कोरिया
जनप्रतिनिधियों की मांग को नजरअंदाज किया प्रशासन ने
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 26 फरवरी। सचिव की आत्महत्या का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है, सिर्फ नेरूआ पंचायत में कांग्रेस सरकार आते ही 3 साल में 4 सचिव पदस्थ किए गए, जिसमें 2 की मौत हो चुकी है, वहीं भरतपुर सोनहत की पूर्व विधायक चंपादेवी पावले ने प्रशासन द्वारा दी गई अनुकंपा नियुक्ति को पर्याप्त नहीं बताते हुए दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है। जबकि भरतपुर जनपद अध्यक्ष राजकुमारी बैगा का कहना है कि जनपद पंचायत सीईओ और जिला प्रशासन की हठ के कारण सचिव की जान चली गई है। उन्होंने कहा कि मेरे साथ 16 जनपद सदस्यों ने सीईओ को हटाने का पत्र लिखा था, परन्तु प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
भरतपुर जनपद पंचायत अंतर्गत च्यूल निवासी छत्रपाल सिंह की मौत को 4 दिन पूरे हो चुके हैं, अभी तक पुलिस ने जांच शुरू नहीं की है, न ही आत्महत्या नोट में लिखे नामों में से किसी को बयान देने बुलाया है।
भरतपुर सोनहत की पूर्व विधायक चंपा देवी पावले ने कहा कि पीडि़त परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दे गई, ठीक है, परन्तु यह सिर्फ कार्रवाई से बचने प्रशासनिक खानापूर्ति है, ताकि परिवार अधिकारियों के खिलाफ न जा सके। सुसाइड नोट में जिनका भी नाम है, उनके खिलाफ कार्रवाई करें। जो कि पर्याप्त साक्ष्य है। मृतक के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा दें।
ग्राम पंचायत नेरूआ में 3 साल में 4 सचिव बदल गए जिसमें दो सचिवों की मौत भी हो गई। सुसाइड नोट में मृतक सचिव छत्रपाल सिंह ने सचिव बलदाउ यादव को 50 हजार देकर उनका प्रभार लेने की बात कही है, सचिव बलदाउ यादव को विधानसभा चुनाव के बाद वर्ष 2019 में जनपद पंचायत ने हटाकर नए बने ग्राम पंचायत ठीसकोली में अटैच कर दिया। इनका मूल पंचायत नेरूआ था, जिस तरह से मृतक सचिव के साथ हुआ था, उसी तरह से बलदाउ यादव को बिना कारण बताए हटा दिया गया। नेरूआ से जब श्री यादव को हटाया गया तो सचिव मूरत सिंह को पदस्थ किया गया, साल भर के अंदर सचिव मूरत सिंह को हटाकर सचिव पवन सिंह को पदस्थ कर दिया गया। सचिव पवन सिंह बमुश्किल डेढ़़ वर्ष ही काम पाए कि उन्हें पूर्व रिक्वरी के अनुसार बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्तगी से वे काफी मानसिक रूप से परेशान रहे, बाद में उन्हें गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया और उनकी मौत हो गई, हालांकि पवन सिंह न्यायालय गए थे।
उसके बाद सचिव छत्रपाल सिंह को ग्राम पंचायत नेरूआ का वित्तीय प्रभार देकर पदस्थ किया गया, मृतक छत्रपाल सिंह लगभग 9-10 माह ही काम कर पाए और उन्हें बिना कारण बताए हटा दिया गया।