कोरिया

12 साल से लगातार ब्लड चढ़ाने की जद्दोजहद से जूझ रहा परिवार
08-May-2022 2:39 PM
12 साल से लगातार ब्लड चढ़ाने की जद्दोजहद से जूझ रहा परिवार

थेलेसिमिया से ग्रसित नमन को चढ़ाना पड़ता एबी पॉजिटिव

विश्व थेलेसिमिया दिवस

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 8 मई।
नमन को लेकर उसके माता पिता हर 15 दिन में जिला अस्पताल में दुर्लभ ग्रुप के ब्लड को लेकर भटकते आसानी से देखा जा सकता है। बीते 12 वर्ष से थेलेसिमिया से ग्रसित नमन के शरीर में खून का बनना बंद हो चुका है, जिसे लेकर मामा पिता हमेशा चिंतित रहते है, नमन के इलाज के लिए उनके पिता ने काफी जगह गुहार लगाई, परन्तु कही भी बात नहीं बनी। अब हर 15 दिन में खून चढ़ाकर अपने मन को तसल्ली दे रहे है।

कोरिया जिले के बैकुंठपुर के ग्राम चारपारा निवासी जय सिंह पैकरा और माता बहस्पति पैकरा के पुत्र नमन पैकरा अनुवांशिक बीमारी थैलेसीमिया से पिछले 12 वर्षो से पीडि़त है। बचपन में ही उसकी बीमारी का पता चल गया, तब से उसके माता पिता भी परेशान है। पीडि़त बालक के पिता ने बताया कि उन्होंने अपने बालक की बीमारी को लेकर कई जगहों पर उपचार कराया, लेकिन पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पाया है। बालक को एक निश्चित समय पर रक्त चढ़ाने की जरूरत होती है। अब 15-15 में रक्त चढ़ाना पड़ता है। कई बार तो समय पर रक्त भी नहीं मिल पाता है जिससे कि उन्हें परेशानी होती है। बालक का रक्त गु्रप एबी पॉजिटीव है जो बहुत कम लोगों में मिलता है। उन्होनें बताया कि अपने पुत्र के बीमारी को लेकर वे बेहद परेशान है क्योकि हर बार खून की व्यवस्था कर पाना काफी मुश्किल काम होता हैं।  

नहीं है शिशु रोग विशेषज्ञ
कोरिया जिला चिकित्सालय में भी थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी के उपचार की सुविधा नहीं है। यहां ऐसे मरीजों के लिए सिर्फ रक्त चढाने का ही कार्य किया जाता है। वहीं एक भी शिशु रोग विशेषज्ञ भी नहीं है जिससे पीडि़त बालक की समय समय पर जांच भी नहीं हो पाती है। जिला अस्पताल में पदस्थ एक शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक बीमार है जबकि दूसरे ने नौकरी छोड़ दी है।

अनुवांशिक बीमारी है थैलेसीमिया
थैलेसीमिया एक अनुवांशिकी रक्त विकार है जो माता पिता से बच्चों तक पीढी दर पीढी हस्तांतरित होती है। जानकारी के अनुसार इस बीमारी से ग्रसित लोगों में रक्त विकार के कारण रोगी की लाल रक्त कणिकाओं में आरबीसी पर्याप्त मात्रा में नही होती। हिमोग्लोबिन नहीं बन पाता है जिसके कारण मरीज एनीमिक हो जाता है और रोगियों के जीवित रहने के लिए एक निश्चित समय के बाद उन्हे रक्त चढ़ाने की जरूरत पडती है। विश्व थैलेसीमिया दिवस सबसे पहले मनाने की शुरूआत वर्ष 1994 में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन द्वारा शुरू की गयी थी तब से लगातार प्रतिवर्ष 8 मई को थैलेसीमिया दिवस मनाया जा रहा है।

थैलेसीमिया रोग के लक्षण
इस रोग के प्रमुख लक्षणो में रोगी में खून की कमी, कमजोर हड्डिया, शरीर में लौह तत्व की अधिकता, देर से या मंद विकास, थकान, कमजोरी, पीली त्वजा, पेट की सूजन चेहरे आदि लक्षण हो सकते है। जानकारी के अनुसार यह बीमारी जन्म लेने के दो वर्ष बाद विकसीत होती है। इस रोग में रोगी के शरीर में अधिक लौह तत्व होने के कारण भी कई तरह की समस्या उत्पन्न होती है।

यहां सिर्फ ब्लड चढ़ाने की सुविधा -डॉ पैकरा
जिला चिकित्सालय में पदस्थ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ जी एस पैकरा ने बताया कि जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर में थैलेसीमियां रोग के मरीजों के लिए रक्त चढ़ाने की सुविधा है इसके अलावा इसका यहां कोई उपचार की व्यवस्था नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में
8 मई वल्र्ड थैलेसीमियॉ दिवस बनाया जाता है, इस दिन को मनाने का उद्देश्य इस अनुवांशिक बीमारी पर लोगों के बीच में जन जागरूकता बढाने का कार्य किया जाता है। इसके लिए कई आयोजन संगोष्ठी किया जाता है साथ ही इस अवसर पर ऐसे चिकित्सकों का सम्मान किया जाता है जो इस बीमारी को लेकर उन्मूलन करने की दिशा में कार्य कर रहे है। परन्तु कोरिया जिले में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। इस दुर्लभ बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या में लगातार बढोतरी होती जा रही है लेकिन अभी भी थैलेसीमिया बीमारी की रोकथाम के लिए पर्याप्त चिकित्सीय व्यवस्था हर जगह उपलब्ध नहीं है।
 

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