कोरिया
बैकुंठपुर (कोरिया), 25 अगस्त। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बैकुंठपुर में ब्रह्माकुमारी संस्थान की अति स्नेही, पूर्व कुशल मुख्य प्रशासिका, मातृ वात्सल्य की धनी, रत्नप्रभा, राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि जी के 15 वें स्मृति दिवस को, विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया गया । ब्रह्माकुमारी संस्थान से जुड़े सभी भाई - बहनों ने दादी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
बी के रेखा दीदी ने बताया कि दादी जी ने अपने अलौकिक जीवन की छाप अनेक ब्रह्मा वत्सों पर डाली है जिन्होंने भी दादी जी की पालना ली है उन सबके सामने दादी जी की वह मुस्कुराती हुई निश्चल मूर्ति सदा ही स्मृति पटल पर घूमती रहती है । दादी जी दुआओं के भंडार की मालिक थी ।सदा यज्ञ स्नेही और यज्ञ रक्षक रहीं ।सच्चाई और सफाई के प्रति मूर्ति रही ।मान अपमान निंदा स्तुति में समान । स्वभाव संस्कार मिलाने में नंबर वन ।बड़ी दिल,विशाल दिल और सदा रहम दिल रही ।सदा संतुष्ट मणि बन सबको संतुष्ट करने की भावना थी ।लक्ष्य के समान सदा लक्षण धारण करने में नंबर वन थी।
इस दिन हम सभी दादी की विशेषताओं को आत्मसात करने के लिए विशेष अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने का लक्ष्य रखते हैं दादी जी को बाबा द्वारा प्रकृति जीत का टाइटल भी मिला हुआ है क्योंकि उन्होंने प्रकृति की सेवा की कभी भी उसके अधीन नहीं हुई और उस पर भी विजय प्राप्त की इस बार दादी के स्मृति दिवस पर हम भी दादी के विशेषताओं को आत्मसात करते हुए प्रकृति की भी सेवा करें। तभी यह प्रकृति सुखदाई बनेगी।
दादीजी की अनेक विशेषताएं थी
निश्चय और विश्वास के आधार पर यज्ञ को आगे बढ़ाया- दादी जी का स्वयं में और बाबा में अति विश्वास था उन्होंने यज्ञ वत्सों में विश्वास रखा उन्हें सब जवाबदारी देते आगे बढ़ाते रहें दादी जी को कुछ बोलना नहीं पड़ा, किसी के अवगुण को चित पर नहीं रखा सदा गुण ग्राही रही, हर संकल्प ,स्वास और समय को सफल करने और कराने वाली रहे -दादी जी को समय का बहुत कदर था वह सदा कहती संगम की एक एक घड़ी बड़ी अनमोल है इसे व्यर्थ नहीं गंवाना ।दादी ने खुद भी अपना एक एक स्वास संकल्प, समय सब सफल किया और दूसरों का भी सफल कराया ।