कोरिया
दुकानों के आबंटन में भ्रष्टाचार की आशंका
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, (कोरिया) 20 फरवरी। कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के पुराने बस स्टैंड में निर्माणाधीन दुकानों में दो दुकानों के आबंटन को लेकर आरटीआई से मिली जानकारी से कई हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आ रही है, बंद लिफाफे में बोली लगाने वाले दो बोली कर्ता के ऑफर पत्र में हस्ताक्षर ही नहीं पाए गए हंै। मामले को लेकर नगर पालिका पर लगातार सवाल खड़ेे हो रहे हंै और नगर पालिका के साथ कांग्रेस के नेता भी बैकफुट पर नजर आ रहे हंै।
इस संबंध में जय प्रकाश तिवारी (बोलीकर्ता जिनका फार्म में हस्ताक्षर नहीं है) का कहना है कि जैसा नगर पालिका वाले बताए वैसा ही मेरे द्वारा एफडीआर बनवाया गया, मुझे फार्म नहीं मिला था, इसलिए फार्म में मेरे हस्ताक्षर नहीं हो सकते है।
वहीं चेंबर ऑफ कॉमर्स (युवा)के पूर्व महामंत्री शारदा प्रसाद गुप्ता और पीडि़त राजेश गुप्ता का कहना है कि आरटीआई से जो जानकारी मिली है, उसमें बंद लिफाले में ऑफर पत्रों के माध्यम से दुकान की बोली लगाई गई है, उक्त ऑफर पत्र जो नगर पालिका द्वारा जारी किया गया है, उसमें दुकान की बोली से लेकर तमाम जानकारी भर कर हस्ताक्षर कर प्रक्रिया में भाग लेना बताया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि उक्त ऑफर पत्र में एक-दो बोलीकर्ताओं के हस्ताक्षर तक नहीं है। दुकान देने की नगर पालिका के अधिकारियों केा इतनी हड़बड़ी थी, कि उन्होंने मुख्य फार्म में हस्ताक्षर तक की जांच किए बगैर ही दुकानों का आबंटन कर दिया।
जानकारी के अनुसार कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के पुराने बस स्टेंड मामले में आरटीआई से मिली जानकारी से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हंै, एक ओर पीडि़त ने नगर पालिका के साथ कलेक्टर, नगरीय प्रशासन के अधिकारियों को नोटिस देकर जवाब मांगा है, दूसरी ओर मामले में लगातार खुलासे कर रहे शारदा प्रसाद गुप्ता और पीडि़त राजेश गुप्ता ने नगर पालिका द्वारा बंद लिफाफे के तहत आबंटित की गई दुकानों की कागजी कार्रवाई में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।
उन्होंने बताया कि नगर पालिका से आरटीआई के तहत जो दस्तावेज मिले हैं, उसमें बंद लिफाफे की जानकारी हमें मिली है, उक्त जानकारी में नगर पालिका के आफर पत्र में जिसने आफर स्वीकार कर फार्म भरा है, उसने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। हस्ताक्षर उक्त आरोप पत्र की सहमति दर्शाता है। इसमें लगभग दो बोली कर्ताओं द्वारा अपने-अपने ऑफर पत्र में हस्ताक्षर नहीं किया गया है। जिससे साफ है कि मामले में बड़ा भ्रष्टाचार कर 73 लाख की दुकान को 16 लाख और 47 लाख की दुकान को 15 लाख में दिया गया है।