कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया) 23 अगस्त। कोरिया जिले के कई शहरों में बंदरों की टोली प्रतिदिन आतंक मचाती है, रोजाना 4 से 5 लोगों को काटकर घायल करती है, जिसे लेकर रहवासी परेशान है। अब बंदरों को समूह कोरिया जिलामुख्यालय में भी आंतक मचाने लगा है। वहीं वन विभाग का कहना है कि जंगल में ही माइंस है बंदरों को वहां से हटाया जाना बेहद मुश्किल काम है।
जानकारी के अनुसार कोरिया जिले का कटकोना कॉलरी सबसे ज्यादा बंदर प्रभावित है। कटकोना कॉलरी दो ओर से पहाडियों से घिरा है और पास से ही जंगल की शुरूआत होती है जहां से दिनरात बंदरों को डेरा रहता है। कॉलरी की कॉलोनी में उन्हें अब इंसानेां के भोजन की आदत बन चुकी है। कई लोगों के राह चलते लोगो के हाथों से सामान लूट लेते है, सामान लूटते समय बंदर काटते जरूर है, वही कई दुकानों पर लटकाये गये विभिन्न खाद्य पदार्थो केा भी ले उडते है जिससे कि दुकानदार भी परेशान हो गये हैं। बंदर से नजर मिलाना लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है, यदि बंदर से नजर मिली तो वो जरूर हमला कर देते है। यहां जब से कॉलरी खुली है इसके बाद से बंदरों का आतंक कॉलोनियों में देखा जा सकता है। आज भी कटकोना कॉलरी के कॉलोनी एवं अन्य रहवासी क्षेत्र में बडी संख्या में प्रतिदिन बंदर उछल कूछ अपनी टोली के साथ करते नजर आते है। हालत यह है कि यहां के प्रत्येक घरों के छत, दरवाजे के साथ सडकों पर बंदरों को आसानी से देख जा सकता है। बंदरों के आतंक से लोग अपने घरों में सहमे रहते है। गौरतलब है कि ज्यादातर बंदरों का आतंक कांलरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है। यहां स्थित सभी खदानें जंगल पहाडों के निकट है और पास में ही कॉलोनियां बसी हुई है जिस कारण जंगलों से लगे होने के कारण बंदर आबादी वाले क्षेत्र में आसानी से पहुंच जाते है। जंगलों में जितने बंदर दिखाई नही देते उससे कही ज्यादा कॉलरी के आबादी वाले क्षेत्र में देखे जा सकते है। वर्षो से कॉलरी क्षेत्रों में बंदरों का आतंक है लेकिन इससे छुटकारा दिलाने की दिशा में अब तक ठोस पहल नही की गयी है।
सुरक्षा के लिए हर घर में लगी है जाली
कटकोना कॉलरी में बंदलों के बढते आतंक के चलते यहॉ ज्यादातर घरों में बंदरों से सुरक्षा के लिए जाली लगायी गयी है ताकि उनका घर सुरक्षित रहे क्योंकि यदि घर का दरवाजा कुछ देर के लिए खुला रह गया तो बंदर घर के अंदर तक प्रवेश कर जाते है। वही छतों में प्रतिदिन उछलकूद करते बंदरों को देखा जा सकता है। बंदरों के आतंक के कारण किसी भी छोटे केा उनके अभिभावक स्कूल तक छोडने जाते है ताकि बंदरो से बच्चा सुरक्षित रहे। वही कई लोग जब घर से बाहर निकलते है तो हाथ में डंडा लेकर निकलते है। यहां लगभग हर घर के किसी ना किसी सदस्य को बंदरों के द्वारा घायल किया जा चुका है।
यहां के अस्पताल में टीका भी उपलब्ध नहीं
कटकोना कॉलरी में वर्षो से बंदरों का आतंक चल रहा है लेकिन हैरानी की बात यह है कि एसईसीएल द्वारा यहॉ संचालित अस्पताल में बंदरों के काटने का टीका भी उपलब्ध नही है। ऐसी स्थिति मेें जब किसी को बंदर काटता है तो पीडित को उसके परिजन करीब आठ किमी दूर पटना स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाना पडता है जहां उपचार की सुविधा है। जबकि वर्षो से बंदरों के आतंक से परेशान कटकोना के अस्पताल में इसके टीके तक नही है जानकारी के अनुसार एसईसीएल के अस्पताल में सांप काटने का भी टीका उपलब्ध नही है।
बंदरों के आगे बेबस वन विभाग
कटकोना कॉलरी सहित जिले के कई कॉलरी क्षेत्रों में वर्षों से बंदरों का आतंक बना हुआ है जिससे कि लोगों केा प्रतिदिन परेशानी का सामना करना पडता है लेकिन वन विभाग बंदरों के आगे बेबस है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हम क्या करे, भगा भी नहीं सकते। इस तरह वन विभाग द्वारा किसी तरह की कोई योजना नही बनाई गयी है कि बंदरों केा जंगलों में ही सुरक्षित रखा जाये और वे आबादी वाले क्षेत्र में प्रवेश न कर सके।
कई शहरों का यही हाल
जानकारी के अनुसार जिले के कई कॉलरी क्षेत्रों में बंदरों का आतंक बना हुआ है। जिनमे कटकोना कॉलरी प्रमुख है ऐसा ही हाल चरचा कॉलरी का भी है। यहां भी प्रतिदिन बंदरों की टोली जंगलों से कॉलोनियो ंमें पहुंचती है आबादी वाले क्षेत्रों के अलावा यहॉ के रिजनल अस्पताल में भी बडी संख्या में बंदर पहुॅचते रहते है। यहां से बंदरों की टोली कई गॉवों से होते हुए बैकुण्ठपुर शहर तक पहुॅच जाते है। बीते दिनों शहर में बिजली की करेट की चपेंट में आने से एक बंदर की मौत हो गयी थी इसके पूर्व भी शहर के डबरीपारा क्षेत्र में विद्युत तार की चपेट में आने से एक बंदर की मौत हो गयी थी। वही जिले के सबसे बडी आबादी वाला शहर चिरिमरी में भी बंदरों का आतंक लगातार जारी है। चिरमिरी शहर पहाडों के बीच में बसा हुआ है। इसके अलावा कोरिया कॉलरी, बरतुंगा कॉलरी सहित अन्य क्षेत्रों में बंदर लोगो के लिए परेशानी बनी हुई है।