कोरिया
मनेन्द्रगढ़, 15 मार्च। छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय सचिव टी. विजय गोपाल राव ने बयान जारी कर कहा कि विगत दिनों कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) अंशदान में ब्याज दर 8.5 से घटाकर 8.1 करने का निर्णय कर्मचारियों के लिए गरीबी में आटा गीला वाली बात हो गई है। पिछले दो वर्षों से ब्याज दर 8.5 थी। वर्तमान आर्थिक विषमता के दौर में कर्मचारियों को राहत मिलने के स्थान पर ब्याज दर में कटौती कर आर्थिक हानि हो रही है।
ज्ञात हो कि वर्ष 1952 में ईपीएफ की स्थापना की गई थी। प्रारंभ में ब्याज दर 3 प्रतिशत थी। देश के निरंतर विकास के साथ ब्याज दर में वृद्धि करते हुए वर्ष 1990 से 2000 तक ब्याज दर उच्च सीमा 12 प्रतिशत तक पहुंची। उसके बाद से केंद्रीय शासन द्वारा लगातार दरों में कटौती कर 1952 की स्थिति में पहुंचाने पर तुली हुई है। 8.1 प्रतिशत दर 1982-83 की दर तक गिरावट पर पहुंच गई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन भारत की राज्य प्रोत्साहित अनिवार्य अंशदायी और बीमा योजना प्रदान करने वाला संगठन है। सदस्यों और वित्तीय लेन-देन की मात्रा के हिसाब से यह विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। इसकी पावरफुल बॉडी सीबीटी ब्याज दरों पर फैसला लेती है। केंद्र सरकार के लेबर सेक्रेटरी इसके वाइस चेयरमैन होते हैं। इसमें केंद्र सरकार के 5 और राज्य सरकार के 15 प्रतिनिधि होते हैं। इसमें कर्मचारियों और नियोक्ताओं के प्रतिनिधि भी होते हैं। इनके द्वारा ही ब्याज दरों पर फैसला लिया जाता है। इसी योजना में कर्मचारियों को सर्वाधिक लाभ होता है। यह बुढ़ापे का सहारा और वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता देता है। सेवा के दौरान विषम परिस्थितियों में ऋण या अंतिम अंशदान लेकर अपनी रक्षा करता है। यह अन्य जमा योजनाओं से भिन्न है। इसमें ब्याज दर की कटौती किसी भी स्थिति में कर्मचारियों के लिए हानिकारक है।
छत्तीसगढ़ ट्रेड यूनियन कोरिया एवं छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय सचिव टी. विजय गोपाल राव ने केंद्र और राज्य सरकारों के सभी कर्मचारी संगठनों से अपने अपने स्तर पर इसका विरोध कर शासन का ध्यानाकृष्ट कराने की अपील की है।