कोरिया
बैकुंठपुर (कोरिया) 28 मार्च। कोरिया जिले में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी चैत्र नवरात्र मनाने की तैयारियॉ शुरू हो गयी है, दो वर्ष बाद इस वर्ष कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं है और किसी तरह की प्रशासनिक पाबंदी भी नहीं है, जिससे कि इस वर्ष दुगुने उत्साह के साथ चैत्र नवरात्र मनाई जायेगी। इसके लिए देवी मंदिरों में धूम धाम के साथ चैत्र नवरात्र मनाये जाने की तैयारियॉ शुरू हो गयी है। देवी मंदिरों में आवश्यक साफ सफाई के साथ मंदिरों का रंग रोगन का कार्य किया रहा है, मंदिरों को सजाने के लिए लाईंिटंग की व्यवस्था की जायेगी।
जानकारी के अनुसार इस बार आगामी 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरूआत हो रही है और नवती तिथि 10 अपै्रल को होगी। जानकार के अनुसार इस बार के चैत्र नवरात्र में दो शुभ योग बन रहा है शुभ संयोग के साथ चैत्र नवरात्र की शुरूआत होगी। मातारानी घोड़े पर सवार होकर आयेंगी। इस बार के नौ दिवसीय नवरात्र में 6 दिन सर्वार्थ सिद्धी योग जन रहा है जो पूजा अर्चना के लिए विशेषफलदायक माना जाता है। साथ ही इस योग में विभिन्न तरह की खरीददारी, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार करना अत्यंत शुभ माना जाता हैैं। जानकारी के अनुसार 2 अपै्रल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र के लिए पहले दिन कलश स्थापना की जायेगी और इसके बाद नौ दिनों तक माता के विभिन्न नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है।
मंदिरों में शुरू हो गयी तैयारियां
आगामी 2 अपै्रल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र को लेकर मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गयी है, जिले में स्थित कई जगहों के देवी मंदिरो में चैत्र नवरात्र के अवसर पर उल्लास के साथ भक्तों द्वारा पूजा अर्चना करते है और माता के दर्शन के लिए दूर दूर से भक्त भरी धूप में पूजा अर्चना के साथ माता के दर्शन के लिए पहुॅचते है। जिले के खडगवॉ ब्लाक में जिले का प्रसिद्ध महामाया मंदिर में भी तैयारी शुरू हो गयी है यहां हजारो की संख्या में मनोकामना ज्योत भी जलाये जाते है। यहॉ माता का दर्शन करने के लिए कोरिया जिले ही नही बल्कि पडोसी कोरबा जिले के श्रद्धालुगण भी भारी संख्या में पहुॅचते है।
गांव गांव में बोया जाता है जवारा
चैत्र नवरात्र को लेकर गॉव गॉव में लोगों में उत्साह रहता है इस अवसर पर जिले भर के ग्रामीण अंचलों में जवारा बोया जाता है और पूरे विधि विधान के साथ नौ दिनों तक माता की पूजा अर्चना की जाती है अंतिम दिन सभी जगहों के बोये गये जवारा का जुलस निकाल कर जवारा का विसर्जन किया जाता है। इस दौरान कई लोग अपने शरीर को लोहे से छेदकर चलते दिखाई देते है।
इस अवसर पर गॉव के लोग जवारा के जुलूस में साथ रहते है।