राजपथ - जनपथ
किसान रेल की कछुआ चाल
रेलवे माल परिवहन के लिये यात्री ट्रेनों को घंटों देर करने में नहीं झिझकती। मगर ऐसा सीमेंट, कोयला आदि की जरूरत वाले बड़े उद्योगों के लिये किया जाता है। किसानों के साथ भेदभाव हो रहा है। किसान रेल की घोषणा बजट में की गई थी तो लगा था कि यह नियमित चलेगी लेकिन यह कभी-कभी ही चलती है वह भी प्राय: घंटों देर से। छिंदवाड़ा से हावड़ा जाने वाली ट्रेन बिलासपुर स्टेशन पर कल 28 घंटे देर से आई। इसमें पहले से ही लोड सामान इतना अधिक था कि कई लोगों को अपना सामान भेजने की जगह नहीं मिली। साग-सब्जी, मछली जैसे अनेक सामान बहुत विलंब के चलते या तो प्लेटफॉर्म में या फिर ट्रेन में खराब हो जाते हैं। किसान रेल किसानों के लिये फायदेमंद है तो रेलवे के लिये भी। बस इसे समय पर और नियमित चलाने की जरूरत है।
पत्तों का बना आरामदायक चेमूर.....!
बस्तर की महिलायें बहुत मेहनत करती हैं। चाहे जंगलों से टोकरी मे वनोपज एकत्रित करना हो या आग जलाने के लिये लकडिय़ों का वजनदार ल_ा लाना हो।
इन सभी कामों में महिलाओं के सिर पर अधिक जोर पड़ता है, क्योंकि सारे वजनदार सामान वे सिर में ही ढोकर लाती हैं। सिर पर कम वजन लगे इसलिये वे पत्तों की गोलाकार गुदड़ी तैयार कर लेती है जिसे स्थानीय हल्बी बोली में चेमूर कहा जाता है।
ये चेमूर सिर पर ढोये वजन के लिये बैलेंस बनाने का काम भी करते हैं और विशेष तरीके से लकड़ी ढोने के कारण, चेमूर सिर पर ज्यादा वजन नहीं पडऩे देता है। जंगलों से लकड़ी या वनोपज लाने के समय सिर पर पत्तों का चेमूर रख लाया जाता है।
पानी लाने के लिये कपड़े की गुदड़ी तैयार की जाती है। (बस्तर भूषण)
घटेगी नया रायपुर की दूरी?
प्रोत्साहन के तमाम तरीके अपनाये जाने के बाद भी नया-रायपुर, रायपुरवासियों के लिये अलग शहर ही लगता है। मंत्रालयों में बाहर से आकर काम लेकर आने वालों के लिये तो यह और भी मुश्किल पहुंच है। सिटी बसें बहुत कम चलती हैं। आटो रिक्शा, टैक्सी का भाड़ा इतना अधिक कि आम लोगों की हैसियत जवाब दे जाती है। अब रायपुर विकास प्राधिकरण की एक योजना यह वीरानी दूर कर सकती है। वह करीब 1140 एकड़ जमीन सेरीछेड़ी के पास खरीदने जा रहा है। प्रस्ताव बन चुका है, शासन से मंजूरी मिलना बाकी है। यदि यह हो गया तो नया-रायपुर और रायपुर के बीच जो सूनी सडक़ नजर आती है, आबाद हो जायेगी। इस जमीन में रेसिडेंसियल, कमर्शियल प्लान है। चहल-पहल होगी तो आवागमन के साधन बढ़ेंगे। भाड़ा कम लगेगा। जो रायपुर से आना-जाना कर रहे हैं वे आसपास ही रहने की योजना बना सकते हैं। धरातल पर यह योजना कब तक आयेगी, यह अभी तय नहीं।
पुलिस जवानों को उकसाया जा रहा?
‘बस्तर एरिया का एसडीओपी रोकता है तो उसे गोली मार दो’ सुनने से लगता है जैसे कोई पेशेवर अपराधी आदेश दे रहा है, लेकिन ये बातें पुलिस परिवार आंदोलन से जुड़े एक नेता उज्ज्वलधर दीवान के मुंह से सुनी गई।
पुलिस परिवार इन दिनों अपनी समस्याओं को लेकर बस्तर में आंदोलन कर रहा है। जाहिर है, पर्दे के पीछे पुलिस के कुछ जवान ही आंदोलन शामिल हैं। अनुशासन में बंधे होने के कारण वे खुद सामने न आकर परिवार को सामने रखते हैं। आंदोलन की रणनीति बनाने के लिये इनके बीच वर्चुअल बैठक भी होती है। ऐसी ही एक बैठक में इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे एक निलंबित आरक्षक उज्ज्वलधर दीवान पर आरोप लगा है। सुकमा के एक आरक्षक ने कहा कि उन्हें अपनी मांगें रखने से बस्तर एरिया के एसडीओपी रोकते हैं तो दीवान की ओर छूटते ही जवाब आता है, एसडीओपी को गोली मार दो।
हो सकता है कि यह तैश में की गई बात हो पर यदि इसे आरक्षक आदेश मानकर अमल करने लगें तो?
वैसे जानकारी यह मिली है कि दीवान धमतरी जिले का आरक्षक रहा है। उस पर शासकीय सेवा में रहते हुए राजनीति करने की शिकायत मिली तो निलंबित कर दिया गया। बिलासपुर जिले के कद्दावर नेता रहे स्व. बद्रीधर दीवान से अपनी रिश्तेदारी भी वे बताते हैं।