कोरिया

विश्व वानिकी दिवस : आग से नहीं बच पाते हैं जवां होते वृक्ष
21-Mar-2022 6:04 PM
विश्व वानिकी दिवस : आग से नहीं बच पाते हैं जवां होते वृक्ष

   सरकार को सुरक्षा के करने होंगे उपाय   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 21 मार्च। वनों को बचाने के लिए लोगों में जनजागरूकता लाने के लिए प्रतिवर्ष 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस दिन कार्यशाला आयोजित कर वनों के बचाव के लिए बड़े बड़े दावे भले ही किये जाते हो, लेकिन हकीकत कुछ और है। वनों को बचाने के लिए सिर्फ खानापूर्ति कर दी जाती है, धरातल पर वनों को बचाने की कवायद ठोस रूप से नहीं की जाती है।

सरकार द्वारा प्रतिवर्ष पौधारोपण के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च कर रही है, लेकिन लगाये गये पौधों की उचित देखभाल नहीं होने के कारण लगाये गये, अधिकांश पौधे जीवित नहीं बच पाते है। पौधा रोपण के दौरान  सरकारी विभाग को लक्ष्य दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि यूरोपियन कृषि संगठन की  23 वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया  कि पृथ्वी पर वनों को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 21 मार्च को मनाया जाये। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में वनों  केा संरक्षित व संवर्दि्धत करने के लिए जागरूक करना है। जिसके पालन में सिर्फ एक दिन जागरूकता कार्यक्रम विभिन्न जगहों पर आयोजित किये जाते है, लेकिन वास्तविक रूप से वनों को संरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाये जाते है।

कोरिया में बड़े क्षेत्र में सघन वनों से आच्छादित
कोरिया जिला प्रकृति से परिपूर्ण जिला है इस जिले के बडे क्षेत्रफल में सघन वन है, जिनमें सबसे ज्यादा साल के वृक्षों की संख्या अधिक है। जिले में दहीमन जैसे विलुप्त होते पेड़ भी है वन विभाग इस पौधों को संरक्षित करने की कोशिश में है और कई जगहों के नर्सरी में दहीमन का नर्सरी भी तैयार किया गया है। जिले मे गुरू घासीदास नेशनल पार्क 24 सौ से  अधिक वर्ग किमी क्ष़ेत्र में विस्तृत है। पार्क क्ष़ेत्र सघन वन चारों ओर फैला हुआ है।  कोरिया जिले में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र भरतपुर व सोनहत जनपद क्षेत्र में है इसके अलावा मनेंद्रगढ़ वन क्षेत्र में भी वनों की सघनता है।

वन क्षेत्रों में लगातार अवैध कटाई
कोरिया जिले में जहां वनों की कोई कमी नहीं है वही जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार अवैध कटाई की शिकायते भी सामने आती रहती है। पर्याप्त वन अमले के बावजूद वनों की अवैध कटाई  रोकने में विभागीय कर्मी नाकाम साबित हो रहे है। जिले में लकडी तस्करी का कार्य भी तेजी से फल फूल रहा है, लेकिन ऐसे मामले बहुत कम ही सामने आ पाते है। कई लकड़ी तस्कारो के द्वारा ग्रामीणों की मदद से लकडी तस्करी में शामिल है। ग्रामीण वनों से बडे बडे पेडों को काटकर चोरी छिपे बेचने के अवैध कार्य में संलिप्त है।

इस सीजन में ज्यादा अवैध कटाई
गर्मी के मौसम में जिले के विभिन्न वन क्षेत्रों में अवैध कटाई जोरों से चलता है ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के पास इस दौरान काम नही रहता है जिस कारण कई ग्रामीण अवैध लकडी कटाई कर विक्रय करने में जुटते है, वहीं गर्मी के सीजन में ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोगों के द्वारा नया मकान का निर्माण कराया जाता है, जिसके लिए अपने क्षेत्र के जंगलों से दर्जनों की संख्या में हरे भरे बड़े पेड़ो की कटाई कर मकान बनाने में उपयोग के लिए लकड़ी की व्यवस्था करते है।
इस तरह के मामले की जानकारी संबंधित क्षेत्र के वन कर्मियों को होती है, लेकिन लेन देन कर अवैध कटाई की छुट दे दी जाती है। गर्मी के सीजन में कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोग नया कच्चा मकान बनाते है जिसके कारण इस सीजन मे सबसे ज्यादा वनों से लकडी की कटाई होती है।  

दावानल से प्रतिवर्ष वनों को बड़ा नुकसान
गर्मी का मौसम शुरू होने पर पतझड के कारण वन क्षेत्रों में पेडों के पत्ते झडकर नीचे बिखरे रहते है। वही वर्तमान में महुआ का सीजन भी शुरू हो गया है। इस दौरान कई लोगों द्वारा  जंगल में महुआ चुनने के दौरान पत्तों में आग लगा दी जाती है और यही लापरवाही वन क्षेत्रों में फैलकर वनों केा नुकसान पहुॅचाता है इसके अलाव वनों में प्राकृतिक रूप से भी आग लगती है। इस सीजन में दावानल फैलने के कारण प्रतिवर्ष गर्मी के सीजन में वनों को भारी नुकसान पहुॅचता है। वन विभाग के पास वनों में आग लगने की त्वरित सूचना के लिए आधुनिक साधन है लेकिन जब कही पर आग लगने की सूचना मिलती है और जब तक वन कर्मी आग बुझाने के लिए पहुॅचते है तब तक वनों को नुकसान  पहुॅचत जाता है। इस तरह प्रत्येक वर्ष गर्मी के सीजन में दावानल से वनों को भारी नुकसान पहुंचता है।

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