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नपं खोंगापानी अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से गरमाई सियासत
29-May-2022 5:50 PM
नपं खोंगापानी अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से गरमाई सियासत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
मनेन्द्रगढ़, 29 मई।
नगर पंचायत खोंगापानी में ढाई साल पूर्व अप्रत्यक्ष प्रणाली से संपन्न हुए निकाय चुनाव में बहुमत के साथ सत्ता में आई बीजेपी अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने से पार्टी मुश्किलों से घिरती दिख रही है और उसे निकाय में सत्ता से बेदखल होने का खतरा सता रहा है।

जानकारी के अनुसार 27 मई को नगर पंचायत खोंगापानी के कांग्रेस के 6, भाजपा के 5 और 1 निर्दलीय कुल 12 पार्षदों ने नगर पंचायत अध्यक्ष धीरेन्द्र विश्वकर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उन्हें हटाने की मांग की। सभी पार्षदों ने अध्यक्ष पर अपने पद का दुरूपयोग करने, भ्रष्ट आचरण और दुव्यर्वहार किए जाने का आरोप लगाया है। हालांकि इस प्रस्ताव पर कलेक्टर द्वारा अभी मतदान कराने के निर्देश नहीं दिए गए हैं, लेकिन 12 पार्षदों के हस्ताक्षर होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर यदि मतदान होता है तो यह माना जा रहा है कि अध्यक्ष धीरेंद्र विश्वकर्मा का पद से हटना तय है, हालांकि अंतिम फैसला मतदान के बाद ही सुनिश्चित हो सकेगा, लेकिन इसे लेकर जिले में राजनीतिक उठापटक तेज हो गई है। बता दें कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से संपन्न हुए निकाय चुनाव में 15 वार्डों वाली नगर पंचायत खोंगापानी में बीजेपी के 8, कांग्रेस के 6 और 1 निर्दलीय पार्षद जीतकर आए थे। यहां बीजेपी ने बहुमत हासिल किया हुआ था और सरकार बनाने में कामयाब रही। यहां धीरेंद्र विश्वकर्मा अध्यक्ष पद एवं राजाराम कोल को उपाध्यक्ष पद पर पीठासीन अधिकारी द्वारा निर्वाचित घोषित किया गया। बीजेपी के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी धीरेंद्र विश्वकर्मा को 8 एवं कांग्रेस  के विवेक चतुर्वेदी को 7 मत हासिल हुए, वहीं उपाध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के राजाराम कोल को 9 व बीजेपी की ममता सिंह को 6 मत प्राप्त हुए। यहां क्रास वोटिंग की वजह से बीजेपी अपना उपाध्यक्ष बनाने से चूक गई थी। ऐसे में  15 वार्डों वाली नगर पंचायत खोंगापानी में बीजेपी के 8 पार्षद होने के बावजूद उनमें से 5 पार्षदों के बगावती तेवर ने वोटों के गणित के लिहाज से अध्यक्ष के लिए कुर्सी बचाने काफी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

इन्होंने किया है हस्ताक्षर
अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले 12 पार्षदों में वार्ड क्र. 1 के कांग्रेसी पार्षद और उपाध्यक्ष राजा राम कोल, कांग्रेस के ही वार्ड क्र. 4 के पार्षद और नेता प्रतिपक्ष जगदीश मधुकर, वार्ड क्र. 6 पार्षद विष्णु सिंह, वार्ड क्र. 7 की महिला पार्षद सरोज चौधरी, वार्ड क्र. 8 के पार्षद विवेक चतुर्वेदी, वार्ड क्र. 13 के पार्षद कमलभान चौधरी के साथ बीजेपी के 5 पार्षदों में वार्ड क्र. 2 बीजेपी की महिला पार्षद सीता कोल, वार्ड क्र. 5 की लक्ष्मी यादव, वार्ड क्र. 12 की पार्षद ममता सिंह, वार्ड क्र. 14 पार्षद मीरा यादव एवं वार्ड क्र. 11 के पार्षद परमहंस मनी के साथ वार्ड क्र. 15 के एकमात्र निर्दलीय पार्षद विजय सिंह शामिल हैं।

जनता के सवालों से घिरने के बाद लिया फैसला
अविश्वास प्रस्ताव के लिए बगावती तेवर अपनाने वाले बीजेपी पार्षदों का कहना है कि उनके वार्डों में विकास कार्य ठप पड़े हैं। पिछले ढाई साल में भूमि पूजन के बाद भी कई काम आज तक शुरू नहीं हो सके हैं। जनता के सवालों का जवाब देना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। निकाय में बरती जा रही घोर वित्तीय अनियमितता को लेकर वे पार्टी फोरम में भी लगातार अपनी बात रखते रहे हैं। अंतत: अध्यक्ष के कामकाज से असंतुष्ट होकर एवं पार्टी फोरम में उनकी बातों को नजरअंदाज किए जाने पर मजबूर होकर उन्हें अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है।

6 माह पहले ही बज गई थी खतरे की घंटी
अविश्वास प्रस्ताव पर बीजेपी के जिन 5 पार्षदों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं, उनका कहना है कि उनके द्वारा 6 माह पूर्व ही पार्टी के जिलाध्यक्ष को ज्ञापन सौंपकर अपने इस्तीफे की पेशकश की गई थी, तब भी उनकी बातों को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया गया था। पार्षदों ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा उनके सम्मान को बार-बार अपमानित कर ठेस पहुंचाई जा रही थी, जिससे वे जनता के बीच अपने पार्षद पद के दायित्व का कुशलतापूर्वक निर्वहन नहीं कर पा रहे थे। तंग आकर जिलाध्यक्ष को ज्ञापन सौंपकर उनके द्वारा इस्तीफे की पेशकश की गई थी। हालांकि बीजेपी के जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल से उस दौरान जब इस विषय में उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई थी, तब उन्होंने सिरे से इसे नकारते हुए कहा था कि उनके पास इस्तीफा से संबंधित किसी तरह का कोई ज्ञापन पेश नहीं किया गया है। बहरहाल सत्ता पक्ष के पार्षदों की परेशानियों को संगठन द्वारा काश समझने का प्रयास किया गया होता तो आज खोंगापानी निकाय में सत्ता से बेदखल होने का खतरा नहीं सता रहा होता।

नाराज पार्षदों को मनाने की कोशिश
सूत्रों की मानें तो जिले में भाजपा के वरिष्ठ नेता अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले अपनी पार्टी के पार्षदों से लगातार संपर्क में बने हुए हैं। बैठक आयोजित कर नाराज पार्षदों के मान-मनौव्वल की कोशिशें की जा रही है और ऐन-केन-प्रकारेण पार्षदों की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। बहरहाल अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की तिथि अभी तय नहीं हुई है। यदि मतदान की तिथि तय हो जाती है तो अध्यक्ष की कुर्सी छूट जाएगी या फिर ताज बरकरार रहता है, मतदान के बाद ही इसका फैसला होगा।
 

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