कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 30 जून। डॉ. सीवी रमन विवि बिलासपुर व छत्तीसगढ़ वनमाली सृजनपीठ कोरिया के तत्वावधान में सांस्कृतिक धरोहर यात्रा मनेंद्रगढ़ से जनकपुर तक निकाली गई। इस दौरान ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण एवं विकास के प्रति समाज में जन-जागरूकता लाने का प्रयास किया गया।
इस यात्रा में छत्तीसगढ़ में भगवान श्री राम के आगमन, वन गमन मार्ग का प्रतीक चिन्ह जनकपुर सीतामढ़ी-हरचोका, घघरा मंदिर, चांगदेवी मंदिर, चुटकी गांव का उपका पानी, मुरैलगढ़ की पहाडिय़ां और शिवधारा जैसे प्राकृतिक धरोहर एवं पर्यटन स्थलों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई।
संयोजक वीरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि किवदंती के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने अपने वनवास काल में दंडकारण्य यात्रा का कुछ समय यहां बिताया था। केंद्र सरकार के अयोध्या सर्किट मार्ग में इसे शामिल करना प्रस्तावित है, लेकिन चिंता का विषय है कि अब तक छत्तीसगढ़ पर्यटन एवं पुरातत्व ने कोई भी वैज्ञानिक शोधपरक जानकारी एकत्रित नहीं की है।
अधिवक्ता कल्याण चंद केसरी ने 9वीं शताब्दी के घघरा मंदिर की टूटती स्थिति को देखते हुए अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हजारों वर्ष पुराना यह मंदिर ऐसा साक्ष्य है जो इस क्षेत्र में किसी समृद्ध सभ्यता एवं राजाओं की अनकही कहानी के पन्नों के रूप में हमारे साामने है। हजारों साल पुरानी मंदिर पर भी पुरातत्व की अब तक नजर नहीं पडऩा दुर्भाग्यजनक है। यह मंदिर भी अब धीरे-धीरे नष्ट होने के कगार पर है।
सांस्कृतिक धरोहर चिंतक प्रमोद बंसल एवं साहित्यकार गौरव अग्रवाल ने चुटकी गांव में जमीन की सतह से फव्वारे के रूप में निकलते पानी को आकर्षण का केंद्र बताया। पर्यटन चिंतक डॉ. निशांत ने कहा कि अंचल में तितौली गढ़ का गढ़ा मंदिर और मुरैल गढ़ की पहाडिय़ों में सैकड़ों साल पुराने अवशेष इस अंचल के समृद्ध सभ्यता के ऐतिहासिक दस्तावेज हैं, जिनका समय रहते कई ऐतिहासिक दस्तावेजों के मूल्यांकन अलिखित पन्ने खोल सकते हैं। पर्यावरण चिंतकों का यह दल केंद्र और राज्य सरकार तक अपनी बात पहुंचाने प्रयासरत है।