कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 3 फरवरी। श्मशान की शासकीय भूमि पर कुछ रसूखदार लोगों ने कब्जा कर रखा है और उक्त जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए डेढ़ दशक से प्रमाणित दस्तावेजों के साथ एक आरटीआई कार्यकर्ता का संघर्ष जारी है।
बताया जाता है कि मनेंद्रगढ़ नगर स्थित मुक्तिधाम की शासकीय भूमि खसरा नं. 438 मिसल बंदोबस्त 1944-45 के अनुसार 1944 से मरघट के लिए तत्कालीन राजा द्वारा आवंटित भूमि है, जो कि 1954-55 के अधिकार अभिलेख एवं निस्तार पत्रक में भी मरघट के लिए आरक्षित भूमि है। उक्त भूमि के अंश भाग को 2004 में कब्जाधारी चिंतामणी यादव द्वारा प्रमोद कुमार अग्रवाल को 1 लाख में बेचा गया, जिसकी स्टांप पर भूमि बिक्री की लिखा-पढ़ी प्रमोद अग्रवाल द्वारा उप संचालक खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को प्रस्तुत कर उक्त भूमि पर मेडिकल दुकान का लायसेंस प्राप्त कर लिया गया।
जब मुक्तिधाम की भूमि पर पहला बेजा कब्जा हुआ, तब अतिक्रमण की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता रमाशंकर गुप्ता द्वारा 22 दिसंबर 2006 को कोरिया की तत्कालीन कलेक्टर शहला निगार को की गई, जिस पर विस्तृत जांच उपरांत कलेक्टर द्वारा 27 दिसंबर 2006 को उप संचालक औषधि प्रशासन रायगढ़ को दवा दुकान का लायसेंस निरस्त करने का आदेश दिया गया। कलेक्टर के आदेश के बाद मुक्तिधाम की भूमि पर अतिक्रमण के संबंध में और विस्तृत जांच कराई गई तथा तहसीलदार मनेंद्रगढ़ का प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात कलेक्टर द्वारा 3 मार्च 2008 को तहसीलदार मनेंद्रगढ़ को अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया, साथ ही औषधि प्रशासन विभाग को पूर्व में 27 दिसंबर 2006 को दवा दुकान का लायसेंस निरस्त करने के आदेश का पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा गया, लेकिन कलेक्टर के आदेश का पालन 13 साल बाद भी नहीं हो सका।
शिकायतकर्ता रमाशंकर गुप्ता ने कहा कि जब उन्होंने वर्ष 2006 में शिकायत की थी, तब श्मशान की शासकीय जमीन पर मात्र एक दवा दुकान थी। उन्होंने कहा कि कलेक्टर के आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने से आज की स्थिति में लगभग डेढ़ एकड़ जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है।
उन्होंने कहा कि 28 अगस्त 2020 को तत्कालीन कलेक्टर कोरिया एसएन राठौर से इस संबंध में शिकायत की गई, जिस पर कलेक्टर द्वारा त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए। कलेक्टर के निर्देश पर 7 सितंबर 2020 को मुक्तिधाम की जमीन पर अतिक्रमण कर दवा दुकान संचालित करने वालों को उप संचालक औषधि प्रशासन द्वारा नोटिस दिया गया एवं 14 सितंबर को सभी की जांच की गई। उसके बाद से आज तक औषधि प्रशासन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।