कोरिया
जिला बनने की खुशी में संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष ने दी सौगात
मनेन्द्रगढ़, 6 अप्रैल। मनेन्द्रगढ़ में सभी समाज के लोगों को अपना सामाजिक भवन बनाने के लिए अब जमीन नहीं तलाशनी होगी, जैसे ही मनेन्द्रगढ़ जिला अस्तित्व में आता है, सभी समाज के लोगों को सामाजिक भवन बनाने के लिए अपने भूमिस्वामी हक की जमीन में से नि:शुल्क जमीन दिए जाने की घोषणा मनेन्द्रगढ़ जिला बनाओ संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रमाशंकर गुप्ता ने मंगलवार को की।
स्थानीय लोक निर्माण विभाग के विश्रामगृह में अपनी पत्नी सुषमा केशरवानी के साथ मनेन्द्रगढ़ जिला बनाओ संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रमाशंकर गुप्ता ने प्रेस वार्ता की।
उन्होंने कहा कि मनेंद्रगढ़ नगर जब भी जिला बनेगा, पूरे जिले के लोगों को मनेंद्रगढ़ आने पर ठहरने आदि की सुविधाओं की कमी को पूरी करने के लिए प्रत्येक समाज को अपना एक भवन बनाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने शहर से लगे ग्राम पंचायत चौघड़ा में स्थित अपने भूमि स्वामी हक की भूमि में से सामाजिक भवन बनाने के लिए नि:शुल्क जमीन दिए जाने की घोषणा की।
नवोदित जिला मनेंद्रगढ़ के संबंध में उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 40 सालों के संघर्ष के बाद अब वह क्षण बहुत नजदीक आ गया है, जब मनेंद्रगढ़ जिले के सपने रंगीन होने जा रहे हैं। न्यायालय द्वारा जो 2 सप्ताह का समय दिया गया था वह समय-सीमा भी आज समाप्त हो रही है और जानकारी के अनुसार अभी तक किसी भी आपत्ति के संंबंध में कोई ऐसी सूचना नहीं मिली है, जिससे यह आशंका पैदा हो कि हमारे जिले में कोई व्यवधान पडऩे वाला है।
रमाशंकर गुप्ता ने कहा कि वे प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल से आशा करते हैं कि निर्धारित समय-सीमा समाप्त होते ही वे हमारे जिले के लिए तत्काल घोषणा करें और यहां जिले का कार्य शुरू हो। उन्होंने कहा कि जिले के विकास का जो सपना मनेंद्रगढ़ के लोगों ने देखा था, जिसके लिए यहां के लोगों ने तन, मन और धन से से संघर्ष किया था वह जिला विकास के कौन से नए आयाम छुएगा, उसके लिए कौन सी आधारभूत संरचनाएं होनी चाहिए, विकास का क्या मॉडल हो इस संबंध में उन्होंने मनेंद्रगढ़ नगर के जिला बनने पर प्रत्येक समाज के लिए अपना एक सामाजिक भवन बनाने नि:शुल्क जमीन देने की घोषणा की ताकि भविष्य में प्रत्येक समाज स्वाभिमान के साथ रहने की व्यवस्था कर सके और सामाजिक व पारिवारिक कार्यक्रमों के लिए उन्हें दूसरों का मुँह न देखना पड़े।