राजपथ - जनपथ
जैन-अग्रवाल उम्मीदवारों का वजन
प्रदेश के विधानसभा क्षेत्रों में सर्वे टीम सक्रिय है। कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दल अपनी स्थिति का आकलन करने के लिए सर्वे करा रही है। भाजपा तो निजी एजेंसी से सर्वे करा रही है। साथ ही केन्द्र की खुफिया एजेंसी भी प्रदेश की जमीनी हालात पर नियमित रिपोर्ट केंद्र को भेजती है।
बताते हैं कि एक एजेंसी ने हाल ही में जमीनी स्थिति का आकलन कर रिपोर्ट भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक भेजी है। रिपोर्ट में अनारक्षित सीटों पर बिजनेस कम्युनिटी (अग्रवाल और जैन) के दबदबे का जिक्र किया गया है। यह कहा गया कि अग्रवाल और जैन समाज के दावेदारों को नजर अंदाज करना पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। ये अलग बात है कि दोनों समाज की कुल आबादी 1 फीसदी से भी कम है, लेकिन आर्थिक रूप से बेहद सक्षम है। विधानसभा की करीब 25 सीटों पर अग्रवाल-जैन नेताओं की दावेदारी है।
कहा जा रहा है कि अग्रवाल-जैन दावेदार सरगुजा से लेकर बस्तर तक की सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं। सरगुजा संभाग में पांच सामान्य सीटें हैं। अभी पार्टी से एक भी विधायक नहीं है, लेकिन सभी सीटों पर ताकतवर व्यापारी नेता दावेदारी ठोक रहे हैं। बैकुंठपुर से संजय अग्रवाल का नाम चर्चा में है। संजय केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह के करीबी माने जाते हैं। हालांकि वो अभी रेत ठेका-मारपीट केस के चलते जेल में हैं। इसी तरह मनेन्द्रगढ़ से मुनमुन जैन, प्रेम नगर से बाबूलाल अग्रवाल, भीमसेन अग्रवाल, दावेदारी कर रहे हैं। भीमसेन तो पार्टी के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। वो पाठ्य पुस्तक निगम के चेयरमैन भी थे। भटगांव से अजय गोयल, अंबिकापुर से नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ताल ठोक रहे हैं।
बिलासपुर संभाग की सीटों रायगढ़, खरसिया, बिलासपुर शहर, जांजगीर-चांपा से अग्रवाल नेताओं को स्वाभाविक दावेदारी है। रायगढ़ को तो पार्टी एक तरह से अग्रवाल सीट ही मानी जाती है, और यहां से ज्यादातर समय अग्रवाल समाज से ही विधायक रहे हैं। पार्टी ने पहले विजय अग्रवाल, और फिर रोशनलाल अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया था, और दोनों विधायक भी रहे। इस बार पूर्व विधायक विजय अग्रवाल की मजबूत दावेदारी है। खरसिया से कमल गर्ग का नाम चर्चा में है। बिलासपुर शहर से तो अमर अग्रवाल की स्वाभाविक दावेदारी है, जबकि जांजगीर-चांपा से लीलाधर सुल्तानिया का नाम चर्चा में है।
रायपुर संभाग में विशेषकर रायपुर की चारों सीटों पर अग्रवाल-जैन दावेदार हैं। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल तो पिछले 35 साल से विधायक हैं। यदि लोकसभा फार्मूले के चलते उन्हें विधानसभा की जगह लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला हुआ, तो बृजमोहन की जगह उनके छोटे भाई विजय अग्रवाल दावेदार हो सकते हैं।
रायपुर पश्चिम से पूर्व मंत्री राजेश मूणत, रायपुर उत्तर से छगनलाल मूंदड़ा, केदार गुप्ता, और रायपुर ग्रामीण से राजीव अग्रवाल का नाम चर्चा में है। राजीव अग्रवाल की तो रायपुर ग्रामीण में वॉल राइटिंग पूरी हो चुकी है। कसडोल से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के अलावा उनके पुत्र नितिन अग्रवाल को भी दावेदार माना जा रहा है। महासमुंद सीट से पूर्व विधायक डॉ. विमल चोपड़ा, बसना से संपत अग्रवाल, और डॉ. एनके अग्रवाल का नाम दावेदारों में प्रमुखता से लिया जा रहा है।
संपत तो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 50 हजार से अधिक वोट पाए थे, और भाजपा प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर ढकेल दिया था। इसी तरह धमतरी सीट से पूर्व विधायक इंदर चोपड़ा का नाम चर्चा में है। दुर्ग संभाग की सीटों में से भिलाई की दोनों सीटों पर पूर्व साडा अध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल, और उनकी पत्नी अनीता अग्रवाल की दावेदारी है। इसके अलावा वैशाली नगर से संगीत शाह का नाम चर्चा में है। दुर्ग शहर से कांतिलाल बोथरा, साजा से लाभचंद बाफना, बालोद से यशवंत जैन, और राजनांदगांव शहर से खूबचंद पारेख, डोंगरगांव से दिनेश गांधी, और प्रदीप गांधी का नाम लिया जा रहा है। यही नहीं, जगदलपुर शहर से संतोष बाफना मजबूत दावेदार हैं।
पार्टी हल्कों में यह भी कहा जा रहा है कि प्रदेश में छत्तीसगढ़ीवाद जोरों पर है। ऐसे में बिजनेस कम्युनिटी से ज्यादा प्रत्याशी तय करने से पार्टी के खिलाफ माहौल तैयार हो सकता है। मगर पार्टी के भीतर ताकतवर हो चुके अग्रवाल-जैन नेताओं को अनदेखा करना जोखिम भरा भी हो सकता है। देखना है कि पार्टी के रणनीतिकार अग्रवाल-जैन दावेदारों को कैसे संतुष्ट करते हैं।
प्रकृति से निर्मित पात्र
भोजन के लिए पात्रों का अविष्कार किस तरह हुआ होगा, इसकी बानगी बस्तर के एक गांव में रखे गए एक सामूहिक भोज (दार-पानी) में दिखाई दे रहा है। यहां भोजन परोसने के लिए बांस की टोकनी को ही पात्र बनाया गया है। तले में पत्ते लगा दिए गए हैं, जिसके चलते रसेदार भोजन भी नीचे गिरता नहीं। जंगल में इतना कुछ मिल जाता है कि यहां रहने वालों का काम शहर में कोई खरीदारी किए बिना भी काम चल जाता है।
जवानों का एक मदर्स डे...
भानुप्रतापपुर की भीरागांव की एक 80 साल की अकेली महिला का गांव के लोगों ने जीते-जीत इतना ख्याल तो किया कि कोई न कोई उसे रोज खाना लाकर दे देता था, पर जब मौत हो गई तो उसके अंतिम संस्कार के लिए कोई सामने नहीं आया। ऐसी स्थिति क्यों बनी, यह पता नहीं चल सका है मगर मुमकिन है कि सामान जुटाने के लिए खर्च कौन करे, यह संकट आ गया होगा। गांव धुर नक्सल प्रभावित भी है। जब 24 घंटे तक शव उसके घर में ही पड़ा रहा तो छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स के जवानों को इसका पता चला। वे आगे आए और अफसरों से अनुमति लेकर अंतिम क्रिया पूरी की। जवानों ने खुद काठी बनाई, कंधे पर उठाया और मिट्टी खोदी और शव को दफनाया। यह मदर्स डे पर हुआ। जवानों की सराहना हो रही है।
हाईवे पर शराब दुकान
धमतरी में काली मंदिर के पास नेशनल हाईवे पर ही नई शराब दुकान खुल गई। भीड़ के कारण लोगों को परेशानी होने लगी। एक किलोमीटर दूर तक चखना सेंटर। लोगों ने कहा कि यह तो सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का उल्लंघन है। नेशनल और स्टेट हाईवे के 500 मीटर की दूरी तक कोई दुकान नहीं खोली जाएगी। बढ़ती सडक़ दुर्घटनाओं को लेकर दायर की गई एक याचिका पर शीर्ष अदालत का एक फैसला आया था। नागरिकों ने जब प्रशासन से इसे लेकर आपत्ति दर्ज कराई तो बताया गया कि अब वह नियम शिथिल कर दिया गया है। हाईवे का मतलब सिर्फ उन सडक़ों से है जो किसी शहरी इलाके में नहीं आते। यदि नगरीय निकाय सीमा में कोई दुकान खोलनी है तो उसके लिए पाबंदी नहीं है। तो, फिलहाल इस दुकान के बंद होने की कोई संभावना नहीं है।