कोरिया

आज तक नेटवर्क नहीं, 2 वर्ष से पढ़ाई ठप, स्कूल भवन जर्जर, कमरों से रिस रहा है पानी, 108 भी नहीं पहुंच पाती है गांवों तक
10-Jul-2021 8:20 AM
आज तक नेटवर्क नहीं, 2 वर्ष से पढ़ाई ठप, स्कूल भवन जर्जर, कमरों से रिस रहा है पानी, 108 भी नहीं पहुंच पाती है गांवों तक

चंद्रकांत पारगीर

बैकुंठपुर, 9 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। कोरिया जिले के कुछ आदिवासी ग्रामीणों के रहवास क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सरकार की डिजिटल इंडिया की सोच आकर धरी की धरी रह जाती है। इन गांवों में बीते कोरोनाकाल के 2 वर्षों  से बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप है, जबकि नेटवर्क नहीं होने के कारण गंभीर रूप से बीमार लोगों इलाज के लिए किसी भी प्रकार की सरकारी मदद नहीं पहुंच पाती है। जिसके कारण उन्हें दुर्गम रास्तों के सहारे जैसे-तैसे 20 किमी चल कर सोनहत तहसील मुख्यालय लाना होता है, यहां विकास की किरण अभी तक नहीं पहुंच पाई है। विकास नहीं होने को लेकर ग्रामीणों में काफी गुस्सा है यही कारण हे यहां शत प्रतिशत वैक्सीनेशन भी नहीं हो पा रहा है।

इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’ द्वारा सोनहत एसडीएम प्रशांत कुशवाहा से पूछने पर उन्होंने बताया कि चेक करवाते हैं, क्या समस्या है। 
कोरिया जिले का सोनहत विकासखंड जो कि भरतपुर विधानसभा में आता है, यहां के ग्राम पंचायत तंजरा के आश्रित ग्राम ठकुरहत्थी, पलारीडांड और तंजरा के कुछ पारा मोहल्लों मोबाइल टॉवर नहीं बताता है। नए बने ग्राम पंचायत तंजरा के आश्रित ग्राम पलारीडांड की दूरी 2 से ढाई किमी, जबकि ठकुरहत्थी की दूरी 3 किमी है। 

पलारीडांड पहुंचने के लिए एक पहाड़ को पार करना पड़ता है, जबकि ठकुरहत्थी जाने के लिए एक जिंदा नाले का पार करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि यहां टॉवर लगा नहीं है, टॉवर लगा हुआ है, परन्तु आज तक इसे शुरू नहीं किया जा सका है। इन दोनों गांवों में किसी भी मोबाइल का नेटवर्क नहीं है, वहीं तंजरा में कुछ मोहल्लों में जीओ और एयरटेल का नेटवर्क बताता है। 
आज के समय में बिना मोबाइल कोई काम नहीं हो पाता है। ऐसे में यहां के ग्रामीण बिना मोबाइल अपने में व्यस्त है, परन्तु कुछ सरकारी काम बिना मोबाइल के नहीं हो सकते हंै, जिसे लेकर वहां के ग्रामीणों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के ग्रामीण वैक्सीन को लेकर काफी भ्रमित है। साथ ही उनकी मूलभूत सुविधाओं नहीं मिल पाने को लेकर भी नाराज है यही कारण है कि वैक्सिन लगाने को लेकर कई ग्रामीण सामने नहीं आ रहे है।  

बच्चों की पढ़ाई ठप
बीते दो वर्षों से कोरोना कॉल के कारण देश भर के स्कूल बंद है, पढ़ाई ऑनलाइन हो चुकी है, ऑनलाइन क्लासेस के लिए आज के समय में हर बच्चे की पढ़ाई से लेकर परीक्षाएं तक आयोजित हो रही है, परन्तु ठकुरहत्थी और पलारीडंाड इससे अछूता है, दोनों गांवों में प्राथमिक शाला है, पलारीडांड और ठकुरहथ्ती के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप है, कभी कभार मोहल्ला क्लास लगती है, दोनों ही स्कूल में इन दिनों शिक्षक जरूर पहुंच रहे है। ठकुरहत्थी के शिक्षक बदन सिंह की माने तो टॉवर नहीं होने से पढाई में काफी परेशानी आ रही है।  

रिस रही है स्कूलों की छते
ग्राम पंचायत तंजरा में प्राथमिक शाला संचालित स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है, ग्रामीणों की माने में पूरे भवन से पानी छत से नीेचे आता है, जर्जर हो जाने के कारण जब स्कूल खुलता है तो बाहर महुआ के पेड़ के नीचे लगता है। फिलहाल कई महिनों से स्कूल नहीं खुला है, छत से प्लास्टर टूट कर गिर चुका है, एक दो कमरे तो काफी जर्जर हो चुके है। वहीं ठकुरहत्थी के प्राथमिक शाला की भी यही कहानी है। स्कूल के कई कमरों से पानी रिस रहा है, जिसके कारण छत में लगा प्लास्टर नीचे गिर चुका है। वहीं कई साल से इन स्कूल भवनों की दुर्दर्शा है, परन्तु आज तक किसी ने सुध नहीं लिया है।

नहीं बुला पाते संजीवनी 108
किसी भी मोबाइल कम्पनी को नेटवर्क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण बताते हंै कि जब कोई बीमार पडता है, तो यहां तक एंबुलेंस नहीं बुला पाते है, जब वो शहर गए तो उन्हें पता चला कि 108 डायल करके एंबुलेंस बुलाई जा सकती है, पर हम ऐसा नहीं कर सकते। जिसके कारण दुर्गम रास्ते से बीमार मरीज को लेकर जैसे तैसे सोनहत पहुंचते है, कई बार लोगों की जान भी जा चुकी है।

इसके अलावा अन्य छोटे-छोटे डिजिटल इंडिया से जुड़े कार्यों के लिए उन्हें लंबी दूरी तय कर तहसील मुख्यालय जाना पड़ता है।
 

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