राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : लड़ाई आसान नहीं थी...
04-Apr-2024 3:26 PM
राजपथ-जनपथ : लड़ाई आसान नहीं थी...

लड़ाई आसान नहीं थी...

आखिरकार बहुचर्चित रामअवतार जग्गी हत्याकांड पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा है। केस में मुख्य आरोपियों रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई याहया ढेबर, कारोबारी अभय गोयल, शूटर चिमन सिंह समेत अन्य को उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है।

एनसीपी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रामअवतार जग्गी की 4 जून 2003 को जयस्तंभ चौक पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह छत्तीसगढ़ पहली राजनीतिक हत्याकांड था। इसमें सीबीआई ने पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी समेत 31 लोगों को आरोपी बनाया था। अमित जोगी तो निचली अदालत से बरी हो गए थे, और इसके खिलाफ रामअवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी अभी तक कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। 

आरोपियों को सजा दिलाने के लिए जग्गी परिवार को काफी लड़ाई लडऩी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट में दिवंगत वित्त मंत्री अरुण जेटली तक ने जग्गी परिवार के लिए पैरवी की थी। कहा जाता है कि दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल से ज्यादा मदद एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार से मिली। पवार पूरी तरह जग्गी परिवार के साथ रहे, और उनकी लड़ाई में सहयोग करते रहे।

बताते हैं कि सीबीआई में उस वक्त जम्मू-कश्मीर के एक आईपीएस अफसर ने प्रकरण की जांच की थी। उन्होंने इतनी बारीकी से जांच की कि अमित को छोडक़र सभी आरोपियों को सजा हुई। हालांकि इन प्रभावशाली आरोपियों को सजा दिलाने के लिए जग्गी परिवार ने कानूनी लड़ाई में ही लाखों खर्च किए हैं। 20 साल से चल रही यह लड़ाई अब भी जारी है। 

साहब का वर्किंग स्टाइल

उच्च शिक्षा सचिव ने बुधवार को सचिवालय और संचालनालय के डेढ़ सौ से अधिक अधिकारी कर्मचारियों के साथ इंटरेक्शन किया। उन्होंने सीजी 04 रेस्टोरेंट में लंच का आयोजन किया था। सभी के लिए  किसी आईएएस सचिव द्वारा मातहतों से लंच पर कामकाजी चर्चा की पहला अनुभव था। दो दिन पहले से तैयारी थी। साहब के पूर्व के पंचायत विभाग के लोग तरह तरह की बात कहने लगे। कहा पहले लजीज खाना खिलाते हैं फिर लाजवाब डांट पिलाते हैं। सही बात स्वास्थ्य विभाग वालों ने बताया। 

उन्होंने कहा कि साहब हर चार महीने में ऐसा आयोजन करते हैं। फाइल डिस्पोजल का रिव्यू करते हैं और कामकाजी की तारीफ और भ्रष्टाचारी को फटकार। उच्च शिक्षा में साहब को दो माह से अधिक हो गए हैं, इस दौरान सेक्शन से तेज काम को सराहा। क्यों न हो जब साहब स्वयं हर फाइल को रीड कर टीप लिखते जो हैं। पूर्व के सचिव,ऐसा उसी फाइल पर करते थे जो मंत्री को जानी या वहां से आतीं। नए साहब के वर्किंग पैटर्न से मातहत प्रभावित हैं। अब देखना है कि साहब और विभाग का साथ कितने दिन रहेगा।

सोशल मीडिया का नशा

राजधानी के एक डीएसपी को सोशल मीडिया का नशा चढ़ गया है। वीडियो बनने के लिए दूसरे जिले से सिपाही लेकर आए है। जैसे ही अधिकारी गाड़ी से उतरते है, उनके साथ चलने वाला कर्मचारी मोबाइल चालू कर वीडियो बनने लगता है या फोटो खींचने लगता है। साहब के हर मूवमेंट या काम को कैमरे में कैद करता है। उसके बाद वह फोटो या वीडियो मोबाइल से निकलकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म आ जाता है। महकमे में लोग इन्हें कथनी से सिंघम कहते हैं लेकिन करनी को लेकर सभी के  दावे प्रतिदावे हैं।

पुलिस अफसरों पर मेहरबानी

लोकसभा चुनाव शांतिपूर्वक निपट जाए इसके लिए हर जिले में पुलिस आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों की कुंडली खंगाल रही है। प्रदेश के कई जिलों में हिस्ट्री शीटर के रूप में दर्ज अपराधियों को 6 माह के लिए जिला बदर किया जा रहा है। दूसरी तरफ अपने ही महकमे के अफसरों को वह संभाल नहीं पा रही है। कल बस्तर में एक हवलदार ने मुर्गा लड़ाई खेल रहे लोगों से वसूली शुरू कर दी तो ग्रामीणों ने उनकी पिटाई कर दी। पर हवलदार, सिपाही स्तर के तो कई मामले सामने आते रहे हैं, जो जितने बड़े पद में हो उन्हें ज्यादा जिम्मेदारी दिखानी चाहिए। कोरबा में दर्री थाने के प्रशिक्षु एसडीओपी अविनाश कंवर ने एक आरोपी की तलाश के लिए उसके घर में दबिश दी। आरोपी नहीं मिला तो उसके भाई को पकडक़र थाने ले आए। उसे खुद पीटा, मातहतों से भी पिटवाया। इधर बिलासपुर में होली के दिन टीआई किरण राजपूत ने अपने भाई के साथ मिलकर सडक़ पर होली खेल रहे युवक को अगवा करने की कोशिश की। वह चलती गाड़ी से कूद गया। उसके साथ भी मारपीट की गई। दोनों घटनाओं में पुलिस अधीक्षकों ने तब कार्रवाई की, जब वीडियो वायरल हो गया। पहली घटना में पीडि़त परिवार खुद कई अन्य अपराधों में लिप्त रहा है। इस मामले में प्रशिक्षु डीएसपी को केवल थाने से हटा दिया गया। दूसरे मामले में पीडि़त ने जगह-जगह शिकायत की तो एफआईआर हो गई। पर दोनों ही मामलों में पुलिस ने न्यूनतम कार्रवाई की। डीएसपी को थाने से हटा देने के बाद उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि पिटे गए युवक के जख्म उभर आए हैं। दूसरे मामले में एफआईआर हो गई है। पर उसके बाद कोई एक्शन नहीं। अपहरण की कोशिश जैसे गंभीर मामले में विभागीय कार्रवाई भी नहीं हुई है। हां, बस्तर में मुर्गा लड़ाई के दौरान वसूली करने वाले हवलदार को सस्पेंड जरूर किया गया है। चुनाव का वक्त है, कानून व्यवस्था संभालने वाले अधिकारियों की कमी न पड़ जाए, शायद यह सोचकर पुलिस विभाग अपने टीआई और डीएसपी स्तर के अधिकारियों के साथ नरमी बरत रहा है।

बस्तर में इमली का मौसम

इमली बस्तर का प्रमुख वनोपज है। संभागीय मुख्यालय जगदलपुर एशिया की सबसे बड़ी इमली मंडी है। हर साल करीब 5 लाख क्विंटल का उत्पादन होता है। क्वालिटी भी बेहतर होती है। इन दिनों बस्तर में जगह-जगह आदिवासी परिवार इमली का संग्रह करते दिख जाएंगे। गांवों में घूम रहे आढ़तिये समर्थन मूल्य के आसपास या उससे कुछ अधिक कीमत पर खरीद लेते हैं, क्योंकि जगदलपुर में ही इससे 1000 रुपये अधिक कीमत पर वे बेच देते हैं। तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में तो इससे भी ज्यादा कीमत पर इमली खरीदी जाती है। इमली के साथ खूबी यह है कि इसका गूदा ही बल्कि बीज और छिलके भी अनेक औषधीय उत्पादों में काम आता है।

ऐसा क्यों होता है?

सोशल मीडिया की मेहरबानी से लोगों की जिंदगी में मजेदार चीजों का आना-जाना बढ़ गया है। एक किसी ने आज जिंदगी के कुछ दिलचस्प पहलू लिखकर भेजे हैं। 
0 जब हाथ आटे में उलझे हों, या किसी मशीन का तेल लगा हुआ, ठीक उसी समय नाक पर खुजली आना जरूरी रहता है।
0 कोई काम करते आपके हाथ से जब कोई पुर्जा या औजार गिर जाता है, तो वह कमरे के किसी सामान के नीचे दूर तक चले जाना तय सा रहता है।
0 जब आप कोई रॉंग नंबर लगा लेते हैं, तो कभी भी आपको सामने का नंबर व्यस्त नहीं मिलता।
0 जब कभी बॉस से झूठ कहा जाए कि गाड़ी पंक्चर हो जाने से आने में देर हुई थी, तो जल्द ही गाड़ी पंक्चर हो भी जाती है।
0 जब आप आसपास की दूसरी कतार में कम भीड़ देखकर उसमें चले जाते हैं, तो आपकी पिछली कतार की स्पीड बढ़ जाती है। 
0 नहाते हुए जब बदन पूरा भीग चुका रहता है, तभी टेलीफोन की घंटी बजना जरूरी रहता है।
0 किसी जान-पहचान के व्यक्ति से मुलाकात की संभावना तब बढ़ जाती है, जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहते हैं जिसके साथ आप किसी को दिखना नहीं चाहते थे।
0 जब आप किसी को यह दिखाना चाहते हैं कि कोई मशीन काम नहीं कर रही है, तब आमतौर पर वह मशीन काम करने लगती है।
0 बदन में जिस हिस्से तक हाथ नहीं पहुंचता, उसी हिस्से में खुजली तेज होती है।
0 किसी भी कार्यक्रम में जिन लोगों की सीट बीच में होती है, वे ही सबसे लेट पहुंचते हैं।
0 किसी बच्चे को पखाना आने का समय उसकी मां के खाना खाने को बैठने से जुड़ा रहता है।
0 ऐसा शायद ही कभी होता हो कि लोग सोने के लिए लेटते हों, और उन्हें कोई बकाया काम याद न आए, ऐसे काम लोगों की कमर सीधी होने की राह देखते रहते हैं। 

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