कोरिया

जातिगत समीकरण में उलझा बैकुंठपुर विधानसभा, कांटे का मुकाबला
02-Nov-2023 3:02 PM
जातिगत समीकरण में उलझा बैकुंठपुर विधानसभा, कांटे का मुकाबला

चंद्रकांत पारगीर

बैकुंठपुर (कोरिया), 2 नवंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। कोरिया जिले की एकमात्र बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान विधायक अम्बिका सिंहदेव और भाजपा के पूर्व मंत्री भइयालाल राजवाड़े के बीच हो रहा है, वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संजय कमरो भी कमतर नहीं है, वहीं आप के आकाश जायसवाल भी अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने दूसरी बार अम्बिका सिंहदेव को तो भाजपा की ओर से पांचवी बार पूर्व मंत्री भइया लाल राजवाड़े को मैदान में उतारा है। इस विधानसभा का पूरा खेल जातिगत समीकरण में उलझ कर रह गया है।

बैकुंठपुर  विधानसभा सीट वो प्रतिष्टापूर्ण सीट है, जिस पर वर्तमान डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को हार का सामना करना पड़ा था, उन्हें उनके चाचा पूर्व वित्त मंत्री डॉ. रामचंद्र सिंहदेव ने निदर्लीय लडक़र हराया था, उनकी माता देवेन्द्र कुमार सिंहदेव यहां की विधायक रह चुकी हैं। पूर्व वित्त मंत्री डॉ. रामचंद्र सिंहदेव यहां से 6 बार विधायक रहे, वे अविभाजित मध्यप्रदेश में कई विभागों के मंत्री के साथ छत्तीसगढ़ के पहले वित्तमंत्री रहे।

जातिगत समीकरण में उलझा चुनाव

बैकुंठपुर विधानसभा में इस बार भाजपा, कांग्रेस के अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है। इस सीट पर जातिगत समीकरण पर सभी का ध्यान केन्दित है। 
दरअसल, जातिगत राजनीति की शुरुआत भाजपा ने 2003 से शुरू की।  भाजपा राजवाड़े समाज के वोटरों की संख्या को ध्यान में रखते हुए बीते 4 बार पूर्व मंत्री भइया लाल राजवाड़े को उम्मीदवार बनाया, 2 बार जीत मिली और 2 बार हार, भाजपा ने अब 5वीं मर्तबा एक बार फिर राजवाड़े जाति का कार्ड खेला है। 

बैकुंठपुर विधानसभा में राजवाड़े समाज से ज्यादा जनसंख्या वाला साहू समाज है और उसका चुनाव में बड़ा प्रभाव है, दूसरी और आदिवासी समाज में गोंड समाज के सबसे ज्यादा मतदाता है वहीं संत रविदास समाज, उरांव, ईसाई, कंवर, कुशवाहा, यादव, बरगाह, मुस्लिम, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, सोनी के साथ कई ऐसे समाज हैं, जिनके मत न सिर्फ प्रभाव डालते हैं, जीत हार भी तय करते हैं।  सबके अपने सामाजिक नेता और उनका समाज में प्रभाव है। इस चुनाव में इन सबकी हिस्सेदारी के साथ आपसी जुगलबंदी भी होगी। जो चुनाव परिणाम में देखने को मिल सकती है।

महल से हारी भाजपा

भाजपा को हर बार महल से ही हार का सामना करना पड़ा है। चाहे वो पूर्व वित्त मंत्री डॉ. रामचंद्र सिंहदेव हो या उनकी भतीजी अंबिका सिंहदेव, महल को छोड़ दो बार बेदांति तिवारी को कांग्रेस ने मैदान में उतारा और दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

बताया जाता है कि भाजपा उम्मीदवार के सामाजिक राजवाड़े वोट एक तरफा भाजपा की ओर जाते है। यही कारण है कि भाजपा जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं। उनके नेता दावा कर रहे हंै कि इस बार वे जीत चुके है सिर्फ उन्हें लीड बढ़ाना है।

दूसरी ओर कांग्रेस में नेताओं में नाराजगी है, भाजपा के कार्यकाल में पूर्व मंत्री पर कांग्रेस के नेताओं को उपकृत करने का आरोप लगता था। ऐसे कांग्रेसी नेता किसी कीमत पर कांग्रेस का साथ देने को तैयार नहीं है। कांग्रेस के घोषणा पत्र और सरकार की योजनाओं और किये काम को लेकर कांग्रेस जनता के बीच जा रही है। पर कहीं न कहीं जातिगत समीकरण में वो भाजपा से काफी पीछे है, पर राजवाड़े समाज के अलावा दूसरे सामाज भाजपा को लेकर क्या रुख दिखाते है, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी।

गोंगपा की बड़ी ताकत

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी इस बार और ताकत के साथ मैदान में है, राष्ट्रीय दलों के खिलाफ मुकाबले के लिए अन्य समाज को भी साथ लेने की रणनीति पर काम कर रही है, दूसरी ओर बसपा के साथ गठबंधन कर एकसाथ चुनाव लड़ रहे है, बैकुंठपुर विधानसभा में गोंड समाज के वोटरों को एकजुट भी करने की रणनीति के साथ हर चुनाव में मिलने वाले आंकड़ों को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। देखना है इसमें गोंगपा कितनी सफल होती है।

बैकुंठपुर विधानसभा में अब तक क्या

1962 के चुनाव में प्रसोवा दल से ज्वाला प्रसाद उपाध्याय जीते। उन्होंने कांग्रेस के विजेंद्र लाल गुप्ता को हराया था। 1967 और 1971 पूर्व वित्त मंत्री डॉ. रामचंद्र सिंहदेव ने जीते। उन्होंने ज्वाला प्रसाद उपाध्याय को हराया।

1977 ज्वाला प्रसाद उपाध्याय जीते, उन्होंने कांग्रेस के गुलाब गुप्ता को हराया, 1980 में कांग्रेस की देवेंद्र कुमारी सिंहदेव जीती, उन्होंने भाजपा के द्वारका प्रसाद गुप्ता को हराया।
1985 में द्वारका गुप्ता जीते, उन्होंने कांग्रेस की देवेंद्र कुमारी सिंहदेव को हराया, 1990 में निर्दलीय डॉ रामचंद्र सिंहदेव जीते, उन्होंने कांग्रेस के टीएस सिंहदेव को हराया, 1993 में कांग्रेस के डॉ. रामचन्द्र सिंहदेव जीते उन्होंने बाबूलाल पांडे को हराया।

1998 में डॉ. रामचंद्र सिंहदेव जीते। उन्होंने भाजपा के द्वारका गुप्ता को हराया। 2003 में कांग्रेस के डॉ. रामचंद्र सिंहदेव जीते। उन्होंने भाजपा के भइया लाल राजवाड़े को हराया।
2008 के चुनाव से पूर्व वित्त मंत्री में खुद को अलग लर लिया और उन्होंने अपना वारिस बेदान्ति तिवारी को बनाया, 2008 और 2013 में कांग्रेस ने बेदान्ति तिवारी को उम्मीदवार बनाया, दोनों चुनाव में पूर्व मंत्री भइया लाल राजवाड़े को जीत मिली, 2018 के चुनाव में पूर्व वित्त मंत्री की भतीजी अम्बिका सिंहदेव को कांग्रेस ने टिकट दिया, उन्होंने पूर्व मंत्री भइया को हराया।  एक बार फिर दोनों आमने-सामने है। देखना है कौन किस पर भारी पड़ता है।
 

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