कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 16 दिसंबर। मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के कुंवारपुर परिक्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के नाम पर जमकर ड्रामा चला, पुलिस की कार्यप्रणाली से वन विभाग को अतिक्रमणधारियों और उनके कर्मचारियों के सामने नीचा देखना पड़ा। मुंह देखकर की गई कार्रवाई को लेकर लोगों में काफी रोष व्याप्त है।
गुरुवार को मनेन्द्रगढ़ वन मंडल कर कुंवारपुर परिक्षेत्र कर कोटाडोल मार्ग पर स्थित शासकीय आवास के पीछे वन अमला के साथ पुलिस के अधिकारियों के साथ कुछ पुलिस के जवानों के साथ कार्रवाई करने पहुंचे। इस कार्रवाई में करीब दो दर्जन मकानों झोपडिय़ों को तोड़ा गया, लेकिन इसी स्थल पर कुछ पक्के मकानों को नहीं तोड़ा गया, जिसके बाद लोगों ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाया।
लोगों का कहना है कि जब वन एवं जंगल की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा की गई है, तो समान रूप से सभी का अतिक्रमण को हटाया जाना चाहिए, लेकिन कुछ लोगों के अतिक्रमण को हटाया गया और कुछ को छोड़ दिया गया यह कैसा कार्रवाई है। लोगों ने कहा कि प्रशासन पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की है।
लंच ब्रेक के नाम कार्रवाई खत्म
अतिक्रमण कार्रवाई का नेतृत्व पुलिस के अधिकारी कर रहे थे, वन विभाग के अधिकारियों को बार बार फटकार लगा रहे थे, जैसे ही कार्रवाई कुछ पक्के मकान पर होने लगी तो उन्होंने लंच ब्रेक कर दिया और मात्र डेढ़ घंटे कार्रवाई कर पुलिस के अधिकारियों ने लंच के नाम पर कार्रवाई पर ब्रेक लगा दिया, कुछ अतिक्रमण तोड़े गए, परंतु सेटिंग और नेताओं के करीबियों पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि जब वह अमला उस ओर गया तो पुलिस अधिकारी ने वन अमले को फटकार लगाते हुए कहा कि उस ओर जाने के लिए किसने बोला?
दरअसल, एमसीबी जिले के जनकपुर भगवानपुर मार्ग पर फॉरेस्ट डिपों के सामने 200 मीटर की दूरी पर कुंवारपुर परिक्षेत्र के बीट पतवाही के कक्ष क्रमांक पी 1267 में प्लाटिंग कर अवैध रूप से कब्जा कर मकान झोपड़ी कुछ लोगों द्वारा बनाये गये थे। जहां पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई और कुछ लोगों के मकान, झोपड़ी को तोड़ा गया और कुछ को अभयदान दे दिया गया। इस तरह की कार्रवाई मनेंद्रगढ के बड़े पुलिस अधिकारी द्वारा अतिक्रमण हटाया गया जिस पर पक्षपात करने का आरोप लेागों द्वारा लगाया गया।
एमसीबी जिल के जनकपुर क्षेत्र में 15 दिसंबर को अतिक्रमण हटाने के लिए पूर्व से तैयारियां कर ली गयी थी और मनेंद्रगढ़ के बडे पुलिस अधिकारी ने वन अमले को फूल ड्रेस में सुबह अतिक्रमण स्थल पहुंचने के निर्देश दिए गए थे, जिस पर वन अमला सुबह 6 बजे मौके पर आकर डट गया था, लेकिन पुलिस दोपहर 12.30 बजे मौके पर पहुंची इस तरह साढे छ: घंटे तक वन अमला मौके पर आकर परेशान होता रहा।
जनकपुर क्षेत्र में 15 दिसंबर को हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद जिस तरह से आधे अधूरे अवैध कब्जे वाले मकानों को तोडऩे की कार्यवाही की गयी। उसमें कई पक्के मकानों को छोड़ दिया गया। इस कार्रवाई को लेकर आरोप लग रहे है कि भाजपा समर्थन वाले अवैध कब्जाधारियों पर प्रशासन ने टारगेट कर अवैध कब्जे को हटाने की कार्रवाई की गयी और कांग्रेस के समर्थन वाले लोगों के मकानों को जानबूझ कर छोड़ दिया गया। यही कारण है कि लोगों द्वारा पुलिस प्रशासन पर पक्षपात पूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगा रहे है। कार्रवाई के समय पुलिस के अधिकारियों का ड्रामा देखते ही बन रहा था।