कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 6 अप्रैल। वन विभाग के कर्मचारियों के साथ अब पंचायत विभाग के मनरेगा कर्मी अपनी मॉग को लेकर हड़ताल पर है, वहीं प्रदेश सहकारी कर्मचारी संघ भी हडताल की राह पर जाने के लिए अल्टीमेटम देने की तैयारी में है।
मंगलवार को छत्तीसगढ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संभागीय सह संयोजक राजेन्द्र सिंह और जिला अध्यक्ष अशोक यादव मनरेगा कर्मचारियों को अपना समर्थन देने धरना स्थल पहुंचे,ं श्री सिंह ने कहा कि कर्मचारियों की सरकार में सबसे बड़ी भागीदारी होती है, सरकार का सही रिपोर्ट कार्ड कर्मचारी ही बनाते है, प्रदेश के मुख्यमंत्री हर दिन घोषणा करते है, हम लोगों को प्रत्येक जिले में नेतओं को घोषणावीर की उपाधि से अलंकृत करना चाहिए, परन्तु हम कर्मचारियों को लेकर घोषणा के साथ मांगें माने जाने को लेकर मुख्यमंत्री चुप है, जो सही नहीं है। खैरागढ़ चुनाव में मुख्यमंत्री व्यस्त है, यहां जंगल जल रहे है, वन कर्मी 17 दिन से हड़़ताल पर है। इसके अलावा छत्तीसगढ सचिव संघ ने भी मनरेगा के कर्मियों की हड़ताल को अपना समर्थन दिया।
17वें दिन जारी है हड़ताल
बीते 21 मार्च से अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ वन कर्मचारी संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे है जिससे कि वनों की सुरक्षा भगवान भरोसे हो गयी है। इन दिनों लगातार जिले के वन क्षेत्रों में कही न कही लग रही है लेकिन आग समय पर बुझाई नही जा रही है जिससे कि छोटे पेड पौधों को नुकसान पहुंच रहा है। वन कर्मी अपनी मांगों को लेकर एक पखवाडे से अधिक समय से हड़ताल पर डटे हुए है। वन कर्मियों का कहना है कि हमें भी काफी बुरा लग रहा है, जिन्हें हमने पाल पोस कर बड़ा किया वो जल रहे है, हमारी भी मजबूरी है, सरकार हमारी मांगों केा लेकर गंभीर नहीं है, हमारी सभी मांगें जायज है ऐसा वन मंत्री भी मान चुके है, तो फिर हमारी मांगें माने जाने पर सरकार देरी क्यों कर रही है। यह बड़ा सवाल है।
जाएंगे हड़ताल पर
छग प्रदेश सहकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रभाकर सिंह कहा कि हमारा संघ भी एक सूत्रीय नियमितीकरण की मांग पर सरकार गंभीरतापूर्वक विचार न करते हुए पूर्ण नहीं करती है तो आगामी दिनो में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होगे। उन्होंने बताया कि शासन की विभिन्न योजनाओं को हमारे द्वारा किसानों तक पहुंचाया जाता है, छग में कांग्रेस की सरकार बनते ही वादा किया गया था कि अनियमित कर्मचारियों को नियमित किया जायेगा, लेकिन आज 3 साल से ज्यादा समय बीतने को है फिर भी उनकी सुध नहीं ली गयी है। महंगाई के इस दौर में अल्प वेतनभोगी कर्मचारी परेशान है उन्होंने कहा कि कई बार इस संबंध में शासन से मांग की गयी, लेकिन हर बार हमें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा हैं। इस तरह पिछले कुछ दिनों से विभिन्न विभागों के कर्मियों के द्वारा अपनी अपनी मॉगों को लेकर हड़ताल की राह पकड़ लिये है।
मनरेगा के कार्य पंचायतों में पड़े ठप्प
इधर, जिले भर के मनरेगा कर्मियों ने सोमवार से अपनी मांग नियमितीकरण करने को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए है। जिससे जिले भर में मनरेगा के कार्य पंचायतों में ठप्प है। मनरेगा कर्मियों के हड़ताल का समर्थन रोजगार सहायक भी कर रहे है, जिससे कि ग्राम पंचायतों में मनरेगा के विभिन्न कार्य पूरी तरह से प्रभावित हुए है। ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्य ठप्प होने से ग्रामीण मजदूरों को अपने क्षेत्र में काम नहीं मिल पा रहा है। यदि मनरेगा कर्मियों की हड़ताल लंबे समय तक चलती है तो ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को अपने क्षेत्र में काम नहीं मिलने की हालत में शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा। मनरेगा कर्मियों के हड़ताल के कारण जिले के ग्राम पंचायतों में स्थापित किये गये गौठान के कार्य भी प्रभावित हुए है।