कोरिया
बैकुंठपुर (कोरिया), 9 अक्टूबर। शरद पूर्णिमा पर 9 अक्टूबर को मंदिरों में विशेष रूप से पूजा अर्चना की गयी। राधा कृष्ण की पूजा अर्चना मंदिरों में की गयी वही घरों में माता लक्ष्मी का विशेष रूप से पूजा की गयी।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती है जिसके चलते हर घर में साफ सफाई कर सजावट की जाती है जहां माता लक्ष्मी पहुॅचती है। जिसके कारण उस घर में धन धान्य के साथ सुख समृद्धी आती है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है । इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से परिपूर्ण रहती है और इस दिन चंद्रमा की आभा वर्ष में सबसे ज्यादा रहती है।
मान्यता है कि इस रात्रि को लोगों के द्वारा खीर बनाई जाती है और चांद की रोशनी में खुले आसमान के नीचे रखा जाता है तो उसमें औषधीय गुण आ जाते है और सुबह होने पर उस खीर का सेवन करने से दमा व श्वांस रोगियों के साथ कई तरह के बीमारियों में लाभदायक माना जाता है यही कारण है कि प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के दिन कई घरों में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रात भर रख दिया जाता है और सुबह प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है वहीं मंदिरों में भी पूजा अर्चना के बाद खीर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
आयुर्वेद विभाग का औषधीय शिविर
कोरिया आयुर्वेद विभाग के द्वारा पोडी में शिविर का आयोजन किया गया जहां शरद पूर्णिमा के दिन विशेष औषधीय वाला खीर बनाया गया जिसे दमा व श्ंवास रोगियों के लिए प्रदान किया गया। जिसके लिए पूर्व में ही रजिस्ट्रेशन किया गया था। जानकारी के अनुसार इस रात्रि के बनाये औषधीय खीर का सेवन करने से दमा, खांसी सहित पित्त संबंधी कई रोग दूर होते है। इस औषधीय खीर के खाने पित्त शांत होती है। जिसके कारण आयुर्वेद विभाग द्वारा इस दिन शिविर लगाकर ऐसे रोगियों के लिए विशेष खीर वितरण हेतु शिविर का आयोजन किया गया।
शरद पूर्णिमा का चांद विशेष लाभदायक
शरद पूर्णिमा का चांद विशेष फलदायी होता है इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से परिपूर्ण रहता है। जानकारी के अनुसार शरद पूर्णिमा का चांद में इस दिन विशेष प्रकाश होता है जो कई तरह के रोगों को ठीक करता है। माना जाता है कि इस दिन एक टक कुछ देर तक चांद को देखने से नेत्र ज्योति बढती है। साथ ही शरीर के कई रोगों को दूर करने की शक्ति भी होती है।