कोरिया
आरटीआई कार्यकर्ता ने निर्माण निरीक्षण की मांगी अनुमति
अनुमति मिली, पर फोटो खींचने और वीडियोग्राफी पर आपत्ति
बैकुंठपुर, 22 मार्च। कोरिया जिले स्थित नगर निगम चिरमिरी का बहुचर्चित बस्तर आर्ट मामला फिर एक बार सुर्खियों में बना हुआ है। लगभग 42 लाख की लागत से बना यह आर्ट अधिकारियों के गले की हड्डी बन चुका है। लगभग 3 महीने पूर्व इस मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अधिकारियों के समक्ष निर्माण कार्य का निरीक्षण करने हेतु निगम कार्यालय में अर्जी लगाई थी। काफी टालमटोल करने के बाद आखिरकार निर्माण कार्य का निरीक्षण करने की अनुमति तो आवेदक को दे दी गई। परंतु निरीक्षण करने के समय फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी न किए जाने की बात भी अपील अधिकारी द्वारा पत्र में लिखी गई।
गौरतलब है कि 2 नवंबर 2020 को आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के द्वारा निगम कार्यालय में सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत कर पंडित दीनदयाल चौक पौड़ी चौराहा में हुए निर्माण कार्य बस्तर आर्ट योगा पार्क आदि का निरीक्षण सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दो सक्षम अधिकारियों के समक्ष करने हेतु अनुरोध किया गया । जिसमें निरीक्षण का वीडियो रिकॉर्डिंग भी करने की बात कही गई थी। जिस पर जन सूचना अधिकारी ने उक्त आवेदन तकनीकी शाखा से संबंधित होने के कारण कार्यपालन अभियंता तकनीकी शाखा प्रभारी को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु पत्र प्रेषित किया था।
जिस पर तकनीकी शाखा प्रभारी ने जन सूचना अधिकारी को पत्र प्रेषित कर कहा कि आवेदक के आवेदन में मांग अनुसार निरीक्षण की अनुमति एवं दो सक्षम अधिकारियों को नियुक्त करने हेतु तकनीकी शाखा अधिकृत नहीं है। सक्षम अधिकारी से अनुमति लेकर आवेदक को सूचित करें।
एक दूसरे को पत्र भेजने का लंबा सिलसिला चलने के बावजूद भी आवेदक को निर्माण कार्य का निरीक्षण करने की अनुमति नहीं मिल सकी। जिसके पश्चात आवेदक के द्वारा दो तात्कालिक लोक सूचना अधिकारी एवं एक वर्तमान लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील प्रकरण पेश किया गया। जिस पर प्रथम अपील अधिकारी के द्वारा 3 फरवरी 2021 को सुनवाई तिथि निर्धारित कर अपील कर्ता के साथ जन सूचना अधिकारी प्रकाश बाबू तिवारी एवं उमेश तिवारी तथा कार्यपालन अभियंता प्रशांत शुक्ला को सुनवाई में उपस्थित होने के लिए पत्र जारी किया गया।
वहीं पत्र की पावती में अपीलकर्ता राजकुमार मिश्रा द्वारा यह टिप अंकित किया गया था कि सुनवाई उनके मोबाइल पर ऑडियो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाए। परंतु उक्त टिप के संबंध में अपीलकर्ता को मोबाइल पर ऑडियो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई संभव नहीं होने के कारण व्यक्तिगत रूप से सुनवाई में उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया।
जिस पर सुनवाई की तारीख को राजकुमार मिश्रा के द्वारा व्हाट्सएप के माध्यम से तर्क प्रस्तुत किया गया जिसमें सूचना का अधिकार पर अपने प्रथम अपील की सुनवाई उन्होंने अपने मोबाइल पर ही विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चाही थी, जिसका कारण श्री मिश्रा के द्वारा पूर्व समय में कई निगम अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कई प्रकार के आपराधिक शिकायत प्रकरण दर्ज करा चुके होने के कारण उन्हें कारावास की सजा तक होने की संभावना होना बताया गया था।
इसके अतिरिक्त ही इस समय बड़ी अदालतें ट्रिब्यूनल सूचना आयोग आदि कई संस्थाएं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही सुनवाई कर रही हैं। इस तरह की गई सुनवाई से सबका समय ऊर्जा धन आदि की बचत होने का भी तर्क भी दिया गया था, जिसके बावजूद अधिकारियों के द्वारा अनावश्यक अवरोध उत्पन्न करने के कारण राजकुमार मिश्रा के द्वारा लिखित तर्क प्रस्तुत किया गया। जिसके पश्चात प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा निर्माण का निरीक्षण करने की अनुमति तो दी परंतु निरीक्षण के दौरान किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी नहीं करने की बात भी कह डाली।