कोरिया
बैकुंठपुर (कोरिया), 9 अक्टूबर। कोरिया वनमण्डल के वन परिक्षेत्र खडग़वां क्षेत्र में 8 अक्टूबर को आये हाथियों का दल रात्रि में सीमावर्ती कटघोरा वन मण्डल क्षेत्र में पहुंच गया।
इसके पूर्व हाथियों के 42 सदस्यीय दल के द्वारा कोरिया वन मण्डल के वन परिक्षेत्र के कोटेया बीट में 16 ग्रामीणों के फसलों को रौंद कर तहस नहस कर दिया गया, वहीं एक ग्रामीण के मकान को भी क्षति पहुंचाया। इसके बाद रात्रि में ही हाथियों का दल सीमावर्ती कटघोरा वनमण्डल के केंदई रेंज के छिंदिया बीट क्षेत्र में 9 अक्टूबर को विश्राम करते देखे गये, जो कोरिया वन मण्डल का सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण वन अमले द्वारा सतर्कता बरती जा रही है और वन अमला सजग है कि कही सीमावर्ती क्षेत्र से फिर से कोरिया वन मण्डल क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं।
क्षेत्र में हाथियों के आमद को देखते हुए वन अमले के द्वारा प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को हाथियों से सुरक्षित रहने एवं हाथियों से सुरक्षित बनाकर रखने के साथ ही जंगल नही जाने की सलाह दी जा रही है। क्योकि अभी हाथियों का दल कोरिया वन मण्डल सीमा से ज्यादा दूरी पर नहीं है, ऐसे में हाथियों की आवाजाही किस ओर होगी कहा नहीं जा सकता, यही कारण है कि वन अमला लगातार हाथियों के आवाजाही पर निगरानी बनाये हुए हंै।
धान कोदो व तिल को पहुंचाया नुकसान
हाथियों के दल द्वारा खडग़वां वन परिक्षेत्र के कोटेया बीट के कांसाबहरा क्षेत्र में करीब 16 किसानों के खेतों में खडी फसलों केा खाकर एवं रौंदकर नुकसान पहुॅचाया गया। जानकारी के अनुसार हाथियों के 42 सदस्यीय दल के द्वारा कांसबहरा क्षेत्र में 16 किसानों के धान की फसल को चौपट कर दिया तथा कोदो फसल के साथ तिल के फसलों केा भारी नुकसान पहुंचाया। इसके पूर्व भी हाथियों के दल के द्वारा किसानों के फसलों को नुकसान पहुॅचाया गया। वर्तमान में धान की फसल पकने की तैयारी में है ऐसे में किसानों को ज्यादा नुकसान पहुॅचा। वन विभाग के द्वारा फसल नुकसान का आंकन किया जा रहा है ताकि समय पर मुआवजा प्रदान किया जा सके।
रतजगा कर रहे सरहदी क्षेत्र के ग्रामीण
हाथियो का 42 सदस्यीय दल कोरिया वन मण्डल सीमा से लगे कटघोरा वन मण्डल में भले ही चले गये हो लेकिन वहां से हाथियों का मूवमेंट किस ओर होगा, कहा नहीं जा सकता है जिस कारण वन परिक्षेत्र खडग़वां के सीमावर्ती हाथी प्रभावित क्षेत्रों के लोग इन दिनों हाथियों के डर के मारे रतजगा करने को मजबूर है। क्योंकि यदि रात्रि में हाथियों का दल रहवासी क्षेत्र में पहुंच जाता है तो बड़ा नुकसान हो सकता है यही कारण है कि प्रभावित क्षेत्र के लोग रतजगा कर रहे हंै।