कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया) 13 सितंबर। कोरिया जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर से करीब 7 किमी दूर सलबा क्षेत्र से हाथियों का दल पिपरिहा क्षेत्र के जंगल में पहुंच गया था जहां से हाथियो के 10 सदस्यीय दल को खंदौरा चिरमी क्षेत्र में जाने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन गत दिवस हाथियो का दल कोरिया जिले की सीमा पार कर सूरजपुर वन मण्डल सीमा क्षेत्र में प्रवेश कर गया जिससे कि वन अमले के साथ हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली।
जानकारी के अनुसार एमसीबी जिले के बिहारपुर वन परिक्षेत्र से होते हुए हाथियों का 10 सदस्यीय दल अमृतधारा होते कोरिया जिले के बसेर केतकीझरिया, चरचा कॉलरी क्षेत्र से होते हुए बैकुंठपुर, क्षेत्र में पहुंच गया था। हाथियों का दल कांदाबारी के जंगलों से होते हुए पिपरिया क्षेत्र में पहुंच गया था। जिससे कि प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों में हाथियो के दल के आने की खबर के बाद भय के बीच में जी रहे थे। इसी बीच सुखद खबर रही कि हाथियों का दल 12 सितंबर की रात्रि में कोरिया जिले की सीमा पार कर सूरजपुर जिले की सीमा में प्रवेश कर दिया। हाथियो के 10 सदस्यीय दल मे 2 शावक भी शामिल है। इस बार हाथियों का दल एमसीबी जिले से होकर कोरिया जिले के सोनहत जनपद क्षेत्र होते बैकुण्ठपुर जनपद क्षेत्र में आये और विचरण करते हुए सूरजपुर वन मण्डल क्षेत्र की ओर चला गया। जिससे कि इस क्षेत्र में किसी प्रकार की कोई नुकसान नही पहुॅचाया गया।
नुकसान नहीं
कोरिया जिले में इस बार आये हाथियों के 10 सदस्यीयदल के द्वारा किसी भी क्षेत्र में नुकसान पहुॅचाये बिना ही सुरक्षित तरीके से सूरजपुर जिले की सीमा में चले गये जिसके बाद वन अमले के साथ प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। इस बार कोरिया जिले में नवगठित जिला एमसीबी के बिहारपुर वन परिक्षेत्र से हाथियों का 10 सदस्यीय दल अमृतराधारा होते कोरिया जिले के बसेर क्षेत्र में प्रवेश किया इस क्षेत्र से केतकीझरिया होते हाथियों का दल बैकुंठपुर वन परिक्षेत्र पहुॅच और इस क्षेत्र के बीट सलबा अंतर्गत कांदाबारी के जंगलों में विचरण हुए इस क्षेत्र में नही रूके और विचरण करते हुए सूरजपुर जिले की सीमा क्षेत्र में पहुॅच गये।
जबकि कांदाबारी का जंगल हाथियों का पसंदीदा जंगल रहा है पूर्व के वर्षो में कई कई दिनों तक हाथियों का दल इस जंगल में ठहरता रहा है और आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के मकान के साथ किसानों के फसलों को बडी क्षति पहुॅचा कर जाता था।