आवेदन के साथ चेक देकर स्वेच्छानुदान की सूची से अपना नाम कटवाने की मांग की है।
जानकारी के अनुसार मनेंद्रगढ विधायक डॉ विनय जायसवाल ने करीब 60 पत्रकारों को पांच पांच हजार रूपये की राशि का चेक प्रदान किया।
जरूरतमंद है उपहार में दिया
डॉ विनय जायसवाल द्वारा मीडिया में बताया कि यह उनका अधिकार है कि वो अपनी निधि की राशि किसे दें। उन्होंने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ है और उनकी भी जरूरत है जिसके चलते मैने अपनी निधि की राशि उन्हें उपहार में दिया जो उनके काम आयेगी। साथ ही उन्होनें यह भी आरोप लगाया कि पूर्व में भाजपा विधायक तो अपनी निधि की राशि का उपयोग अपने कपडे खरीदने तथा साज सज्जा के लिए खर्च करते थे।
चुनाव में निरूत्तर कर दिया था स्वेच्छानुदान ने
इसके पूर्व भाजपा शासनकाल में जिले से निर्वाचित पूर्व कैबिनेट मंत्री ने भी अपनी स्वचेच्छानुदान की राशि को रेवड़ी की तरह हाथ खोलकर बांटी। जिसमें कई शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों और व्यापारियों को शिक्षा के नाम पर तो किसी को चिकित्सा के नाम पर तो किसी को किसी और काम से राशि वितरीत की गयी थी। जिसके बाद ऐन चुनाव के वक्त आरटीआई के तहत सूची निकाल कर विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया में वायरल कर दी गई, हर मोबाइल पर पूरी 4 वर्ष की सूची देखकर आम लोगों में नाराजगी बढ़ती गई, चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान स्वेच्छानुदान की राशि के उजागर होने से हुआ, जिसका पार्टी विधानसभा चुनाव में जवाब नहीं दे पाई। विधानसभा चुनाव में स्वेच्छानुदान के कारण पार्टी से ज्यादा लोग मंत्री से नाराज दिखे और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।