कोरिया
कलेक्टर की पहल पर अब मोबाइल एप से ली जाएगी उपस्थिति की जानकारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, (कोरिया), 3 फरवरी । कोरिया जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित स्कूलों का हाल बेहाल है, यहां बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे है। कुछ शिक्षक तो लंबे समय से स्कूल का रूख नहीं किए हैं। क्षेत्र के जनपद पंचायत सदस्य ने जब स्कूल का दौरा किया तो मालूम पड़ा कि शिक्षक लंबे समय से स्कूल नहीं आए हैं। वहीं नवपदस्थ कलेक्टर ने अब जिले भर में मोबाइल एप से शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने की शुरूआत की है।
इस संबंध में जनपद सदस्य चंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मेरे क्षेत्र के भ्रमण के दौरान माध्यमिक शाला सरगुजिहापाठ के बच्चों ने बताया कि उनके स्कूल में तीन शिक्षक पदस्थ हैं, जिसमें एक शिक्षक काशी प्रसाद लंबे समय से स्कूल मे अनुपस्थित है, मंैने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी है ताकि व्यवस्था में सुधार हो सके और हमारे क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा में सुधार आ सके।
जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत भरतपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत खोहरा के ग्राम सरगुजिहापाठ स्थित माध्यमिक शाला में जब क्षेत्र के जनपद सदस्य चंद्रप्रताप सिंह गत दिवस स्कूल निरीक्षण के लिए पहुंचें तो उन्हें जानकारी हुई कि माशा सरगुजिहापाठ में पदस्थ शिक्षक कांशी प्रसाद लंबे समय से नदारद हंै तथा पहले भी आये दिन अक्सर विद्यालय से नदारद रहने की जानकारी मिली। सरगुजिहापाठ का माध्यमिक शाला घघरा सी संकुल अंतर्गत आता है।
गौरतलब है कि कोरिया जिले के स्कूलों में शिक्षकों की कमी कई विद्यालयों में बनी हुई है, खासकर दूरस्थ क्षेत्रों में संचालित स्कूलों मेें शिक्षकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। दूरस्थ एवं वनांचल क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी के साथ ही क्षेत्र के लोगों को शिक्षकों के नियमित रूप से नहीं आने को लेकर शिकायत रहती है। वहीं ब्लाक स्तर पर विभागीय अधिकारियों द्वारा नियमित तौर पर निरीक्षण नहीं करने के कारण भी इस तरह की स्थिति निर्मित होती है।
अब मोबाईल एप से शिक्षकों की उपस्थिति
विद्यालयों में शिक्षकों के आये दिन लेट लतीफी पहुंचने एवं नदारद रहने की शिकायतों के बीच कलेक्टर ने समय सीमा की बैठक में शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान यह निर्णय लिया कि अब जिले के विद्यालयों की शिक्षकों की उपस्थिति विद्यालय मोबाईल एप से होगी। इसके लिए जियो टैग से शिक्षक अपनी उपस्थिति देंगे, यहीं उनकी उपस्थिति का प्रमाण होगा। इस तरह का जिले में पहला प्रयोग हो रहा है। यह कारगर व्यवस्था है, लेकिन जिन क्षेत्रों में मोबाईल कनेक्टिविटी नही है उन क्षेत्रों के लिए परेशानी का सबब भी है।
बायोमेट्रिक सिस्टम बंद हो गये
इसके पूर्व जिले में शिक्षकों की उपस्थिति बायोमेट्रिक तरीके से लेने के लिए प्रत्येक विद्यालयों में टेबलेट खरीदी कर प्रदान की गयी थी। शिक्षकों को टेबलेट में ही अपनी उपस्थिति देनी होती थी जिसमें अंगूठा लगाने के साथ ही समय दर्ज हो जाता था, जिससे पता चलता था कि कौन शिक्षक कितने समय विद्यालय पहुंचा। साथ ही विद्यार्थियों की उपस्थिति, मध्यान्ह भोजन करने वालों बच्चों की जानकारी प्रतिदिन टेबलेट में दर्ज करना था, लेकिन यह योजना कुछ दिनों तक चलने के बाद फेल हो गयी।
वर्तमान में जिले भर के स्कूलों में बॉयोमेट्रिक सिस्टम बंद हो गये हंै और कबाड़ की तरह कचरे में फेंक दिये गये।