कोरिया
पंडो, बैगा, कोडाकू जनजाति का सर्वे कर उनकी जरूरतों का रखा जाएगा ख्याल - कलेक्टर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 15 अपै्रल। 6 बच्चों के पंडों परिवार का गरीबी से हाल बेहाल है, इसकी जानकारी पर मितानीन कार्यक्रम की जिला संयोजक रेखा जायसवाल मौके पर पहुंची, जिसकी जानकारी ‘छत्तीसगढ़’ को लगी, जिसके बाद मामले की जानकारी कलेक्टर कुलदीप शर्मा को दी गई, उन्होंने तत्पर्यता दिखाते हुए पंडों परिवार का राशन मुहैया कराया, पटना से मेटिकल टीम भेजी, साथ ही पंडों परिवार का तत्काल राशन कार्ड बनाने के निर्देश दिए।
कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की योजनाओं को लाभ जनजातियों को मिले इसके लिए प्रशासन सजग है, पंडों, कोडाकू, बैगा जनजातियों के लोगों को सर्वे कराया जाएगा, उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
कोरिया जिले के जनपद पंचायत बैकुंठपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत रक्या के आश्रित ग्राम सीतापुर जो कि कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से लगभग 10-12 किमी की दूरी पर स्थित है। गुरूवार को सरकार की विशेष संरक्षित जनजाति पण्डो महिला के बच्चे की मौत होने के बाद मितानिन कार्यक्रम की जिला कोऑर्डिनेटर रेखा शिवहरे पहुंची तो पता चला कि पण्डों परिवार के यहां खाने के लिए खाद्यान्न भी नहीं है। ‘छत्तीसगढ़’ ने जानकारी कलेक्टर कुलदीप शर्मा को दी गयी, कलेक्टर ने गंभीरता के साथ मामले का संज्ञान लिया। तत्काल बाद रा़ित्र में ही पण्डों परिवार के यहां स्वास्थ्य जॉच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटना की टीम पहुंच गयी और राशन पानी लेकर अधिकारी पहुंच गये।
7वें बच्चे की मौत के बाद बिगड़ी हालत
मितानीन कार्यक्रम की जिला संयोजक शिवहरे की माने तो ग्राम सीतापुर की पण्डो महिला रामबाई के पहले से 6 बच्चे थे और इसी बीच वह गर्भवती हुई, कुछ समय पहले महिला ने अपने सातवे बच्चे को जन्म दिया, लेकिन वह जीवित नहीं बच सका। जिसके बाद महिला की हालत और भी ज्यादा खराब होती रही। महिला में खून की कमी के कारण महिला की हालत दिनों दिन दयनीय होती रही। शिवहरे ने भी पंडों परिवार को खाद्यान के साथ दाल सब्जी की व्यवस्था की, वहीं सूचना के बाद कलेक्टर ने तत्काल सभी तरह के व्यवस्था करने के निर्देश दिये जाने के बाद चिकित्सा टीम ने मौके पर पहुचकर महिला का हाल जाना।
नसबंदी से रोक के कारण पण्डो के ज्यादा बच्चे
जिले में पाये जाने वाले पण्डो जाति को सरकार ने विशेष संरक्षित जनजाति के रूप में चिन्हित किया है। ‘छत्तीसगढ़’़ की खबर के बाद नसबंदी का मामला कोर्ट पहुंचा था और उन्हें सरकारी अनुमति के बाद मेडिकल कालेज में नसबंदी कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। दरअसल, पण्डो जनजाती की घटती संख्या को देखते हुए सरकार ने इस संरक्षित जनजाति के परिवार को बढ़ाने के लिए पण्डो जाति के महिला पुरूष के नसबंदी पर रोक लगायी है विशेष परिस्थिति मेें अनुमति के बाद ही नसबंदी करने के निर्देश है। प्रत्येक पण्डो परिवार में बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण उनके परिवार की बढ़ोतरी ज्यादा होती है और उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जानकारी के अनुसार पण्डो परिवार का विशेष अनुमति के पश्चात मेडिकल कालेज में नसबंदी करने का प्रावधान होने के कारण अपने गॉव से दूर मेडिकल कॉलेज तक वे नहीं पहुंच पाते है। इसके पूर्व छत्तीसगढ़ ने जिले के पण्डो परिवारों के नसबंदी पर रोक के कारण उत्पन्न स्थितियों के कारण पण्डो परिवारों को हो रही परेशानी केा लेकर कई बार खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था।