कोरिया
शिक्षिका विधात्री का नवाचार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 4 सितम्बर। शिक्षा के क्षेत्र में केवल उन्हीं लोगों को आना चाहिए जो सचमुच शिक्षक ही बनना चाहते हैं। खासतौर से प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालयों में, क्योंकि प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय ही पूरे जीवन की शिक्षा का आधार हैं। यह नींव कमजोर होने पर बहुत कम छात्र ही आगे बढ़ पाते हैं। उक्त बातें दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में छात्रों को शिक्षित करने के लिए हमेशा नवाचार करने वाली शिक्षिका विधात्री सिंह ने कही।
वे इन दिनों अपनी कक्षाओं में बच्चों को थ्री डी इफेक्ट (त्रि आयामी चित्र) के माध्यम से पढ़ा रही हैं। इस बारे में उनका कहना है कि इससे बच्चों के सामने पढ़ाए जाने वाली विषय वस्तु का चित्र सामने आ जाता है जिससे बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं और फिर उस बात को कभी नहीं भूलते। विधात्री सिंह का कहना है कि इस तकनीक से पूरे प्रदेश में केवल कुछ गिने-चुने लोग ही पढ़ा रहे हैं।
गौरतलब है कि शिक्षा के क्षेत्र में जिले से लेकर प्रदेश में विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित शिक्षिका विधात्री सिंह ने कोरोना काल में बच्चों की माताओं को आलू, प्याज, टमाटर, चकला, बेलन आदि घरेलू वस्तुओं से बच्चों को गिनती, पहाड़, भाषा आदि सिखाने की तकनीक सिखाई थी जो बहुत कारगर साबित हुई। वर्ष 2013 से शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं और कम समय में अपने कार्यक्षेत्र में नए-नए प्रयोग किए हैं। बच्चों को बेहतर और सरल तरीकों से शिक्षा देने का प्रयास कर रही हैं। इसी कारण उन्हें विकासखंड से जिले के विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया गया है।
इन दिनों वे मोबाइल से आग्यूमेंटेशन रियलिटी जैसी किसी एप से बच्चों को पढ़ा रही हैं जिसे वे जल्दी ही अपने संकुल के शिक्षकों को सिखाएंगी।
देवगढ़ संकुल के संकुल शैक्षिक समन्वयक (सीएसी) रावेन्द्र कुशवाहा का कहना है कि इस तकनीक से बच्चे बहुत जल्दी सीख रहे हैं।