कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 14 मार्च। असहाय बुजुर्ग महिला को न्याय दिलाने जब अदालत स्वयं चलकर उसके पास पहुंचा तो पूरा माहौल भावुक हो गया। न्याय के प्रति न्यायाधीश के समर्पण भाव की सराहना की जा रही है।
दरअसल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया जिसमें आपराधिक, शमनीय प्रकरण, लिखित पराक्रम्य अधिनियम की धारा 138 के तहत बाउंस का मामला, बैंक रिकवरी के मामले, मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, श्रम विवाद, विद्युत एवं जलकर, वैवाहिक, वित्त संबंधी, भूमि अधिग्रहण, पेंशन से संबंधित, राजस्व व दीवानी प्रकरण, प्री-लिटिगेशन मामले के पक्षकार सभी अपने-अपने राजीनामा योग्य प्रकरणों में आपसी सहमति व मधुर संबंध स्थापित होने के आधार पर राजीनामा करने न्यायालय पहुंचे।
इस बीच मनेंद्रगढ़ में आपराधिक प्रकरण क्रमांक 161 /20, शासन प्रति रेखा श्रीवास्तव बैगरह धारा 294, 323, 506, 34 (दंप्रसं) के तहत अटल आवास रांपाखेरवा मनेंद्रगढ़ निवासी पीडि़ता 50 वर्षीया गुंडडू बाई पति स्व. शीतल प्रसाद भी अपने प्रकरणों को निपटाने के लिए ऑटो के सहारे न्यायालय पहुंची, लेकिन पैरों से असहाय होने की वजह से कोर्ट आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। न्याय के लिए दिव्यांगता उसके आड़े आ रही थी।
लोक अदालत की जानकारी होने पर पीडि़ता ने हौसला जुटाया और न्याय के लिए ऑटो के सहारे न्यायालय तक पहुंची। वहीं न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट एकता अग्रवाल को बुजुर्ग महिला की परेशानियों के बारे में जानकारी हुई तो उनसे रहा नहीं गया और आत्मविभोर हो न्यायालय के सभी त्वरित कार्य को विराम लगाते हुए वे उनसे मिलने ऑटो तक चलकर पहुंचीं।
न्यायाधीश ने सभी पक्षकारों और न्यायालयीन स्टाफ को मौके पर बुलाकर गंड्डू बाई के प्रकरण में राजीनामा करा मुकमदे का निपटारा किया। परिस्थिति को देख बुजुर्ग गुंड्डू बाई के साथ न्यायालयीन स्टाफ और सभी पक्षकार भावविभोर हो गए और न्यायाधीश के समर्पण के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।