कोरिया

गुरू घासीदास उद्यान में भीषण आग और गैर जरूरी विकास कार्यों ने वन्य जीवों के लिए खतरे की घंटी बजा दी
07-Jun-2022 4:09 PM
गुरू घासीदास उद्यान में भीषण आग और गैर जरूरी विकास कार्यों ने वन्य जीवों के लिए खतरे की घंटी बजा दी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 7 जून।
कोरिया जिले में स्थित गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर वन्य जीवों को जैव विविधताओं से भरा प्राकृतिक क्षेत्र है, परन्तु बीते दो वर्षो से उद्यान में भीषण आग और गैर जरूरी विकास कार्यो ने वन्य जीवों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। रिजर्व फारेस्ट होने के कारण इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है, ऐसे में पार्क में इन दिनों ठेकेदारों की पौ बारह है।

गुरू घासीदास राष्ट्रीय  उद्यान बैकुंठपुर वैसे तो बाघों के आने जाने का सिलसिला जारी रहता है। मप्र का संजय गांधी नेशनल पार्क से बाघ गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान आकर चले जाया करते थे, परन्तु वर्ष 2019 के जनवरी माह में सबसे पहले सोनहत जनपद सीईओ संजय राय को सडक़ पार करते बाघ नजर आया, जिसका उन्होंने वीडियो बनाया और वायरल कर दिया, कुछ दिन बाद छत्तीसगढ़ संवाददाता को जंगल के दूरस्थ क्षेत्र के ग्रामीण ने जानकारी दी कि उसकी गाय को बाघ ने मारा है, परन्तु वो बाघ नहीं बाघिन है, और वो गर्भवती है, जिसकी जानकारी उन्होंने तत्कालिन रेंजर एमआर मर्शकोले को दी, वन्य जीवों से बेहद लगाव रखने वाले रेंजर  मर्शकोले लगातार बाघिन पर निगरानी रखने लगे, इधर मीडिया में बाघों के देखे जाने की खबरें आने लगी और राज्य सरकार ने मामले को संज्ञान लेते हुए गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित करने का फैसला किया, कुछ दिन बाद पार्क कोटाडोल क्षेत्र मे एक टाइगर कॉलर आईडी लगा हुआ देखा गया, बाद में उसकी पहचान पन्ना टाइगर रिजर्व से आए टाइगर के रूप में हुई।

इधर, दो अन्य टाईगर भी पार्क आ चुके थे, क्योंकि यहां बड़ी मात्रा में नीलगाय की मौजूदगी थी और टाइगर उन्हें आहार बना रहे थे, कुछ माह बाद गर्भवती टाइग्रेस ने एक शावक को जन्म दिया, सोनहत परिक्षेत्र के एकदम सूनसान घनघोर जंगलों के बीच टाईग्रेस ने शावक का लालन पालन किया, कुछ दिनों बाद मां बेटे दोनों के साथ साथ के पदचिन्ह नजर आने लगे और फिर बाद में शावक बड़ा हो गया और उसका अपना क्षेत्र भी तय हो गया, अक्सर रामगढ़ के बीच पडऩे वाले आमापानी के जंगलों में देखा जाने लगा। इधर, वन्य जीवों की देखरेख में लगे रेंजर मर्शकोले को सरकार ने हटा दिया। उसके बाद से टाइगर की मूवमेंट पर विभागीय कार्यप्रणाली एकदम बंद सी हो गई, बाद में एसडीओ अनिल सिंह की पदस्थापना पार्क में हुई उन्होंने टाइगर को आकर्षित करने चीतल लाने की पहल तेज की, जिसके बाद पार्क में 150 से ज्यादा चीतल लाए गए, परन्तु लापरवाही की वजह से कई चीतल शिकारियों के भेंट चढ़ गए। वहीं हाल मेंं अब बाघ के संरक्षण में लापरवाही का यह आलम सामने आया कि एकदम युवा टाइगर की मौत हो चुकी है।
 

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