कोरिया

बाघ की मौत : लापरवाही बड़ी वजह,
07-Jun-2022 12:57 PM
बाघ की मौत : लापरवाही बड़ी वजह,

  गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में अब 5 बाघ   
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 7 जून।
कोरिया स्थित गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर में बाघ की मौत के बाद पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ देर शाम 8 बजे रामगढ़ पहुंचे, उधर, वाइल्ड लाइफ सीसीएफ के मेचियो के साथ पार्क संचालक रामाकृष्णनन ने 6 पशु चिकित्सकों की टीम ने बाघ के शव का पोस्टमार्टम कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। बाघ की मौत के बाद पूरे क्षेत्र में मामले को लेकर काफी नाराजगी देखी जा रही है। बाघों के संरक्षण को लेकर पार्क प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही बरते जाने के आरोप भी सामने आने लगे हैं। अब पार्क में 6 में से 5 टाइगर रह गए हैं।

वहीं इस संबंध में गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक रामाकृष्णनन का कहना है कि 7-8 साल के बाघ की मौत की जानकारी उन्हें कल रात हुई, जिसके बाद मौके पर पहुंचकर पोस्टमार्टम कर शव का अंतिम संस्कार किया गया, उन्होंने बताया कि उनके द्वारा दोपहर में मीडिया को मादा बाघ मृत होने की जानकारी गलतफहमी के कारण दी गई थी, टाइगर का शव ऐसा पड़ा हुआ था, जिससे पता नहीं चल सका, परन्तु जब पोस्टमार्टम के लिए उठाया गया, तब पता चला कि नर बाघ की मौत हुई है, मामले में 3 आरोपियों को पकड़ा गया है, जिन्हेें कोर्ट में पेश किया जाएगा। अभी जांच जारी है।

पोस्टमार्टम के संबंध में पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राम स्वरूप चंदे ने बताया कि 8 डॉक्टरों की टीम ने बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया, दो चिकित्सक बाहर से बुलाए गए थे, मामला सस्पेक्टेड लगा, एक दो जगह चोट के निशान भी पाए गए है। विसरा जांच की रिपोर्ट आने के बाद सही कारण का पता चलेगा।

रविवार की रात खबर आई कि गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में एक टाइगर की मौत हो गई। जिसके बाद सुबह से ही पार्क के अधिकारी मौके पर पहुंचें, वहीं अंबिकापुर से वाइल्ड लाइफ सीसीएफ के मेचियो भी मौके पर पहुंच गए, दोपहर तक रायपुर स्थित फोरेंसिक लैब के अधिकारी और पशु चिकित्सकों का 4 सदस्यीय दल 3 बजे रामगढ़ पहुंच गया। दोपहर में पार्क संचालक रामाकृष्णनन ने बताया कि मादा बाघ की मौत हुई है। वहीं रायपुर से पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ रात 8 बजे कोरिया पहुंचे, उनके पहुंचने से पहले शाम 4 बजे रामगढ़ से सभी अधिकारी घटना स्थल सलगवांखुर्द पहुंचे और उसका पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया, जिसके बाद पार्क के संचालक ने गलतफहमी के कारण मादा बाघ की मौत होना बताया।  

3 ग्रामीणों को पकड़ा
गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में हुई बाघ की मौत के बाद कभी जंगलों की ओर रूख नहीं करने वाले अधिकारियों ने धरपकड़ शुरू की, जिसके बाद 3 ग्रामीणों को पकड़ कर पूछताछ शुरू की, सलगवांखुर्द के ग्रामीण रामबदन के घर पहुंचे अधिकारियों ने उसके घर की तलाशी ली और घर में रखे धान में डालने वाली कीटनाशक के साथ रामबदन को पकड़ कर ले गए, वहीं रामबदन के परिवार वालों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि बाघ कहां मरा है, उनके घर में रखी कीटनाशक की बोतले पूरी तरह से बंद थी।

मौत के पीछे बड़ी लापरवाही
दरअसल, गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का रामगढ़ परिक्षेत्र ठेकेदारों की पौ बाहर है, इन दिनों जेसीबी से तालाब निर्माण के साथ बीते दो वर्षो से संरक्षित क्षेत्र में बिना जरूरत चौड़ी चौड़ी सडक़ें बनाई जा रही है, वन्य जीवों के प्राकृतिक रहवास में सीसी सडक़ों का निर्माण करवाया जा रहा है, जिस कारण बाघों के संरक्षण से अधिकारियों की बिल्कुल चिंता नहीं है। जानकारी बताते है कि पूर्व में जब भी बाघ किसी ग्रामीण के जानवर को मारा करते थे तो वहां तत्काल ड्यूटी लगाकर निगरानी की जाती थी, ताकि मृत जानवर में कोई जहर ना डाल सके, परन्तु ऐसा अब नहीं किया जा रहा हैं। आशंका जताई जा रही है कि इसी फायदा उठाकर आरोपियों ने मृत भैसे के मांस में जहर का छिडक़ाव किया गया।

ग्रामीणों से नहीं है कोई तालमेल
गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के संरक्षण व संवर्धन के लिए पार्क क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को समय समय पर बैठक लेकर उन्हें बाघों से दूर रहने और उनके संरक्षण को लेकर समझाईश देना एक सतत प्रक्रिया है, पर गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में ऐसा कही नहीं देखा जा रहा है, ग्रामीणों की माने तों सिर्फ सडक़, पुल पुलिया, तालाब निर्माण को लेकर अधिकारी बेहद सजग रहते है। पार्क क्षेत्र में वन्य जीवों ने मारे जाने वाले पालतू जानवरों का मुआवजा नहीं दिया जाता है। ऐसी स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों से विभाग को तालमेल बनाकर काम करना होता है परन्तु यहां ऐसा नहीं हो रहा है।

 

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