कोरिया

ग्राम सभा अध्यक्ष के चुनाव पर गोंगपा को आपत्ति
09-Dec-2022 4:26 PM
ग्राम सभा अध्यक्ष के चुनाव पर गोंगपा को आपत्ति

पंचायतों में मुनादी नहीं कराई जा रही, आरोप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 9 दिसंबर।
राज्य में पेशा कानून लागू होने के बाद कोरिया व एमसीबी जिले के पंचायतों में ग्राम सभा के कोरम को पूरा नहीं करते हुए मनमर्जी से ग्राम सभा के अध्यक्ष का चुनाव कर रहे है। जिससे ग्रामीणों को कानून के संबंध में पूरी जानकारी नहीं हो पा रही है, पंचायतों में ना तो मुनादी करवाई जा रही है और ना ही ग्राम सभा की जानकारी चस्पा की जा रही है। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इस पर आपत्ति जताई।

इस संबंध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर संजय कमरो का कहना है कि कोरिया और एमसीबी जिले के ग्राम पंचायतों में ऐसा देखा जा रहा है, ग्रामीणों को ग्राम सभा अध्यक्ष के मनोनयन की जानकारी तक नहीं दी जा रही है, बिना ग्राम सभा का कोरम पूरा किए अध्यक्ष का चयन किया जा रहा है, पेशा कानून के लिए कोरम का पूर्ण होना बेहद जरूरी है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने 8 अगस्त 2022 को इसे अधिसूचित किया है। अब तक सरपंच और सचिव ग्राम सभा में अनुमोदन कराकर काम करा लेते थे। कई अधिकार सरपंच को भी थे लेकिन इस कानून के लागू होने के बाद ग्राम सभा ही सर्वे-सर्वा होगी। ग्राम सभा में पंचायत के कुल मतदाता ग्राम सभा का अध्यक्ष का चुनाव कर रहे है। इसके लिए ग्राम पंचायतों में आयोजित ग्रामसभा में ग्राम वासियों की 50 प्रतिशत उपस्थिति होना जरूरी है। आयोजित ग्राम सभा में ग्रामसभा अध्यक्ष मनोनीत करने के बाद कार्यवाही में ऐसा नहीं देखा जा रहा है। ऐसा ज्यादातर पंचायतों में देखने में आ रहा है कि सरपंच सचिव की मर्जी से ग्राम सभा अध्यक्ष का चुनाव किया जा रहा है, जबकि ग्राम सभा में निर्धारित कोरम ही पूरा नही होता है और नही ग्राम पंचायत क्षेत्र के सभी मोहल्लों में सार्वजनिक सूचना ही पहुंच पाती है ऐसे में मनमानी करने का भी आरोप सरपंच सचिव पर लगाये जाने लगे है।

अध्यक्ष कौन और कितना होगा कार्यकाल
ग्राम सभा का अध्यक्ष ग्राम सभा में लिए गए निर्णय पर अपनी मुहर लगाएगा। पंचायत के किसी भी पद पर चुनाव लड़ चुका कोई भी व्यक्ति ग्राम सभा का अध्यक्ष नहीं बन सकेगा फिर चाहे वह विजयी हुआ हो या फिर उसकी पराजय हुई हो। ग्राम सभा के लोग ही यह तय करेंगे कि किसे अध्यक्ष बनाया जाए और किसे नहीं। ग्राम सभा के अध्यक्ष में एक साल का कार्यकाल पुरुष का जबकि एक साल महिला का होगा। ग्राम सभा का अध्यक्ष भी अनुसूचित जनजाति वर्ग का होगा।

अध्यक्ष भी अविश्वास प्रस्ताव के दायरे में
ग्राम सभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। ग्राम सभा अध्यक्ष का कार्यकाल छह माह का होने पर 50 फीसदी बहुमत पर यह अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। ग्राम सभा अध्यक्ष दो समितियों का जिम्मेदार रहेगा। पहली समिति संसाधन, योजना व प्रबंधन की रहेगी जो ग्राम सभा के समान ही काम करेगी। दूसरी समिति में लघु योजना, गौण खनिज, सार्वजनिक संपत्ति के आय-व्यय से संबंधित होगी।

शराब पीने, बनाने और बेचने के निर्णय का रहेगा अधिकार, सभी कामों की होगी मानिटरिंग
पेशा कानून के लागू होने के बाद बेजा कब्जा की शिकायत तहसीलदार से कर कार्रवाई कराएंगे और जमीन वापस दिलाएंगे। गौण खनिज का लाइसेंस ग्राम सभा देगी।  प्राकृतिक संसाधन जल, जंगल, जमीन संरक्षण, संवर्धन और पर्यवेक्षण पर काम।  शराब पीना, बनाना और बेचने पर निर्णय । गांव के विकास के लिए श्रम दान कराना।  पंचायतों में होने वाले 29 विभागों के कामों की मानिटरिंग करना इसमेंं शामिल है। बताया जाता है कि अब पेशा कानून लागू होने के बाद छोटे मोटे विवाद मारपीट जैसे मामले पंचायत स्तर पर ही निपटा लिये जायेंगे इसके लिए थानों का चक्कर लगाने की जरूरत नही है। पंचायत स्तर पर ही ग्राम सभा के माध्यम से विवादो का निपटारा हो सकेगा इसके लिए ग्राम सभा को अधिकार दिये गये है।

मुनादी व जानकारी नही देते
पंचायतो के द्वारा ग्राम सभा के माध्यम से विवादों को सुलझाने के लिए किस दिन ग्राम सभा का आयोजन किया जाता है इस बात की जानकारी गॉव के पूरे लोगों केा देने के लिए कोटवार के माध्यम मुनादी कराया जाना चाहिए लेकिन कई ग्राम पंचायतों मे सार्वजनिक मुनादी गॉव के सभी मोहल्लों में नही करायी जाती है जिस कारण पंचायत के कई लोगों केा ग्राम सभा की जानकारी नही मिल पाती है।
 

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