कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 27 जून। कोरिया जिले के चिरमिरी से लगे भुकभुकी गांव में एडवेंचर पार्क बनाए जाने को लेकर बीते एक वर्ष से उठापटक जारी है। अब तक डीएमएफ के तहत 87.05 लाख रूपए की स्वीकृति दी जा चुकी है, वहीं जल संसाधन विभाग का साजाखांड जलाशय की नहर का निर्माण कार्य कई वर्षों से लंबित है। साजाखांड जलाशय और उसके आसपास के क्षेत्र को अब एडवेंचर पार्क के लिए चुना गया है, भूमि जलसंसाधन विभाग और कुछ भूमि वन विभाग की है इसलिए जिला प्रशासन को भूमि के उपयोग के लिए जल संसाधन विभाग के मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी, और वन विभाग से भी एनओसी लेने की प्रक्रिया करनी पड़ेगी।
इस संबंध में जल संसाधन विभाग के खडग़वां एसडीओ श्री टोप्पो का कहना है कि साजाखांड जलाशय की नहर साढ़े 3 किमी बनना था, सिर्फ 18 सौ मीटर बन पाई थी और बताया गया था कि वन बाधित होने के कारण काम रूका हुआ है, हमारे कार्यपालन यंत्री श्री दुबे के द्वारा दुबारा भूमि की जांच कराई गई तो पता चला कि भूमि राजस्व की है, अब दुबारा राज्य सरकार को आरए भेजा गया है, यदि पार्क बनता है तो नहर अंडरग्राउंड बनेगी और कम से कम पेड़ों का नुकसान हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा। उक्त भूमि में एडवेचर पार्क के उपयोग के लिए मंत्रालय जल संसाधन विभाग की अनुमति लेनी होगी।
नवपदस्थ कलेक्टर श्याम धावड़े के आगमन के बाद एक बार फिर एडवेंचर पार्क बनाए जाने को लेकर कार्रवाई शुरू हो गई है। दूसरी ओर चिरमिरी और मनेन्द्रगढ़ के बीच इस पार्क के स्थल चयन को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है, बहस इस बात पर चल रही है कि एडवेंचर पार्क जरूरी है या सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल, क्योंकि मनेन्द्रगढ़ विधायक ने चिरमिरी में सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल बनवाने की बात कही थी। वहीं पहली और दूसरी कोरोना की लहर में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र चिरमिरी रहा है, ऐसे में लोग स्वास्थ्य सुविधाओं की बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे हंै, वजह भी सही है क्योंकि मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में स्वास्थ्य सुविधाओं का काफी टोटा है जिसके कारण ज्यादातर मामले बैकुंठपुर भेजे जाते हंै।
वहीं मनेन्द्रगढ़ के ज्यादातर लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी राशि खर्च कर पार्क का निर्माण कराया जा रहा है, तो ऐसा स्थान पर बनाए जाए ताकि मनेन्द्रगढ़ के साथ इससे लगे मप्र के लोग भी इस पार्क में पहुंचकर आनंद ले सके। उनकी मांग है कि चिरमिरी और मनेन्द्रगढ़ के बीच पडऩे वाले साजा पहाड़ पर एडवेंचर पार्क बनाया जाए।
अभी तक हुआ क्या?
कांग्रेस सरकार बनने के बाद पहली बार कोरिया के चिरमिरी पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एडवेंचर पार्क की घोषणा की, उसके बाद तत्कालीन कलेक्टर डोमन सिंह ने कुछ अधिकारियों का दल बनाकर उन्हें मुम्बई स्थित खंडला भेजा, जहां से उक्त पर्यटन स्थल का अध्ययन कर दल ने कलेक्टर को जानकारी सौंपी। मामले में वन विभाग आगे आया और वन भूमि पर एडवेंचर पार्क की तैयारी शुरू की दी गई, जिसके बाद तत्कालीन डीएफओ चंदेले ने मौका का मुआयना भी किया। वन भूमि पर एडवेंचर पार्क को लेकर शिकायत रायपुर पहुंची और डीएफओ चंदेले का यहां से हटाकर रायपुर बुला लिया गया। भूमि को लेकर विवाद के कारण पार्क का काम अटक गया, अब पार्क के लिए नई जगह की तलाश की गई, जो ग्राम पंचायत भुकभूकी में स्थित है। उसके बाद आए तत्कालीन कलेक्टर सत्यनारायण राठौर ने डीएमएफ की बैठक में एडवेंचर पार्क के लिए एक करोड़ रू. का अनुमोदन करवाया। उक्त बैठक में पार्क से ज्यादा महत्व बैकुंठपुर में बनने वाले नवीन जिला अस्पताल को मिला और 33 करोड़ की स्वीकृति हो गई, वहीं इसके बाद श्री राठौर ने एडवेंचर पार्क का डीपीआर तैयार करने के लिए 20 लाख की स्वीकृति दी। उसके बाद उन्होंने 67.05 लाख की स्वीकृति प्रदान की। इसके लिए उन्होंने साजाखांड जलाशय के विकास के माध्यम से सतत् जीवकोपार्जन के नाम पर राशि दे डाली।
जलाशय को नहीं भरते हैं पूरा
एडवेंचर पार्क के लिए भुकभुकी स्थित साजाखांड जलाशय को चुना गया है। उक्त जलाशय का निर्माण वर्ष 2013 से 2017 के बीच हुआ। आरोप है कि जलाशय के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ। नतीजा यह हुआ कि जलाशय में हमेशा पानी रिसता है। यही कारण है कि जलाशय में कभी भी पानी पूरा नहीं भरा जाता। पानी एक तरफ से भरता है, दूसरी ओर गेट को खोल दिया जाता है, ताकि पानी जलाशय में न भर सके, क्योंकि यदि भरता है तो जलाशय के फूटने के पूरे आसार रहता है। इस वर्ष भी गर्मी के दिनों में जलाशय में न के बराबर पानी था। ऐसे में यदि यहां एडवेंचर पार्क बनाकर जलाशय में नौकाविहार की योजना बनाई जाती है तो जलाशय में पानी भरने को लेकर एहतियात बरतना होगा। इस संवेदनशील विषय पर भी जिला प्रशासन को ध्यान देना बेहद जरूरी है।
ग्राम पंचायत क्षेत्र में काम निगम निर्माण को
जानकारी के अनुसार जिस स्थल पर एडवेंचर पार्क प्रस्तावित है वह क्षेत्र ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है। जिसके लिए अब तक लाखों रूपये की स्वीकृति दी जा चुकी है और करोड़ों खर्च करने की बात भी सामने आ रही है। उक्त कार्य के लिए आयुक्त नगर निगम चिरिमरी को एजेंसी बनाया गया है। जिले में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी ग्राम पंचायत में प्रस्तावित कार्य के लिए निगम आयुक्त को निर्माण के लिए क्रियान्वयन एजेंसी नियुक्त किया गया है जबकि ग्राम पंचायत क्षेत्रों में होने वाले कार्य को आरईएस या जल संसाधन विभाग को क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदारी दी जाती है।