कोरिया
बैकुंठपुर (कोरिया), 1 मई। छग वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय आह्वान पर प्रदेश स्तरीय हड़ताल प्रारंभ है, जिसमें वन विभाग के समस्त लिपिक कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं। हड़ताल से वन विभाग के कार्यालयीन कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
शनिवार को बैकुंठपुर पहुंचें संघ के प्रांताध्यक्ष ने कहा कि लिपिकों को विभाग की रीढ़ कहा जाता है, किंतु विगत कई वर्षों से वन विभाग के लिपिक कर्मचारियों द्वारा बुनियादी आवश्यकताओं को लेकर की जा रही मूलभूत मांगों की ओर छग शासन वन विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। इस कारण लिपिकों में रोष व्याप्त है। उनके साथ संघ के महामंत्री और सचिव भी साथ थे।
उन्होंने आगे कहा कि मांगों में छग तृतीय श्रेणी (लिपिक वर्गीय) वन सेवा भर्ती, नियम को अद्यतन करते हुए लेखापाल के 317 पदों को सहायक ग्रेड एक के 78 पदों को लेखा अधीक्षक के पद में समाहित किए जाने प्रस्ताव को वित्त विभाग से सहमति दिलाए। छग राज्य के अन्य विभागों की भांति वन विभाग में भी लिपिक कर्मचारियों को विभागीय परीक्षाओं का आयोजन हो। जिससे वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी भी राजपत्रित, उच्च पदों पर पदस्थ हो सकें। छग राज्य के राजस्व विभाग की भांति अधीक्षक पद को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा दें। वन विभाग के अंतर्गत कार्यरत कम्प्यूटर आपरेटरों को पदन्नाति चौनल लागू करें। वन विभाग के अंतर्गत कार्यरत् वायरलेस आपरेटरों को पदन्नाति चौनल लागू करें। लिपिक संवर्ग के उच्चतम पदोन्नात पद लेखा अधिकारी, शासकीय अधिकारी को संलग्नाधिकारी के पद पर सभी वृत्त एवं वन मण्डल कार्यालय में पदस्थिति किए जाने सहित अन्य मांग शामिल हंै।
छग वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ द्वारा अपनी मांगों को पूर्ण कराने छग शासन को अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन, हड़ताल की सूचना दे दी गई थी।
अवकाश के दिन भी धरने पर
विभाग के लिपिक अपनी मांगों को लेकर 27 अपै्रल से धरने पर बैठे हैं। वैसे इस दिन शासकीय कार्यालयों में अवकाश घोषित रहता है। इस तरह अवकाश के दिन वन विभाग लिपिक अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन में रहे। इसके पूर्व वन विभाग के मैदानी अमले के द्वारा अपनी मांगों को लेकर तीन सप्ताह से ज्यादा समय हड़ताल में बैठे रहे और सरकार से मांगों के संबंध में विचार करने के आश्वासन के बाद अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन समाप्त किया था। लेकिन वन कर्मचारी संघ के प्रांत स्तरीय पदाधिकारियों ने कहा था कि दो माह में यदि उनकी मांगों को लेकर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है तो वे पुन: अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन में उतर जाएंगे। इसके बाद अब वन विभाग के लिपिक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल में बैठ गये।