कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, (कोरिया), 22 फरवरी। कोरिया जिले में स्थित गुरू घासीदास नेशनल पार्क क्षेेत्र में स्थित छग व मप्र के सरहदी क्षेत्र का गॉव कोरमो पार्क के घने जंगलो के बीच में स्थित है यहां के ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड रहा है। यहां तक न कभी अधिकारी पहुंचते है और न ही बडे जनप्रतिनिधि पहुंचते जिस कारण ग्रामीण अपनी समस्याओं को समेटे अपने हाल पर जंगल के बीच में जीवन यापन करने को मजबूर है। सौर उर्जा प्लांट 8 महिने से बंद है, तो नदी का पानी पीते है वहीं सडक़ का नामोनिशान नहीं है।
मिली जानकारी के अनुसार गुरू घासीदास नेशनल पार्क क्षेत्र के जंगलों के बीच ग्राम पंचायत कुदरा(प) का आश्रित ग्राम कोरमों स्थित है जो छग के आखिरी छोर पर बसा गांव है जो कि मप्र के लगा हुआ सीमावती गांव है। इस क्षेत्र के ग्रामीण अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए छग में रहते हुए मप्र पर आश्रित है। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत कुदरा (प) नेशनल पार्क क्षेत्र से घिरा एक बड़ा पंचायत है जिसके आश्रित कई गांव है। जिनमें से कोरमो गांव चारों ओर से जंगलों से घिरा है यहां की आबादी लगभग डेढ़ से दो सौ की है यहां तक पहुंचने के लिए कच्ची सडक़ जरूर है लेकिन वह आवागमन के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। इसी कच्ची मार्ग की सहायता से ग्रामीण आना जाना करते है। बरसात के दिनों में तो कच्ची सडक़ से भी आना जाना बमुश्किल से हो पाता है। इसके अलावा भी इस गांव के लोगों को कई अन्य तरह की दिक्कतों का समाना करना पडता है। इस गांव में काम की कमी को लेकर भी ग्रामीण परेशान रहते है । काम नही मिलने के कारण जंगल के वनोपजों के सहारे ही दिन कट रहा है। गॉव के ज्यादातर लोग वनों पर आश्रित है।
यहां आठ माह से सौर उर्जा बंद
गुरू घासीदास नेशनल पार्क के जंगल के बीच में स्थित गांव कोरमो में बिजली अब तक नही पहुंची है लेकिन सौर उर्जा से गांव को रौशन करने के लिए सौर उर्जा का प्लेट लगायी गयी है और इसी के माध्यम से ग्रामीणों को रात में बिजली मिलती है लेकिन शिकायतों के अनुसार कोरमों गांव में सौर उर्जा का लाईट विगत लगभग आठ माह से पूरी तरह से बंद पड़ा है। इतने लंबे माह तक सौर उर्जा लाईट बंद होने के बावजूद सुधार कार्य कराये जाने की दिशा में अब तक ध्यान नहीं दिया गया जिस कारण ग्रामीणों को अंधेरे में रहना पड़ रहा है। जिससे कि सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है। रात के समय जंगली जानवरों का भी डर बना रहता है ऐसे में गांव में अंधेरा काम होने से समझा जा सकता है कि ग्रामीण किस तरह से रात में रहते होगे। संबंधित विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि तत्काल ही ग्राम कोरमों की महीनों से बंद सौर उर्जा लाईट का सुधार कार्य कराये।
नदी झरने का पानी पीते है ग्रामीण
घने जंगलों के बीच स्थित ग्राम कोरमों में पेयजल के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है यहां के ग्रामीण पेयजल के लिए नदी झरनों का उपयोग करते है। जिससे कि बरसात के समय ग्रामीण दूषित जल पीने केा मजबूर है। नदी किनारे से बरसात के दिनों में पेयजल प्राप्त करते है तथा गर्मी के दिनों में भी।
अभी झरने गिरना बंद हो गये है जिस कारण नदी के पानी का ही उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों को श्ुाद्धपेयजल प्रदान करने की दिशा में यहॉ सौर संचालित पानी टंकी का निर्माण कराये जाने के साथ ही हैंडपंप खनन कराये जाने की जरूरत है ताकि लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके। अन्यथा लंबे समय से नदी के दूषित जल का उपयोग करने से कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जायेगे।
पहाड़ में चढक़र ढूंढते है टावर
जंगल के बीच बसे छग का अंतिम छोर का गॉव कोरमा जो कि मप्र व छग के सरहद पर जंगलों के बीच में है। यहां आज भी किसी मोबाईल कंपनी का टावर नहीं पकड़ता है। गांव में कही पर भी नेट कनेक्टिीविटी रहती जिस कारण जब किसी ग्रामीण कों अपने किसी परिजनों से बात करनी होती है तो जंगल के बीच में स्थित पहाड के उपर चढते है और पहाड के उपर ही उन्हें टावर मिल पाता है। अक्सर ग्रामीण अपने परिजनों से जब भी बात करना होता है तो गांव के पास पहाड पर चढकर अपने परिजनों से बात करते है। यह उनके लिए बडी समस्या है।