कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुण्ठपुर, 8 जनवरी। सेंटर ऑफ इण्डियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने रैली निकाल कर कलेक्टर को कई मांगों का ज्ञापन सौंपा।
सौपे ज्ञापन में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य समिति, रायपुर (छ.ग.) गत 26 नवम्बर से शुरू हुआ देशव्यापी किसान संघर्ष 3 जनवरी 2021 को 40 वाँ दिन पर प्रवेश कर गया । 8 दिसंबर को भारत बंद के जरिए भारत की जनता द्वारा व्यक्त किये गये अभूतपूर्व समर्थन के बाद यह संघर्ष और तेज और व्यापक हो गया है । पहली बार किसान जनता के तमाम तबके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और कार्पोरेट लॉबी के खिलाफ ऐसे बेमिसाल एकता स्थापित किये हुए हैं जैसे पहले कभी नही हुये थे । इस लंबी संघर्ष में समाज के अन्य तबकों के साथ मजदूर वर्ग, जो खुद केन्द्र सरकार द्वारा थोप दी गई, चार श्रम संहिताओं से पीडि़त है, अपने संघर्ष में किसान जनता के समर्थन में लामबंद हुआ है । यूं तो देश की अर्थव्यवस्था को विगत कई सालों से ही नोटबंदी, जीएसटी, और उदार अर्थनीति के नाम पर चलाई जा रही विनाशकारी नीति का भयानक परिणाम हमारे सामने है । देश के आर्थिक विकास दर ऋणात्मक 24 प्रतिशत घट गया है, बेरोजगारी 15 करोड़ से अधिक, महंगाई आसमान छूती जा रही है परंतु इन समस्याओं से दो चार होने की उलट सार्वजनिक उपक्रमों को जैसे रेल, बैंक, बीमा, बीएसएनएल आदि उद्योगो को सरकार द्वारा अपनी पसंदीता देशी विदेशी लुटेरों को सौपने का साजिश निरंतर जारी है । आत्मनिर्भरता के नाम पर समूचा देश एवं आवाम को परनिर्भरता की गहरे दलदल में ढकेला जा रहे है । देश की स्वास्थ व्यवस्था निजी अस्पतालों एवं बीमा कंपनियों के लूट खसोट के लिये छोड़ दिया गया है। श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था की खात्मा तथा नई पेंशन योजना थोपकर लाखों पेंशनरों की आजिविका भयानक संकट की ओर धकेल दिया गया।
जुझारू संघर्षों के प्रतिफलन के तौर पर हमने देखा, दिनांक 26 नवम्बर को मजदूरों का आम हड़ताल जिसमें किसानों की मांगें भी शामिल थी तथा 27 नवम्बर से तीन कृषि कानूनों और बिजली संशोधन विधेयक वापिस लिए जाने की मांगों को लेकर देश की राजधानी के 5 सीमाओं को विगत 40 दिनों से कब्जा किये हुए है। लाखों किसानों ने दिल्ली के बार्डर पर जमा बैठे किसानों के खिलाफ मोदी सरकार बकायदा युद्ध का एलान कर दिया है । दिसम्बर के महीने की कडक़ड़ाती ठंड में अड़े हुए हैं और तमाम प्रकार की कष्टों का सामना कर रहे हैं। उनमें अनेक तो शहीद भी हो चुके हैं लेकिन हरेक शहादत के बाद उनका संघर्ष और कठोर होता जा रहा है । किसानों की आंदोलन का देशव्यापी विस्तार होता जा रहा है । यह भी सच है कि आंदोलन का समर्थन मजदूर वर्ग सहित अन्य पेशों से जुड़े लोग भी कर रहे है । सच कहा जाए, उन्हें राष्ट्रव्यापी समर्थन मिल रहा है और जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ रहा है उनका राष्ट्रव्यापी समर्थन और भी व्यापक होता जा रहा है । कोविड महामारी और उसके बाद बनी असमान्य स्थिति की आड़ में शासकों ने जनता के शोषण और राष्ट्रीय सम्पत्तियों, प्राकृतिक संसाधनों के लूट-खसोट में तेज वृद्धि कर दी है । पूंजीवादी व्यवस्था पूरी तरह से असफल साबित हुई और चौतरफा संकट के गहन दलदल में फंस गई। इस दौरान भी पूंजीपतियों की मुनाफाखोरी को जारी रखने के कदम उठाये जा रहे हैं । इस लूट-खसोट और शोषण को बढ़ाने के साथ ही तानाशाही भी थोपी जा रही है, असहमति की अवाजों को दबाया जा रहा है । फांसीवादी तेवरों के साथ लोकतांत्रिक एवं मानव अधिकारों को कुचला जा रहा है । जाहिर है इस परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए सीटू ने जनता के एक ज्यादा व्यापकतम गठबंधन कायम करने की आवश्यकता महसुस की । सीटू का निश्चीत मानना है कि ऐसा गठबंधन जिसकी धुरी में उत्पादक, मेहनतकश तबके रहेंगे तो शहरी और ग्रामीण इलाकों में स्थानीय स्तर पर फैले हैं । किसान आंदोलन के वर्तमान चरण में और अधिक गहन विरादराना कार्यवाहियों को अंजाम देना होगा । परिस्थितियों का तकाजा है कि श्रमिक वर्गका अपनी मांगों को लेकर तीव्र संघर्ष आयोजित किये जाये, साथ ही किसान के दृढ़ प्रतिबद्ध किसान आंदोलन के प्रति और अधिक सक्रिय एकजुटता कार्यवाहियां संगठित की जाये। उपरोक्त पृष्ठभूमि में सीटू ने दिनांक 7-8 जनवरी 2021 को जिला मुख्यलयों में प्रदर्शन/घेराव/गिरफ्तारी आयोजित किया जाएगा । इन कार्यक्रमों में आप सभी साथियों को भारी संख्या में शामिल होने का आग्रह किया जाता है ।