कोरिया
धरना-प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ हल्ला बोला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 10 अक्टूबर। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर संजय कमरो के निर्देश पर प्रदेश भर आदिवासी आरक्षण को लेकर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया गया, कोरिया जिला मुख्यालय में भी पार्टी के सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता पहुंचेंं, सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला। जिसके बाद घड़ी चौक पर एकत्रित होकर ज्ञापन सौंपा।
सौंपे ज्ञापन में बताया गया है कि आदिवासी समाज के द्वारा आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति का आंकलन करते हुए सरकारों से अपने हितो की रक्षा हेतु आरक्षण की मांग की जाती रही है ताकि समाज में एकरूपता बनी रहे आदिवासी समाज अन्य समाजो से बहुत ही पिछड़ा जीवन यापन कर रहा है। इन्ही मांगों को लेकर आदिवासी समाज अपनी बातो को सरकार तक कई माध्यमों से पहुंचाती रही है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के युगपुरूष पेन दादा हिरा सिंह मरकाम जी के द्वारा आरक्षण को लेकर विभिन्न आंदोलन का संचालन किया गया। जिससे पूर्ववर्ती सरकार वर्ष 2012 में आदिवासी समाज को 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया गया परंतु यह आरक्षण निति तैयार करते वक्त कई तकनीकी खामियां रह गई। जिस कारण माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष आरक्षण को लेकर विचारण चालू किया गया जिसके फलस्वरूप वर्तमान में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण न होने का लेख करते हुए 32 प्रतिशत के आरक्षण को कम किया गया व 50 प्रतिशत् आरक्षण की सीमा तय की गई । जबकि भारत के अनेक राज्यों में आर्थिक सामाजिक, पिछडापन को देखते हुए 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण का प्रावधान किया गया है इसी भांति केन्द्र सरकार के द्वारा 2019 में 10 प्रतिशत् स्वर्ण आरक्षण के साथ 50 प्रतिशत से बढक़र 59.5 प्रतिशत् आरक्षण प्रावधान लागू किया गया है। परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में प्रति व्यक्ति दर आय शैक्षणिक स्तर व नौकरी पेशा में आदिवासी समाज की संख्या बहुत ही कम है।
जबकि छत्तीसगढ़ राज्य मूल रूप से आदिवासी बहुल्य राज्य है परंतु शैक्षणिक स्तर न होने के कारण आदिवासी समाज अनेक समाजो से बहुत पिछड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ राज्य में उच्च स्तर पर आरक्षण के माध्यम से पिछड़े आदिवासी अपनी पहुंच बड़ी मुस्किल से बना पाते है। नौकरी पेशा में पहुंचने के लिए आरक्षण ही एक माध्यम से जिससे समाज के लोग अपनी उन्नति एवं विकास कर रहे है।
आरक्षण की 32 प्रतिशत् कम करने से पूर्व कई विभागो एवं शैक्षणित स्तर से प्रवेश व नौकरी के लिए आवेदन किया गया है जो कि 32 प्रतिशत आरक्षण कम हो जाने के कारण आवेदनकर्ताओं पर असर पड़ेगा। जो कि आदिवासी समाज के हित में नही होगा। ज्ञापन के माध्यम से निवेदन है कि शासन को आदेशित किया जाये कि पूर्व में 32 प्रतिशत आरक्षण को लेकर जो भर्ती प्रक्रिया हो रही है उसे यथावत रखा जाये एवं शासन के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष 32 प्रतिशत आरक्षण के संबंध में अपना पक्ष उचित रूप से न रख पाने के कारण जो आदिवासी समाज को हानि हो रही है। उसे ध्यान में रखते हुए शासन अपना पक्ष मजबूती से व तर्क संगत न्यायालय में रखते हुए आदिवासी समाज की हितों की रक्षा करते हुए शासन 32 प्रतिशत आरक्षण को दिलाने के लिए भरपूर प्रयास करें व न्यायालय में इस्टे आर्डर लेते हुए आदिवासी समाज को अस्वस्थ करें कि उनके हितो की रक्षा सरकार कर रही है। महामहिम राष्ट्रपति महोदया से निवेदन है कि ज्ञापन पत्र का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को मार्गदर्शन दे की आदिवासियों के आर्थिक सामाजिक, शैक्षणिक एवं अन्य कारणों को ध्यान में रखते हुए 32 प्रतिशत् आरक्षण को यथावत रखा जाये व उच्च न्यायालय में शासन उचित पक्ष रखते हुए आरक्षण को मूलत: बनाये रखें।