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प्रस्तावना भारतीय संविधान की आत्मा है- डॉ. पाण्डेय
27-Nov-2021 8:12 PM
प्रस्तावना भारतीय संविधान की आत्मा है- डॉ. पाण्डेय

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
चिरमिरी, 27 नवंबर।
भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया बहुत लंबी रही है, संविधान सभा में लंबे विचार विमर्श और संवाद के बाद संविधान को अंतिम रूप दिया गया और फिर 26 नवंबर 1949 को संविधान अंगीकृत किया गया। भारतीय संविधान की प्रस्तावना ही संविधान की आत्मा है। उक्त बातें शासकीय लाहिड़ी स्नातकोत्तर महाविद्यालय चिरमिरी के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, राजनीतिशास्त्र  विभाग और हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में संविधान दिवस के अवसर पर ‘भारतीय संविधान- अवधारणा एवं स्वरूप’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में रासेयो कार्यक्रम अधिकारी और हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. राम किंकर पाण्डेय ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहीं।

उन्होंने भारतीय संविधान की अवधारणा उसके विकास की प्रक्रिया और उसमें निहित महत्वपूर्ण प्रावधानों पर विस्तार से अपनी बात रखी।    संविधान दिवस के गरिमामय कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के स्मार्ट कक्ष में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. आरती तिवारी ने की। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान दुनिया का सबसे वृहद संविधान है।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक प्रिंस कुमार सिंह ने मौलिक अधिकार के महत्व पर और ज्योतिर्मय तिवारी ने संविधान में वर्णित नीति निदेशक तत्व और मौलिक कर्तव्यों पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए  डॉ. उमाशंकर मिश्रा ने संविधान के निर्माण की प्रक्रिया का उल्लेख किया। संविधान दिवस पर यह यह आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, राजनीति शास्त्र विभाग और हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुआ, जिसका सफल संचालन डॉ. उमाशंकर मिश्रा ने किया। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम के सामूहिक गान के साथ हुआ, जिसका गायन नंदा हलधर और ईशा ने किया।

उक्त कार्यक्रम में अनुराधा सहारिया, मंजीत सिंह, भागवत जांगडे, मोहिनी राठौर, आकृति तिवारी, रामनारायण पनिका, डॉ. संदीप सिंह, विकास खटिक , विजय बघेल, आदि उपस्थित रहे।

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