कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुण्ठपुर(कोरिया), 16 दिसंबर। चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राज कुमार मिश्रा के द्वारा छग उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका प्रस्तुत कर छग राज्य सूचना आयोग में लंबित अपील व शिकायत प्रकरणों की सुनवाई पक्षकारों के मोबाईल पर ऑडियो वीडियो कॉन्फ्रें सिंग के माध्यम से कराए जाने की मांग की गई है, जिसकी सुनवाई छग उच्च न्यायालय में 13 दिसम्बर को किया गया। आगे की सुनवाई 1 फरवरी को निर्धारित किया गया है।
दरअसल, आरटीआई कार्यकत्र्ता ने मुख्य राज्य सूचना आयुक्त को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि कृपया अपील व शिकायत प्रकरणों की सुनवाई मोबाईल पर वीडियो कॉन्फ्रें सिंग के कराया जाए। इस तरह की सुनवाई कई राज्य सूचना आयोग और केंद्रीय सूचना आयोग से किया जा रहा है। उन्होंने अपने आवेदन में इस तरह की सुनवाई होने से कई लाभ हो सकते है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में एनआईसी से वीडियो कॉन्फ्रें सिंग से हो रहे सुनवाई में लोक सूचना अधिकारी को अपना मूल कार्य छोडक़र जिला कार्यालय (एनआईसी कक्ष) तक जाना पड़ता है, जिससे उनका समय बर्बाद होता है और वे अपना मूल कार्य नहीं कर पाते। ऐसे अधिकारी के इस एक दिन का वेतन सरकार को देना पड़ता है, जिससे शासकीय धन की क्षति होती है। यदि उक्त लोक सूचना अधिकारी के मोबाईल पर ऑडियो कॉन्फ्रें स के माध्यम से सुनवाई किया जाए, तो ऐसे अधिकारी को एनआईसी कक्ष तक नहीं आना पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि अभी की स्थिति में लोक सूचना अधिकारी को कई बार पेशी दिनांक की जानकारी नहीं होती या उन्हें नोटिस तामिल नहीं होता या किसी अन्य आवश्यक कार्य में व्यस्तता के कारण वे वीडियो कॉन्फ्रें सिंग की सुनवाई में उपस्थित नहीं हो पाते ऐसी स्थिति में अपीलों /शिकायतों की पेशी बढ़ायी जाती है, जिससे सूचना आयोग में अपीलों /शिकायतों की पेंडेंसी बढ़ जाती है।
मोबाईल पर ऑडियो कॉन्फ्रें सिंग के माध्यम से सुनवाई होने से लोक सूचना अधिकारी जहां कहीं भी होंगे उन तक आसानी से पहुंच हो सकती है, जिससे प्रकरणों का आसानी से निराकरण होगा और आयोग में अपीलों /शिकायतों का पेंडेंसी खत्म होगा। उन्होंने आयोग द्वारा वीडियो कॉन्फ्रें सिंग से सुनवायी में आवेदकों को भी एनआईसी कक्ष तक जाना पड़ता है, जिससे उनका समय उर्जा और धन का अनावश्यक खर्च होता है। मोबाईल पर ऑडियो कॉन्फ्रें सिंग के माध्यम से सुनवायी होने से आवेदकों का भी अनावश्यक खर्च बचेगा।
आरटीआई कार्यकत्र्ता के उक्त अनुरोध के बाद छग सूचना आयोग के द्वारा बैठक किया गया जिसके कंडिका-9.5 में निर्णय लिया गया कि प्रकरणों के सुनवाई के समय आवेदकों द्वारा मोबाईल के माध्यम से सुनवाई किए जाने के लिए समय-समय पर निवेदन किया जाता रहा है, अतएव पायलट प्राजेक्ट के रूप में किसी एक जिले में जहां मोबाईल कनेक्टीविटी अच्छी हो को लिए जाने का प्रस्ताव किया गया। विधि अधिकारी इस संबंध में परीक्षण कर 7 दिवस में अपना अभिमत प्रस्तुत करें।
सूचना आयोग के इस निर्णय के आधार पर विधि अधिकारी प्रवीण के द्वारा इस संबंध में अपना अभिमत दिया गया। इस अभिमत के विपरीत आज दिनांक तक आयोग द्वारा किसी भी शिकायत या अपील की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रें सिंग से नहीं किया जा सका।